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दक्षिण भारत और सम्राट कृष्ण देव राय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दक्षिण भारत और सम्राट कृष्ण देव राय के बीच अंतर

दक्षिण भारत vs. सम्राट कृष्ण देव राय

भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है। हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है। दक्षिण भारतीय लोग मुख्यतः द्रविड़ भाषा जैसे तेलुगू,तमिल, कन्नड़ और मलयालम बोलते हैं और मुख्यतः द्रविड़ मूल के हैं। . "सम्राट कृष्णदेव राय " दक्षिण भारत के प्रतापी सम्राटों में एक थे जिनके विजयनगर साम्राज्य की ख्याति विदेशों तक फैली हुई थी।माघ शुक्ल चतुर्दशी संवत् 1566 विक्रमी को विजयनगर साम्राज्य के सम्राट कृष्णदेव राय का राज्याभिषेक भारत के इतिहास की एक अद्भुत घटना थी। इस घटना को दक्षिण भारत में स्वर्णिम युग का प्रारम्भ माना जाता है, क्योंकि उन्होंने दक्षिण भारत में बर्बर मुगल सुल्तानों की विस्तारवादी योजना को धूल चटाकर आदर्श हिन्दू साम्राज्य की स्थापना की थी, जो आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के हिन्दवी स्वराज्य का प्रेरणा स्रोत बना। अद्भुत शौर्य और पराक्रम के प्रतीक सम्राट कृष्ण देव राय का मूल्यांकन करते हुए इतिहासकारों ने लिखा है कि इनके अन्दर हिन्दू जीवन आदर्शों के साथ ही सभी भारतीय सम्राटों के सद्गुणों का समन्वय था। इनके राज्य में विक्रमादित्य जैसी न्याय व्यवस्था थी, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक जैसी सुदृढ़ शासन व्यवस्था तथा श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य महान संत विद्यारण्य स्वामी की आकांक्षाओं एवं आचार्य चाणक्य के नीतिगत तत्वों का समावेश था। इसीलिए उनके सम्बन्ध में बाबर ने बाबरनामा में लिखा था कि काफिरों के राज्य विस्तार और सेना की ताकत की दृष्टि से विजयनगर साम्राज्य ही सबसे विशाल है। दक्षिण भारत में कृष्णदेव राय और उत्तर भारत में राणा सांगा ही दो बड़े काफिर राजा हैं। वैसे तो सन् 1510 ई. में सम्राट कृष्णदेव राय का राज्याभिषेक विजयनगर साम्राज्य के लिए एक नये जीवन का प्रारम्भ था किन्तु इसका उद्भव तो सन् 1336 ई. में ही हुआ था। कहते हैं कि विजय नगर साम्राज्य के प्रथम शासक हरिहर तथा उनके भाई बुक्काराय भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे और उन्हीं की प्रेरणा से अधर्म का विनाश और धर्म की स्थापना करना चाहते थे। हरिहर एक बार शिकार के लिए तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित वन क्षेत्र में गये, उनके साथ के शिकारी कुत्तों ने एक हिरन को दौड़ाया किन्तु हिरन ने डर कर भागने के बजाय शिकारी कुत्तों को ही पलट कर दौड़ा लिया। यह घटना बहुत ही विचित्र थी। घटना के बाद अचानक एक दिन हरिहर राय की भेंट महान संत स्वामी विधारण्य से हुयी और उन्होंने पूरा वृत्तान्त स्वामी जी को सुनाया। इस पर संत ने कहा कि यह भूमि शत्रु द्वारा अविजित और सर्वाधिक शक्तिशाली होगी। सन्त विधारण्य ने उस भूमि को बसाने और स्वयं भी वहीं रहने का निर्णय किया। यही स्थान विकसित होकर विजयनगर कहा गया। वास्तव में दक्षिण भारत के हिन्दु राजाओं की आपसी कटुता, अलाउद्दीन खिलजी के विस्तारवादी अभियानों तथा मोहम्मद तुगलक द्वारा भारत की राजधानी देवगिरि में बनाने के फैसलों ने स्वामी विद्यारण्य के हिन्दू ह्रदय को झकझोर दिया था, इसीलिए वे स्वयं एक शक्तिपीठ स्थापित करना चाहते थे। हरिहर राय के प्रयासों से विजयनगर राज्य बना और जिस प्रकार चन्द्रगुप्त के प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य थे, उसी प्रकार विजयनगर साम्राज्य के महामंत्री संत विद्यारण्य स्वामी और प्रथम शासक बने हरिहर राय। धीरे-धीरे हरिहर राय प्रथम का शासन कृष्णानदी के दक्षिण में भारत की अन्तिम सीमा तक फैल गया। शासक बदलते गये और हरिहर प्रथम के बाद बुक्काराय, हरिहर द्वितीय, देवराय प्रथम, देवराय द्वितीय, मल्लिकार्जुन और विरूपाक्ष के हाथों में शासन की बागडोर आयी, किन्तु दिल्ली सल्तनत से अलग होकर स्थापित बहमनी राज्य के मुगलशासकों से लगातार सीमाविस्तार हेतु संर्घष होता रहा। जिसमें विजयनगर साम्राज्य की सीमाऐं संकुचित हो गयीं। 1485ई.

दक्षिण भारत और सम्राट कृष्ण देव राय के बीच समानता

दक्षिण भारत और सम्राट कृष्ण देव राय आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): शिवाजी, विजयनगर साम्राज्य

शिवाजी

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (१६३० - १६८०) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने १६७४ में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन १६७४ में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया। .

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विजयनगर साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य - १५वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। इस राज्य की १५६५ में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और ८० वर्ष चला। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाये गये हैं और यह एक विश्व विरासत स्थल है। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-सम्पदा का पता चलता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

दक्षिण भारत और सम्राट कृष्ण देव राय के बीच तुलना

दक्षिण भारत 47 संबंध है और सम्राट कृष्ण देव राय 8 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.64% है = 2 / (47 + 8)।

संदर्भ

यह लेख दक्षिण भारत और सम्राट कृष्ण देव राय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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