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चैती और छन्नूलाल मिश्रा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

चैती और छन्नूलाल मिश्रा के बीच अंतर

चैती vs. छन्नूलाल मिश्रा

चैती उत्तर प्रदेश का, चैत माह पर केंद्रित लोक-गीत है। इसे अर्ध-शास्त्रीय गीत विधाओं में भी सम्मिलित किया जाता है तथा उपशास्त्रीय बंदिशें गाई जाती हैं। चैत्र के महीने में गाए जाने वाले इस राग का विषय प्रेम, प्रकृति और होली रहते है। चैत श्री राम के जन्म का भी मास है इसलिए इस गीत की हर पंक्ति के बाद अक्सर रामा यह शब्द लगाते हैं। संगीत की अनेक महफिलों केवल चैती, टप्पा और दादरा ही गाए जाते है। ये अक्सर राग वसंत या मिश्र वसंत में निबद्ध होते हैं। चैती, ठुमरी, दादरा, कजरी इत्यादि का गढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा मुख्यरूप से वाराणसी है। पहले केवल इसी को समर्पित संगीत समारोह हुआ करते थे जिसे चैता उत्सव कहा जाता था। आज यह संस्कृति लुप्त हो रही है, फिर भी चैती की लोकप्रियता संगीत प्रेमियों में बनी हुई है। बारह मासे में चैत का महीना गीत संगीत के मास के रूप में चित्रित किया गया है। उदाहरण चैती चढ़त चइत चित लागे ना रामा/ बाबा के भवनवा/ बीर बमनवा सगुन बिचारो/ कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा/ चढ़ल चइत चित लागे ना रामा . पण्डित छन्नूलाल मिश्र प्रस्तुति देते हुए (पुणे, १७ जुलाई २००९) पंडित छन्नूलाल मिश्र (जन्म: ३ अगस्त १९३६) ठुमरी के लब्धप्रतिष्ठ गायक हैं। वे किराना घराना और बनारस गायकी के मुख्‍य गायक हैं। उन्‍हें खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है। श्रेणी:संगीतकार.

चैती और छन्नूलाल मिश्रा के बीच समानता

चैती और छन्नूलाल मिश्रा आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ठुमरी, दादरा, कजरी

ठुमरी

ठुमरी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक गायन शैली है। इसमें रस, रंग और भाव की प्रधानता होती है। अर्थात जिसमें राग की शुद्धता की तुलना में भाव सौंदर्य को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विविध भावों को प्रकट करने वाली शैली है जिसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है साथ ही यह रागों के मिश्रण की शैली भी है जिसमें एक राग से दूसरे राग में गमन की भी छूट होती है और रंजकता तथा भावाभिव्यक्ति इसका मूल मंतव्य होता है। इसी वज़ह से इसे अर्ध-शास्त्रीय गायन के अंतर्गत रखा जाता है। .

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दादरा

दादरे की शैली ठुमरी से मिलती-जुलती है। इसे मुख्य रूप से कहरवा और दीपचंदी में गाया जाता है और इसकी गति ठुमरी से तेज होती है। इसे पूरब अंग की ठुमरी का हल्का संस्करण भी कहा जाता है। इसमें प्रमुख भाव शृंगार का होता है लेकिन इसमें ठुमरी के मुकाबले अधिक उन्मुक्तता होती है। श्रेणी:संगीत.

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कजरी

कजरी पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोकगीत है। इसे सावन के महीने में गाया जाता है। यह अर्ध-शास्त्रीय गायन की विधा के रूप में भी विकसित हुआ और इसके गायन में बनारस घराने की ख़ास दखल है। श्रेणी:लोक गीत श्रेणी:उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य.

कजरी और चैती · कजरी और छन्नूलाल मिश्रा · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

चैती और छन्नूलाल मिश्रा के बीच तुलना

चैती 8 संबंध है और छन्नूलाल मिश्रा 6 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 21.43% है = 3 / (8 + 6)।

संदर्भ

यह लेख चैती और छन्नूलाल मिश्रा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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