जीव और व्यक्तिपरकता
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जीव और व्यक्तिपरकता के बीच अंतर
जीव vs. व्यक्तिपरकता
कवक जीव (Organism) शब्द जीवविज्ञान में सभी जीवन-सन्निहित प्राणियों के लिए प्रयुक्त होता है, जैसे: कशेरुकी जन्तु, कीट, पादप अथवा जीवाणु। एक जीव में एक या एक से अधिक कोशिकाएँ होते हैं। जिनमें एक कोशिका पाया जाता है उसे एक कोशिकीय जीव है; एक से अधिक कोशिका होने पर उस जीव को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। मनुष्य का शरीर विशेष ऊतकों और अंगों में बांटा होता है, जिसमें कोशिकाओं के कई अरबों की रचना में बहुकोशिकीय जीव होते हैं। . व्यक्तिपरकता (Subjectivity) चेतना, वास्तविकता और सत्य के बोध से सम्बन्धित वह दार्शनिक अवधारणा है जिसमें किसी व्यक्ति या अन्य बोध करने वाले जीव को वास्तविकता वसी प्रतीत होती है जैसे उसके अपने स्वयं के गुणों द्वारा प्रभावित हो। यह वस्तुनिष्ठता के विपरीत होती है जिसमें तथ्य वैश्विक-रूप से सत्य होते हैं और बोध करने वाले व्यक्ति या जीव के भीतरी गुणों पर निर्भर नहीं होते। उदाहरण के लिये कोई व्यक्ति क्रोधित हो तो उसे व्यक्तिपरक रूप से कोई अन्य व्यक्ति शत्रु प्रतीत हो सकता है जबकी वस्तुनिष्ठ सत्य में यह अन्य व्यक्ति मित्र हो। .
जीव और व्यक्तिपरकता के बीच समानता
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संदर्भ
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