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गुरबानी और जपजी साहिब

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गुरबानी और जपजी साहिब के बीच अंतर

गुरबानी vs. जपजी साहिब

गुरबानी शब्द गुरुवाणी का पंजाबी स्वरूप है। सिक्ख धर्म में पाँचवे गुरू अर्जुन देव ने बाबा गुरु नानक, बाबा फरीद,रविदास तथा कबीर की वाणी को आदि ग्रंथ में संकलित किया। इनको गुरबानी कहा जाता है। . आदि गुरु श्री गुरुग्रंथ साहब की मूलवाणी जपुजी जगतगुरु श्री गुरुनानकदेवजी द्वारा जनकल्याण हेतु उच्चारित की गई अमृतमयी वाणी है। 'जपुजी' एक विशुद्ध एक सूत्रमयी दार्शनिक वाणी है उसमें महत्वपूर्ण दार्शनिक सत्यों को सुंदर अर्थपूर्ण और संक्षिप्त भाषा में काव्यात्मक ढंग से अभिव्यक्त किया है। इसमें ब्रह्मज्ञान का अलौकिक ज्ञान प्रकाश है। इसका दिव्य दर्शन मानव जीवन का चिंतन है। इस वाणी में धर्म के सत्य, शाश्वत मूल्यों को बही मनोहारी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। अतः महान गुरु की इस महान कृति की व्याख्या करना तो दूर इसे समझना भी आसान नहीं है। लकिन जो इसमें प्रयुक्त भाषाओं को जानते हैं उनके लिए इसका चिंतन, मनन करना उदात्तकारी एवं उदर्वोमुखी है। यह एक पहली धार्मिक और रहस्यवादी रचना है और आध्यात्मिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में इसका अत्यधिक महत्व महान है। गुरु नानक की जन्म साखियों में इस बात का उल्लेख है कि जब गुरुजी सुलतानपुर में रहते थे, तो वे रोजाना निकटवर्ती वैई नदी में स्नान करने के लिए जाया करते थे। जब वे 27 वर्ष के थे, तब एक दिन प्रातःकाल वे नदी में स्नान करने के लिए गए और तीन दिन तक नदी में समाधिस्थ रहे। वृतांत में कहा है कि इस समय गुरुजी को ईश्वर का साक्षात्कार हुआ था। उन पर ईश्वर की कृपा हुई थी और देवी अनुकम्पा के प्रतीक रूप में ईश्वर ने गुरुजी को एक अमृत का प्याला प्रदान किया थ। वृतांतों में इस बात की साक्षी मौजूद है कि इस अलौकिक अनुभव की प्रेरणा से गुरुजी ने मूलमंत्र का उच्चारण किया था, जिससे जपुजी साहिब का आरंभ होता है। जपुजी का प्रारंभिक शब्द एक ओमकारी बीज मंत्र है जैसे उपनिषदों और गीता में ओम शब्द बीज मंत्र है। मूल मंत्र है, जिसमें प्रभु के गुण नाम कथन किए गए हैं। समस्त जपुजी को मोटे तौर पर चार भागों में विभक्त किया गया है-.

गुरबानी और जपजी साहिब के बीच समानता

गुरबानी और जपजी साहिब आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): गुरु नानक

गुरु नानक

नानक (पंजाबी:ਨਾਨਕ) (15 अप्रैल 1469 – 22 सितंबर 1539) सिखों के प्रथम (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। लद्दाख व तिब्बत में इन्हें नानक लामा भी कहा जाता है। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे। .

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गुरबानी और जपजी साहिब के बीच तुलना

गुरबानी 7 संबंध है और जपजी साहिब 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 9.09% है = 1 / (7 + 4)।

संदर्भ

यह लेख गुरबानी और जपजी साहिब के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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