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तीर्थंकर और शतभिषा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तीर्थंकर और शतभिषा के बीच अंतर

तीर्थंकर vs. शतभिषा

जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। . शतभिषा शतभिषा, नक्षत्रों में 24वाँ नक्षत्र है। इस नक्षत्र का स्वामी राहु है, इसकी दशा में 18 वर्ष है व कुंभ राशि के अंतर्गत आता है। जहाँ नक्षत्र स्वामी राहु है वहीं राशि स्वामी शनि है। राहु का प्रभाव लगभग शनि वृत ही पड़ता है। कुछ ज्योतिषियों ने इसकी दृष्टि मानी है, लेकिन जब आकाश मंडल में इसका अस्तित्व ही नहीं है तो दृष्टि कैसी? यदि राहु मेष लग्न में उच्च का हो तो इसके परिणाम भी शुभ मिलते हैं। मेष का राहु हो तो ऐसे जातक प्रबल रूप से शत्रुहंता होता है। गुप्त विद्या में सफलता मिलती है। संतान के मामलों में बाधा भी आती है। राहु मेष लग्न में षष्ठभाव में हो तो शत्रुहंता होगा। वृषभ लग्न में राहु हो तो ऐसे जातक पर स्त्री गामी भी होते हैं। द्वितीय भाव में होता वाणी में चतुरता होती है। सिंह, कन्या, मकर, कुंभ में हो तो उत्तम परिणाम देता है। अष्टम में हो तो गुप्त विद्या का जानकार बना देता है। वही ऐसे जातक भी सेक्सी होते हैं। यदि शनि का उच्च का स्वराशि का या मित्र राशि का हो तो ऐसे जातक निश्चित अपनी विद्या के बल पर उच्च सफलता पाते हैं। मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी राहु लग्न में ऐसे हो तो राजनीति में उत्तम सफलता पाते हैं। वकालत में भी सफल होते हैं। चतुर्थ भाव में हो तो स्थानीय राजनीति में उत्तम सफलता मिलती है। तृतीय भाव में हो तो शत्रुहंता होगा। शनि की स्थिति में शनि में लग्न, चतुर्थ, नवम, पंचम में हो तो उत्तम सफलता पाने वाला होगा। कर्क लग्न में नक्षत्र स्वामी दशम में हो तो ऐसे राजनीतिक गु्रु विद्या में सफल होते हैं। राहु की स्थिति तृतीय, एकादश, सप्तम में ठीक रहेगी। राशि स्वामी भी यदि मित्र स्वराशि का हो तो परिणाम भी शुभ मिलेंगे। सिंह लग्न में राहु लग्न में हो तो चतुर्थ एकादश में हो तो दशम, द्वितीय, षष्ठ में शुभ रहेगा। कन्या लग्न में राहु दशम भाव में सफल राजनीतिज्ञ बना देता है। लग्न, पंचम, नवम में भी शुभ फल देगा। स्वामी शनि पंचम, नवम, एकादश, दशम लग्न में होतो उत्तम रहेगा। शनि चतुर्थ, पंचम, नवम में शुभ रहेगा। वृश्चिक लग्न में राहु दशम, एकादश, चतुर्थ, तृतीय भाव में शुभफलदायी रहेगा। वहीं शनि की स्थिति सप्तम, एकादश, तृतीय भाव में नवम में हो तो ठीक रहेगा वहीं शनि दशम में सप्तम, द्वितीय, तृतीय, एकादश में शुभफलदायी रहेगा। मकर लग्न में राहु षष्ठ, पंचम, लग्न, नवम में शनि दशम लग्न नवम षष्ठ में शुभफलदायी रहेगा। कुंभ लग्न में राहु चतुर्थ, पंचम, लग्न, नवम, षष्ठ में शुभफलदायी रहेगा। कुंभ लग्न में राहु चतुर्थ, पंचम, सप्तम में शुभफलदायी रहेगा। शनि लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम में ठीक फल देगा। .

तीर्थंकर और शतभिषा के बीच समानता

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तीर्थंकर और शतभिषा के बीच तुलना

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संदर्भ

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