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गंगैकोण्ड चोलपुरम् और वाणासुर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गंगैकोण्ड चोलपुरम् और वाणासुर के बीच अंतर

गंगैकोण्ड चोलपुरम् vs. वाणासुर

गंगैकोण्ड चोलपुरम् का वृहदेश्वर मंदिर गंगैकोण्ड चोलपुरम्, तमिलनाडु के त्रिचुरापल्ली जिले में स्थित एक स्थान है। यह जैयमकोण्ड सोलापुर से १० किमी की दूरी पर है। प्राचीन काल में यह एक प्रख्यात नगर था। लोकप्रवाद हे कि वाणासुर के तपस्या के फलस्वरूप शिव ने यहाँ एक कूप में गंगा बहा दी थी जिसके कारण यह नाम पड़ा है। वस्तुत: इसे प्रथम राजेंद्र चोल ने बसाया था जो 'गंगैकोंडचोल' कहा जाता था। यहाँ चोलकालीन एक विशाल मंदिर के अवशेष हैं। श्रेणी:तमिलनाडु का भूगोल श्रेणी:ऐतिहासिक नगर. बाणासुर, अशना से उत्पन्न, असुरराज बलि वैरोचन के सौ पुत्रों में सबसे ज्येष्ठ, शिवपार्षद, परमपराक्रमी योद्धा और पाताललोक का प्रसिद्ध असुरराज जिसे महाकाल, सहस्रबाहु तथा भूतराज भी कहा गया है। शोणपुरी, शोणितपुर अथवा लोहितपुर इसकी राजधानी थी। असुरों के उत्पात से त्रस्त ऋषियों की रक्षा के क्रम से शंकर ने अपने तीन फलवाले बाण से असुरों की विख्यात तीनों पुरियों को बेध दिया तथा अग्निदेव ने उन्हें भस्म करना आरंभ किया तो इसने पूजा से शंकर को अनुकूल कर अपनी राजधानी बचा ली थी (मत्स्य., 187-88; ह.पु., 2/116-28; पद्म., स्व., 14-15)। फिर इसने शंकरपुत्र बनने की इच्छा से घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर शिव ने इसे कार्तिकेय के जन्मस्थान का अधिपति बनाया था (ह.पु. 2/116-22)। शिव के तांडव नृत्य में भाग लेने से शंकर ने प्रसन्न होकर इसकी रक्षा का बीड़ा उठाया था। उषा अनिरुद्ध की पुराणप्रसिद्ध प्रेमकथा की नायिका इसी की कन्या थी। स्वप्नदर्शन द्वारा कृष्णपुत्र अनिरुद्ध के प्रति पूर्वराम उत्पन्न होने पर इसने चित्रलेखा (दे. "चित्रलेखा") की सहायता से उसे अपने महल में उठवा मँगाया और दोनों एक साथ छिपकर रहने लगे। किंतु भेद खुल जाने पर दोनों बाण के बंदी हुए। इधर कृष्ण को इसका पता चला तो इन्होंने बाण पर आक्रमण कर दिया। भीषण युद्ध हुआ, यहाँ तक कि इसी में एक दाँत टूट जाने से गणेश "एकदंत" हो गए। अंत में कृष्ण ने बाण को मार डालने के लिए सुदर्शन चक्र उठाया किंतु पार्वती के हस्तक्षेप तथा आग्रह पर केवल अहंकार चूर करने के निमित्त इसके हाथों में से दो (पद्म., 3/2/50) अथवा चार (भाग.पु., 10/63/49) को छोड़कर शेष सभी काट डाले। फिर उन्होंने उषा अनिरुद्ध का विवाह सम्मानपूर्वक द्वारका में संपन्न कराया। श्रेणी:महाभारत के पात्र.

गंगैकोण्ड चोलपुरम् और वाणासुर के बीच समानता

गंगैकोण्ड चोलपुरम् और वाणासुर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिव

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

गंगैकोण्ड चोलपुरम् और शिव · वाणासुर और शिव · और देखें »

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गंगैकोण्ड चोलपुरम् और वाणासुर के बीच तुलना

गंगैकोण्ड चोलपुरम् 7 संबंध है और वाणासुर 1 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 12.50% है = 1 / (7 + 1)।

संदर्भ

यह लेख गंगैकोण्ड चोलपुरम् और वाणासुर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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