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दोहद और महाभारत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दोहद और महाभारत के बीच अंतर

दोहद vs. महाभारत

दोहद शब्द का अर्थ 'गर्भवती की इच्छा' है। संभवत: यह संस्कृत 'दौहृद' शब्द का प्राकृत रूप है जो संस्कृत में गृहीत अन्य प्राकृत शब्दों के समान स्वीकृत हो गया है। याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार गर्भिणी स्त्री का यह प्रिय आचरण है जिसे अवश्य पूरा करना चाहिए। यदि गभिणी स्त्री की इस प्रकार की आकांक्षाएँ पूर्ण न की जाएँ, उन्हें गर्भावस्था में जिन वस्तुओं की इच्छा होती है वे न दी जाएँ तो गर्भविकृति, मरण एवं अन्यान्य दोष होते हैं। सुश्रुत (शरीरस्थान) में 'दोहद' का विषयविवेचन इस प्रकार है - स्त्रियों के गर्भवती होने से चौथे महीने में गर्भ के अंग प्रत्यंग और चैतन्य शक्ति का विकास होता है तथा चेतना का आधार हृदय भी इसी महीने में उत्पन्न होता है। इसी समय इंद्रियों को कुछ न कुछ विषयभोग करने की इच्छा होती है। इसे अभिलाषपूरण अर्थात् ईपिसत वस्तु देना कहते हैं। इस काल में स्त्रियों का देह दो हृदयवाला अर्थात् एक अपना और दूसरा गर्भस्थ संतान का होता है। अत: इस तात्कालिक अभिलाषा को 'दोहद' कहते हैं। उनकी यह अभिलाषा अगर पूर्ण न की जाए तो गर्भस्थ संतान कुब्ज, कूणि, खंज, जड़, वामन, विकृताक्ष, अथवा अंध होती है तथा अन्यान्य गर्भपीड़ा की आशकों बनी रहती है। ईप्सित दोहद की पूर्ति होने पर गर्भिणी की संतान बलवान्, गुणवान् एवं दीर्घजीवी होती है। नहीं तो गर्भ के विषय में अथवा स्वयं गर्भिणी के लिए डर बना रहता है। विभिन्न इंद्रियों और वस्तुओं के आधार पर दोहद का विवेचन करते हुए कहा है कि गर्भिणी की जिस इंद्रिय की अभिलाषा पूरी नहीं होती, भावी संतान को भी अपने जीवन में उसी इंद्रिय की पीड़ा उत्पन्न होती है। गर्भिणी को यदि राजदर्शन की इच्छा हो तो संतान सुंदर और अलंकारप्रिय; आश्रयदर्शन की इच्छा हो तो धर्मशील और संयतात्मा; देवप्रतिमादर्शन की इच्छा हो तो संतान देवतुल्य; सर्पादि व्यालजातीय जंतु देखने की इच्छा हो तो हिंसांशील; गोह का मांस खाने की इच्छा हो तो शूर, रक्ताक्ष और लोमश अर्थात् अधिक रोएँवाला; हरिण का मांस खाने की इच्छा हो तो बनचर; वाराह का मांस खाने की इच्छा हो तो बनचर; वाराह का मांस खाने की इच्छा हो तो निहाल और शूर, सृप का मांस खाने की इच्छा हो तो उद्विग्न तथा तीतर का मांस खाने की इच्छा हो तो संतान भीरु होती है। इनके अतिरिक्त यदि अन्य जंतु का मांस खाने की इच्छा हो, तो वह जंतु जिस स्वभाव और आचरण का होगा, संतान भी उसी स्वभाव और आचरण की होगी, अत: गर्भिणी की अभिलाषा को अवश्य ही पूरा करना चाहिए। . महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

दोहद और महाभारत के बीच समानता

दोहद और महाभारत आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मथुरा, रामायण, संस्कृत भाषा

मथुरा

मथुरा उत्तरप्रदेश प्रान्त का एक जिला है। मथुरा एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। लंबे समय से मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म,दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है। .

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रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

दोहद और संस्कृत भाषा · महाभारत और संस्कृत भाषा · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

दोहद और महाभारत के बीच तुलना

दोहद 26 संबंध है और महाभारत 257 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 1.06% है = 3 / (26 + 257)।

संदर्भ

यह लेख दोहद और महाभारत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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