ईसाई धर्म और क्रिसमस के बीच समानता
ईसाई धर्म और क्रिसमस आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पोप, बाइबिल, यीशु।
पोप
बेनेडिक्ट सोलहवें - २६५वें तथा वर्तमान पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु, रोम के बिशप एवं वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहते हैं। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। यह लैटिन के "पापा" (papa) से व्युत्पन्न हा है जो स्वयं ग्रीक के पापास् (πάπας, pápas) से व्युत्पन्न है। इस समय (फरवरी, २००९) बेनेडिक्ट सोलहवें (Benedict XVI) इस पद पर आसीन हैं जिन्हें १९ अप्रैल २००५ को चुना गया था। वे २६५वें पोप हैं। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को संत पापा (पिता) 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। ईसा से अपने महाशिरूय संत पीटर को अपने चर्च का आधार तथा प्रधान 'चरवाहा' नियुक्त किया था और उनको यह भी सुस्पष्ट आश्वासन दिया था कि उनपर आधारित चर्च शताब्दियों तक बना रहेगा। अत: ईसा के विधान से संत पीटर का देहांत रोम में हुआ था, इसलिये प्रारंभ ही से संत पीटर के उत्तराधिकारी होने के कारण रोम के बिशप समूचे चर्च के अध्यक्ष तथा पृथ्वी पर ईसा के प्रतिनिधि माने गए थे। इतिहास इसका साक्षी है कि रोम के बिशप के अतिरिक्त किसी ने कभी संत पीटर का उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं किया। किंतु प्राच्य चर्च के अलग होते जाने से तथा प्रोटेस्टैंट धर्म के उद्भव से पोप के अधिकारी के विषय में शताब्दियों तक वाद विवाद होता रहा, अंततोगत्वा वैटिकन की प्रथम अधिकार रखते हैं। वे ईसा की शिक्षा के सर्वोच्च व्याख्याता हैं और चर्च के परमाधिकारी की हैसियत से धर्मशिक्षा की व्याख्या करते समय भ्रमातीत अर्थात् अचूक हैं। पोप वैटिकन राज्य के अध्यक्ष हैं तथा उनके देहांत पर कार्डिनल उनके उत्तराधिकारी को चुनते हैं .
ईसाई धर्म और पोप · क्रिसमस और पोप ·
बाइबिल
बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .
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यीशु
एक मोजेक यीशु या यीशु मसीहईसा, यीशु और मसीह नाम हेतु पूरी चर्चा इस लेख के वार्ता पृष्ठ पर है। प्रचलित मान्यता के विरुद्ध, ईसा एक इस्लामी शब्दावली है, व "यीशु" सही ईसाई शब्दावली है। तथा मसीह एक उपादि है। विस्तृत चर्चा वार्ता पृष्ठ पर देखें। (इब्रानी:येशुआ; अन्य नाम:ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट), जिन्हें नासरत का यीशु भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं। ईसा की जीवनी और उपदेश बाइबिल के नये नियम (ख़ास तौर पर चार शुभसन्देशों: मत्ती, लूका, युहन्ना, मर्कुस पौलुस का पत्रिया, पत्रस का चिट्ठियां, याकूब का चिट्ठियां, दुनिया के अंत में होने वाले चीजों का विवरण देने वाली प्रकाशित वाक्य) में दिये गये हैं। यीशु मसीह को इस्लाम में ईसा कहा जाता है, और उन्हें इस्लाम के भी महानतम पैग़म्बरों में से एक माना जाता है। .
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या ईसाई धर्म और क्रिसमस लगती में
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- ईसाई धर्म और क्रिसमस के बीच समानता
ईसाई धर्म और क्रिसमस के बीच तुलना
ईसाई धर्म 12 संबंध है और क्रिसमस 56 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 4.41% है = 3 / (12 + 56)।
संदर्भ
यह लेख ईसाई धर्म और क्रिसमस के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: