जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-रियो,क्योटो,बाली और रियो डि जेनेरो
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जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-रियो,क्योटो,बाली और रियो डि जेनेरो के बीच अंतर
जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-रियो,क्योटो,बाली vs. रियो डि जेनेरो
चित्र:Ravi9.jpg कोपेनहेगेन सम्मेलन, रियो डि जेनेरियो में धरती की सेहत पर शुरू हुई गंभीर विचार-विमर्श की प्रकिया में ही, एक ताज़ा पहल है। ब्राज़ील में 1992 में हुए रियो पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण की रक्षा के लिए एक संधि पर सहमति बनी जिसे 'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज' या यूएनएफ़सीसीसी कहते हैं। कोपेनहेगेन सम्मेलन का औपचारिक नाम है- यूएनएफ़सीसीसी में शामिल पक्षों का 15वाँ सम्मेलन, या संक्षेप में- कॉप15। रियो और कोपेनहेगेन के बीच दो महत्वपूर्ण पड़ाव थे- 1997 में जापान के क्योटो और 2007 में इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जलवायु सम्मेलन। क्योटो और बाली में भी रियो में बनी सहमित के अनुरूप कदम उठाने की कोशिशें की गईं। विचार-विर्मश के पश्चात रियो में यह सहमति बनी कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार गैसों गैसों की मात्रा को इस हद तक सीमित की जाए कि जलवायु परिवर्तन मानव नियंत्रण से पूरी तरह बाहर नहीं हो जाय। ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार माने जाने वाले गैसों को हरितगृह गैस कहते हैं। इनमें मुख्य रूप से चार गैस- कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फ़र हेक्साफ़्लोराइड, तथा दो गैस-समूह- हाइड्रोफ़्लोरोकार्बन और परफ़्लोरोकार्बन शामिल हैं। हालाँकि मुख्य चिंता कार्बन डाइऑक्साइड गैस या कार्बन को लेकर है क्योंकि इसकी तुलना में अन्य हरितगृह गैसों की मात्रा बहुत ही कम है। क्योटो से आगे का रास्ता दो साल पहले बाली सम्मेलन में तय हुआ था कि ग्लोबल वार्मिंग के ख़िलाफ़ प्रभावी और दीर्घकालिक उपायों पर सहमति बनाई जाएगी। इसके लिए दिया गया वक़्त कोपेनहेगेन सम्मेलन के साथ ही ख़त्म होने वाला है। कोपेनहेगेन सम्मेलन का एक तात्कालिक उद्देश्य भी है- क्योटो जलवायु संधि के बाद की संधि पर सहमति बनाना। क्योंकि क्योटो संधि की अवधि 2012 में ख़त्म हो रही है। क्योटो में 1997 में हुई संधि की मुख्य बात ये थी, कि औद्योगीकृत देश ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 1990 के स्तर से ५.२ प्रतिशत कम करेंगे। क्योटो संधि बाध्यकारी नहीं थी और अमरीका ने इस पर हस्ताक्षर भी नहीं किए थे। इसलिए इससे ज़्यादा उम्मीदें लगाई भी नहीं गई थीं। फिर भी अधिकतर औद्योगीकृत देशों ने क्योटो संधि की मूल भावना के अनुरूप कुछ-न-कुछ क़दम ज़रूर उठाए। यानि क्योटो संधि कारगर भले ही न हुई हो, जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय आम सहमति बनाने की दिशा में वो एक महत्वपूर्ण पड़ाव ज़रूर साबित हुई है। कोपेनहेगेन के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कोशिश, क्योटो संधि से कहीं ज़्यादा महत्वाकांक्षी संधि पर सहमति बनाने की है जो कि क़ानूनन बाध्यकारी भी हो। . ऊपर बायें से: रियो का विहंगम दृश्य, शुगरलोफ पर्वत (ब्राज़ील), व्यापारिक क्षेत्र, क्राईस्ट द रीडिमर मूर्ति, एर्कोस डि लापा, रोड्रिगो डि फ्रेटास झील और माराकाना स्टेडियम। रियो डि जेनेरो (पुर्तगाली:Rio de Janeiro यानि "जनवरी की नदी") ब्राज़ील के रियो डि जेनेरो राज्य की राजधानी एवं देश का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। यह शहर दक्षिण अमेरिका का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। रियो डि जेनेरो शहर करीब दो शताब्दियों तक ब्राजील की राजधानी बना रहा, 1763 से 1822 तक पुर्तगाली औपनिवेशिक काल के दौरान और फिर 1822 से 1960 तक ब्राजी़ल के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप मे उदय के बाद। १८०८ से १८२१ तक यह पुर्तगाली साम्राज्य की भी राजधानी था। आमतौर पर यह रिओ के नाम से जाना जाता है, शहर का एक दूसरा उपनाम A Cidade Maravilhosa यानि अद्भुत शहर भी प्रचलित है। रियो डि जेनेरो अपनी प्राकृतिक अवस्थिति, अपने कार्निवल उत्सव, साम्बा और अन्य संगीत और पर्यटकों के लिए समुद्र तटों पर बने पंक्तिबद्ध होटलों वाले कोपाकबाना और इपानेमा जैसे तटों के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तट के अलावा यहां के सबसे प्रसिद्ध आकर्षणों में शामिल हैं कोरकोवाडो पर्वत पर स्थित ईसा मसीह की विशाल मूर्ति क्राईस्ट द रीडिमर ('क्रिस्टो रिडेंटॉर'), जिसे आधुनिक युग के विश्व के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है; केबल कार युक्त शुगरलोफ पर्वत (Pão de Açúcar); सांबोद्रोमो नामक एक विशाल स्थायी कार्निवल परेड मंच और दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल स्टेडियमों में से एक माराकाना (Maracanã) स्टेडियम। २०१६ के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी रियो डि जेनेरो को मिली है और इन खेलों को आयोजित करने वाला यह दक्षिण अमेरिकी का पहला शहर होगा। विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहरी वन क्षेत्र: फ्लोरेस्ता दा तिजुका, या "तिजुका वन" भी रिओ में ही है, जो दुनिया के सबसे बड़े शहरी वन क्षेत्र Parque Estadual da Pedra Branca, या व्हाइट स्टोन स्टेट पार्क से लगभग जुड़ा ही हुआ है। गैलिआओ-अंतोनियो कार्लोस जोबिम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जिसे आमतौर पर सिर्फ गैलिआओ (Galeão) कहा जाता है ब्राजील के कई शहरों को रियो डि जेनेरो से जोड़ता है और यहां से कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी संचालित होती हैं। अपने आकर्षण और सौंदर्य के बावजूद, रियो की गिनती विश्व के सबसे अधिक हिंसाग्रस्त शहरों मे की जाती है। हिंसक अपराध की घटनायें ज्यादातर झुग्गी बस्तियों में घटित होती है लेकिन इनका असर इसके मध्यम वर्गीय और उच्च वर्गीय इलाकों मे भी देखा जा सकता है। रिओ में अन्य बड़े शहरों के विपरीत, मलिन बस्तियों शहर के कुछ सबसे धनी इलाकों से सटी हुई हैं। .
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