नवानगर रियासत और भूचर मोरी की लड़ाई के बीच समानता
नवानगर रियासत और भूचर मोरी की लड़ाई आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ध्रोल राज्य, नवानगर, भूचर मोरी, भूचर मोरी की लड़ाई, मुग़ल साम्राज्य, काठियावाड़।
ध्रोल राज्य
ध्रोल रियासत, ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी की काठियावाड़ एजेंसी और बाद में, भारत गणराज्य के काठियावाड़ और सौराष्ट्र एजेंसी का एक शाही राज्य था। ध्रोल, ब्रिटिशकालीन भारत के उन ५६२ शाही रियासतों में से एक था, जिनके शाशकों को क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त थी। ध्रोल रियासत को ब्रिटिश ताज द्वारा ९-तोपी सलामी रियासत होने का सम्मान प्राप्त था। इस रियासत की राजधानी था काठियावाड़ के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित ध्रोल नगर। .
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नवानगर
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नवानगर और नवानगर रियासत · नवानगर और भूचर मोरी की लड़ाई ·
भूचर मोरी
भूचर मोरी, गुजरात के ध्रोल नगर से २ किमी दूर स्थित एक ऐतिहासिक पठार है। यह राजकोट से लगभग ५० किमी दूर स्थित है। यह स्थान भूचर मोरी की लड़ाई और उस लड़ाई को समर्पित स्मारक के लिए जाना जाता है, जो सौराष्ट्र में लड़ी गयी सबसे बड़ी लड़ाई थी। भूचर मोरी की लड़ाई, मुग़ल साम्राज्य और काठियावाड़ी रियासतों की संयुक्त सेना के बीच इसी पठार पर लड़ा गया था। उसमें मुग़ल साम्राज्य की जीत हुई थी। यहाँ आज भी हर साल भूचर मोरी की लड़ाई की याद में जुलाई-अगस्त के दौरान आयोजन होते हैं, और मेले भी आयोजित होते हैं। .
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भूचर मोरी की लड़ाई
नवानगर रियासत के राजकीय कवी, मावदनजी भीमजी रतनु द्वारा रचित, यदुवंशप्रकाश में अंकित भूचर मोरी की लड़ाई का चित्र भूचर मोरी की लड़ाई, जिसे ध्रोल युद्ध भी कहा जाता है, जुलाई १५९१(विक्रम संवत १६४८) में, मुगल साम्राज्य की सेना, और नवानगर रियासत के नेतृत्व में, काठियावाड़ी राज्यों की संयुक्त सेना के बीच लगा गया एक युद्ध था। यह लड़ाई ध्रोल राज्य में भूचर मोरी नामक स्थान पर लड़ी गई थी। इसमें नवानगर और काठियावाड़ी सेना की हार हुई थी और मुग़ल सेना की निर्णायक जीत हुई थी, जसके कारणवश, काठियावाड़, मुग़ल साम्राज्य के अधीन आ गया था। .
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मुग़ल साम्राज्य
मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .
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काठियावाड़
काठियावाड़ (કાઠીયાવાડ) पश्चिम भारत में एक प्रायद्वीपहै। ये गुजरात का भाग है, जिसके उत्तरी ओर कच्छ के रण की नम भूमि, दक्षिण और पश्चिम की ओर अरब सागर और दक्षिण-पश्चिम की ओर कैम्बे की खाड़ी है। इस क्षेत्र की दो प्रमुख नदियाँ भादर और शतरंजी हैं जो क्रमश: पश्चिम और पूर्व की ओर बहती हैं। इस प्रदेश का मध्यवर्ती भाग पहाड़ी है। इस स्थान का नाम राजपुत शासक वर्ग की काठी जाति से पड़ा है। प्रतिहार शासक सम्राट मिहिर भोज के काल में क्षत्रिये प्रतिहार की पश्चिमी सीमा काठियावाड़ और पूर्वी सीमा बंगाल की खाड़ी थी। हड्डोला शिलालेखों से यह सुनिश्चित होता है कि क्षत्रिये प्रतिहार शासकों का शासन सम्राट महिपाल २ के काल तक भी उत्कर्ष पर रहा। काठिय़ावाड़ के वर्तमान जिले काठियावाड़ क्षेत्र के प्रमुख शहरों में प्रायद्वीप के मध्य में मोरबी राजकोट, कच्छ की खाड़ी में जामनगर, खंबात की खाड़ी में भावनगर मध्य-गुजरात में सुरेंद्रनगर और वधावन, पश्चिमी तट पर पोरबंदर और दक्षिण में जूनागढ़ हैं। पुर्तगाली उपनिवेश का भाग रहे और वर्तमान में भारतीय संघ में जुड़े दमन और दीव संघ शासित क्षेत्र काठियावाड़ के दक्षिणी छोर पर हैं। सोमनाथ का शहर और मंदिर भी दक्षिणी छोर पर स्थित हैं। इस मंदिर में हिन्दू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगोंमें से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके अलावा दूसरा प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ द्वारका भी यहीं स्थित है, जहां भगवान कृष्ण ने अपनी नगरी बसायी थी। पालिताना प्रसिद्ध जैन तीर्थ है, जहां पर्वत शिखर पर सैंकड़ो मंदिर बने हैं। विश्व का सबसे बड़ा शिपब्रेकिंग यार्ड अलंग और विश्व की सबसे बड़ी जामनगर तेल शोधनी (ऑयल रिफ़ाइनरी) भी इस क्षेत्र में ही स्थित हैं। गिर वन स्थित सासन भी यहीं है, जहां एशिया के एशियाटिक जाति के प्रसिद्ध गिर लॉयन का प्राकृतिक आवास है और सिंह सफ़ारी का भी आयोजन होता है। यहाँ चूने का पत्थर पर्याप्त रूप में मिलता है जो आर्थिक दृष्टि से महत्वूपर्ण है। इस प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर दीव स्थित है। .
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नवानगर रियासत और भूचर मोरी की लड़ाई के बीच तुलना
नवानगर रियासत 26 संबंध है और भूचर मोरी की लड़ाई 11 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 16.22% है = 6 / (26 + 11)।
संदर्भ
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