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गुरु जम्भेश्वर और राजस्थान के लोकदेवता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गुरु जम्भेश्वर और राजस्थान के लोकदेवता के बीच अंतर

गुरु जम्भेश्वर vs. राजस्थान के लोकदेवता

अंगूठाकार श्री गुरू जम्भेश्वर बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे। ये जाम्भोजी के नाम से भी जाने जाते है। इन्होंने 1485 में बिश्नोई पंथ की स्थापना की। 'हरि' नाम का वाचन किया करते थे। हरि भगवान विष्णु का एक नाम हैं। बिश्नोई शब्द मूल रूप से वैष्णवी शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है:- विष्णु से सम्बंधित अथवा विष्णु के उपासक। गुरु जम्भेश्वर का मानना था कि भगवान सर्वत्र है। वे हमेशा पेड़ पौधों की तथा जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे। इन्होंने समराथल धोरा पर विक्रम संवत के अनुसार कार्तिक माह में 8 दिन तक बैठ कर तपस्या की थी। इनका जन्म राजस्थान के नागौर परगने के पीपासर गांव में सन् 1451 में हुआ था। . यह सूची राजस्थान के लोकदेवता की है। .

गुरु जम्भेश्वर और राजस्थान के लोकदेवता के बीच समानता

गुरु जम्भेश्वर और राजस्थान के लोकदेवता आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नागौर, गुरु जम्भेश्वर

नागौर

नागौर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नागौर जिला मुख्यालय है। नागौर राजस्थान का एक छोटा सा शहर है। ऐतिहासिक रूप से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। नागौर बलबन की जागीर थी जिसे शेरशाह सूरी ने 1542 ने जीत लिया था। इसके अलावा महान मुगल सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद का नाम अकबरी जामा मस्जिद है। यह मस्जिद शहर के बीचों बीच दड़ा मोहल्ला गिनाणी तालाब के पास स्थित है। इस मस्जिद के दो ऊंचे मीनार गुंबद मुगलकालीन निर्माण कला के गवाह हैं। इसके अलावा गिनाणी तालाब की उत्तरी दिशा की तरफ ही आलिशान दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह को हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ कहा जाता है। इस दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मइनुद्दीन चिश्ती के खास खलीफा हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की मजार शरीफ है। नागौर विशेष रूप में प्रत्येक वर्ष लगने वाले पशु मेले के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस मेले में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर और स्मारक भी है। .

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गुरु जम्भेश्वर

अंगूठाकार श्री गुरू जम्भेश्वर बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे। ये जाम्भोजी के नाम से भी जाने जाते है। इन्होंने 1485 में बिश्नोई पंथ की स्थापना की। 'हरि' नाम का वाचन किया करते थे। हरि भगवान विष्णु का एक नाम हैं। बिश्नोई शब्द मूल रूप से वैष्णवी शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है:- विष्णु से सम्बंधित अथवा विष्णु के उपासक। गुरु जम्भेश्वर का मानना था कि भगवान सर्वत्र है। वे हमेशा पेड़ पौधों की तथा जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे। इन्होंने समराथल धोरा पर विक्रम संवत के अनुसार कार्तिक माह में 8 दिन तक बैठ कर तपस्या की थी। इनका जन्म राजस्थान के नागौर परगने के पीपासर गांव में सन् 1451 में हुआ था। .

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गुरु जम्भेश्वर और राजस्थान के लोकदेवता के बीच तुलना

गुरु जम्भेश्वर 17 संबंध है और राजस्थान के लोकदेवता 3 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 10.00% है = 2 / (17 + 3)।

संदर्भ

यह लेख गुरु जम्भेश्वर और राजस्थान के लोकदेवता के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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