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धूलमणि पगलियो और संस्मरण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

धूलमणि पगलियो और संस्मरण के बीच अंतर

धूलमणि पगलियो vs. संस्मरण

धूलमणि पगलियो गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रकांत टी. शेठ द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। . स्मृति के आधार पर किसी विषय पर अथवा किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यात्रा साहित्य भी इसके अन्तर्गत आता है। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को 'संस्मरणात्मक निबंध' कहा जा सकता है। व्यापक रूप से संस्मरण आत्मचरित के अन्तर्गत लिया जा सकता है। किन्तु संस्मरण और आत्मचरित के दृष्टिकोण में मौलिक अन्तर है। आत्मचरित के लेखक का मुख्य उद्देश्य अपनी जीवनकथा का वर्णन करना होता है। इसमें कथा का प्रमुख पात्र स्वयं लेखक होता है। संस्मरण लेखक का दृष्टिकोण भिन्न रहता है। संस्मरण में लेखक जो कुछ स्वयं देखता है और स्वयं अनुभव करता है उसी का चित्रण करता है। लेखक की स्वयं की अनुभूतियाँ तथा संवेदनायें संस्मरण में अन्तर्निहित रहती हैं। इस दृष्टि से संस्मरण का लेखक निबन्धकार के अधिक निकट है। वह अपने चारों ओर के जीवन का वर्णन करता है। इतिहासकार के समान वह केवल यथातथ्य विवरण प्रस्तुत नहीं करता है। पाश्चात्य साहित्य में साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक राजनेताओं तथा सेनानायकों ने भी अपने संस्मरण लिखे हैं, जिनका साहित्यिक महत्त्व स्वीकारा गया है। .

धूलमणि पगलियो और संस्मरण के बीच समानता

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धूलमणि पगलियो और संस्मरण के बीच तुलना

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संदर्भ

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