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तत्खवा पुन्सी–लैपुल और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तत्खवा पुन्सी–लैपुल और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी के बीच अंतर

तत्खवा पुन्सी–लैपुल vs. साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी

तत्खवा पुन्सी–लैपुल मणिपुरी भाषा के विख्यात साहित्यकार नीलवीर शर्मा शास्त्री द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में मणिपुरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। . साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और मणिपुरी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९७३ से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

तत्खवा पुन्सी–लैपुल और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी के बीच समानता

तत्खवा पुन्सी–लैपुल और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नीलवीर शर्मा शास्त्री, भारतीय साहित्य अकादमी, मणिपुरी भाषा, साहित्य अकादमी पुरस्कार

नीलवीर शर्मा शास्त्री

नीलवीर शर्मा शास्त्री मणिपुरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह तत्खवा पुन्सी–लैपुल के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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मणिपुरी भाषा

मणिपुरी (या मीतै भाषा, या मैतै भाषा) भारत के असम के निचले हिस्सों एवं मणिपुर प्रांत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसकी कई उपभाषाएँ भी हैं। मणिपुरी भाषा, मेइतेइ मायेक लिपि में तथा पूर्वी नागरी लिपि में लिखी जाती है। मीतै लिपि में रचित एक पाण्डुलिपि .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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तत्खवा पुन्सी–लैपुल और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी के बीच तुलना

तत्खवा पुन्सी–लैपुल 7 संबंध है और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी 101 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 3.70% है = 4 / (7 + 101)।

संदर्भ

यह लेख तत्खवा पुन्सी–लैपुल और साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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