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चिकित्सा अनुसंधान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

चिकित्सा अनुसंधान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के बीच अंतर

चिकित्सा अनुसंधान vs. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद

चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान मुख्यत: दो प्रकार का होता है - मूलभूत (बेसिक) तथा अनुप्रयुक्त (अप्लायड)। . भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर), नई दिल्ली, भारत में जैव-चिकित्सा अनुसंधान हेतु निर्माण, समन्वय और प्रोत्साहन के लिए शीर्ष संस्था है। यह विश्व के सबसे पुराने आयुर्विज्ञान संस्थानों में से एक हैं। इस परिषद को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त होती है। .

चिकित्सा अनुसंधान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के बीच समानता

चिकित्सा अनुसंधान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मलेरिया, हैजा

मलेरिया

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। .

चिकित्सा अनुसंधान और मलेरिया · भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और मलेरिया · और देखें »

हैजा

हैजे का वितरण विसूचिका या आम बोलचाल मे हैजा, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जाना जाता है, एक संक्रामक आंत्रशोथ है जो वाइब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन उतपन्न करने वाले उपभेदों के कारण होता है। मनुष्यों मे इसका संचरण इस जीवाणु द्वारा दूषित भोजन या पानी को ग्रहण करने के माध्यम से होता है। आमतौर पर पानी या भोजन का यह दूषण हैजे के एक वर्तमान रोगी द्वारा ही होता है। अभी तक ऐसा माना जाता था कि हैजे का जलाशय स्वयं मानव होता है, लेकिन पर्याप्त सबूत है कि जलीय वातावरण भी इस जीवाणु के जलाशयों के रूप में काम कर सकते हैं। वाइब्रियो कॉलेरी एक ग्राम-नेगेटिव जीवाणु है जो एक एंटेरोटॉक्सिन, कॉलेरा टोक्सिन का उत्पादन करता है, जिसका छोटी आंत के श्लेष्मीय उपकला अस्तर पर हुआ असर इस रोग के सबसे कुख्यात लक्षण बहुत अधिक दस्त के लिए जिम्मेदार है। हैजा उन ज्ञात रोगों मे से एक है जो बहुत तेजी से घातक असर करते हैं, इसके सबसे गंभीर रूप में रोग के लक्षणों की शुरुआत के एक घंटे के भीतर ही, एक स्वस्थ व्यक्ति का रक्तचाप घटकर निम्न रक्तचाप के स्तर तक पहुँच सकता है और संक्रमित मरीज को अगर चिकित्सा प्रदान नहीं की जाये तो वो तीन घंटे के अन्दर मर सकता है। एक सामान्य परिदृश्य में, रोगी को पहले पतले दस्त होते हैं और 4 से 12 घंटों में वह आघात की अवस्था मे पहुँच सकता है और अगर उसे मौखिक पुनर्जलीकरण चिकित्सा प्रदान नहीं की जाती तो, 18 घंटे के भीतर रोगी मृत्यु का ग्रास बन सकता है.

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चिकित्सा अनुसंधान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के बीच तुलना

चिकित्सा अनुसंधान 8 संबंध है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद 10 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 11.11% है = 2 / (8 + 10)।

संदर्भ

यह लेख चिकित्सा अनुसंधान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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