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टपकेश्वर मंदिर और महाशिवरात्रि

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

टपकेश्वर मंदिर और महाशिवरात्रि के बीच अंतर

टपकेश्वर मंदिर vs. महाशिवरात्रि

यह मंदिर देहरादून जिला देहरादून सिटी बस स्टेंड से 5.5 कि॰मी॰ की दूरी पर गढ़ी कैंट क्षेत्र में एक छोटी नदी के किनारे बना है। सड़क मार्ग द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहाँ एक गुफा में स्थित शिवलिंग पर एक चट्टान से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं। इसी कारण इसका नाम टपकेश्वर पड़ा है। शिवरात्रि के पर्व पर आयोजित मेले में लोग बड़ी संख्या में यहां एकत्र होते हैं और यहां स्थित शिव मूर्ति पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं। पता - गढ़ी केंट, डोईवाला जिला-देहरादून, उत्तराखंड-248001;सम्पर्क सूत्र: श्री भारा गिरि जी, पुजारी;दिशा: यह क्लॉक टॉवर से 7.5 किलोमीटर की दूरी पर गढ़ी केंट में स्थित है।;आरती/प्रार्थना/का समय: 07:00 सुबह और 07:00 शाम;बंद रहता है: सभी दिन खुला रहता है।;देवता, जिनकी पूजा होती है: भगवान शिव . महाशिवरात्रि (बोलचाल में शिवरात्रि) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिक तर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी जाता है। .

टपकेश्वर मंदिर और महाशिवरात्रि के बीच समानता

टपकेश्वर मंदिर और महाशिवरात्रि आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिव

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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टपकेश्वर मंदिर और महाशिवरात्रि के बीच तुलना

टपकेश्वर मंदिर 8 संबंध है और महाशिवरात्रि 61 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.45% है = 1 / (8 + 61)।

संदर्भ

यह लेख टपकेश्वर मंदिर और महाशिवरात्रि के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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