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कुट्टिम

सूची कुट्टिम

कुट्टिम (pavement) ऐस्फाल्ट, पत्थर या खपरैल (टाइल) से बनी संरचना है जो फर्श या किसी मार्ग पर लगायी जाती है। .

7 संबंधों: ऐस्फाल्ट, पत्थर, फर्श, सड़क, सड़क सतह, संस्कृत भाषा, खपरैल

ऐस्फाल्ट

मृत सागर से प्राप्त प्राकृतिक ऐसफाल्ट सड़क निर्माण में अस्फाल्ट कंक्रीट की मूल पर्त ऐस्फाल्ट (अंग्रेजी: Asphalt) एक चिपचिपा, काला और गाढ़ा तरल या अर्ध-तरल पदार्थ होता है, जिसे कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी मिलता है। पहले इसे अस्फाल्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सड़क निर्माण, उड़ान पट्टी निर्माण इत्यादि में होता है। 'अस्फाल्ट' शब्द एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दृढ़, अचल तथा सुरक्षित। पुरातन काल में अस्फाल्ट का प्रथम उपयोग विभिन्न प्रकार के दो पदार्थो को आपस में जोड़ने में, जैसे हाथीदाँत, सीप या रत्नों से बनी आँखों को मूर्तियों के चक्षु गह्वरों में बैठाने के लिए, किया जाता था। ज्ञात हुआ है कि संभवत: भारत में अस्फाल्ट का सर्वप्रथम उपयोग लगभग 3,000 वर्ष ई.पू.

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पत्थर

पहाड़ों से प्राप्त होने बाला एक कठोर पदार्थ जो भवन निर्माण में प्रयुक्त होता है। इस शब्द का मूल संस्कृत शब्द पाषाण है। श्रेणी:भवन निर्माण.

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फर्श

अलंकृत फर्श फर्श भवन का वह अंग है जो चलने-फिरने के काम आता है। कच्ची मिट्टी के फर्श से लेकर आधुनिक तकनीक से बने बहु-स्तरीय फर्श तक अनेकों प्रकार के फर्श होते हैं। अच्छे फर्श से भवन की शोभा ही नहीं बढ़ती वरन् उसे आसानी से साफ सुथरा रखा जा सकता है। फर्श पत्थर, लकड़ी, बाँस, धातु या कंक्रीट आदि की हो सकती है। प्रायः फर्श के दो भाग होते हैं- नीचे का भाग, जो लोड सहन करने के ध्येय से बनाया जाता है, तथा ऊपरी फर्श जो चलने के लिये अच्छा हो और सुन्दर दिखे। आधुनिक भवनों में फर्श के नीचे ही बिजली के तार, पानी के पाइप आदि बिछाये गये होते हैं। .

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सड़क

सड़क ऐसे भूमि पर बने हुए ऐसे मार्ग को कहते हैं जिसे समतल बनाकर या अन्य रूप से विकसित करके उसपर किसी वाहन के ज़रिए परिवहन में आसानी कर दी गई हो। आधुनिक गाड़ियों के चलाने के लिए सड़कों पर अक्सर टूटे पत्थरों की परत के ऊपर तारकोल फैलाया हुआ होता है। विकसित सड़कों पर विपरीत दिशाओं में जाने वाले वाहनों को सड़क विभाजित करके अलग लेनों में भी डाला जाता है। पैदल चल रहे व्यक्तियों की सुविधा के लिए अक्सर सड़कों के साथ-साथ फ़ुटपाथ भी बनाए जाते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में सड़कें लगभग ३००० ईसापूर्व काल से बन रही हैं। .

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सड़क सतह

पत्थर की छोटी फर्शियों से बनी सड़क की सतह एक सड़क जिसकी ऊपरी स्तह ऐस्फाल्ट की बनी है। गाड़ियों के चलने के उद्देश्य से बनायी गयी या पैदल चलने के बनी किसी मार्ग के सतह पर बिछाए सतह को कुट्टिम (pavement) कहते हैं। पूर्वकाल में बजरी (ग्रेवेल), फर्शी पत्थर (cobblestone) और ग्रेनाइट सेटों का बहुधा प्रयोग होता था। किन्तु अब इनकी जगह अधिकांशतः ऐस्फ़ाल्ट और कांक्रीट ने ले लिया है। किसी सड़क का काम केवल यही नहीं है कि वह गाड़ियाँ चलाने के लिए पर्याप्त पुष्ट हो, बल्कि वह गाड़ियों के भार और मौसम के प्रभाव से होनेवाली टूट फूट भी सहे। स्थानीय मिट्टी में ये सब उद्देश्य भली भाँति पूरा करने की सामर्थ्य संभवतः न हो, अत: संरचना की दृष्टि से उपयुक्त सतह की व्यवस्था करने का बड़ा महत्व है। संरचनात्मक दृष्टिकोण से उपयुक्त होने के अतिरिक्त सड़क की सतह में सर्वाधिक अपेक्षित गुण ये हैं: स्थिरीकृत मिट्टीवाली निकृष्ट कोटि से लेकर, सीमेंट ओर ऐस्फाल्टी कंक्रीट की उत्कृष्ट कोटि तक की विभिन्न प्रकार की सतहें होती हैं। इनके बीच बजरी की, पानीकुटौ मैकेडम और हलके बिटूमेनी आवरणवाली सड़कें होती हैं। किसी सड़क के लिए किस प्रकार की सतह उपयुक्त होगी, इसका चुनाव करने में यातायात की प्रगाढ़ता एवं प्रकार, सड़क का महत्व और धन की उपलब्धता सरीखे घटक ध्यान में रखने चाहिए। आरंभ में सोच विचारकर व्यय किया हुआ धन बाद में घटी हुई अनुरक्षण लागत के रूप में भली भाँति वसूल हो सकता है। निवारक उपाय उपचार से उत्तम होता है। यह सड़क के लिए उपयुक्त सतह चुनने के क्षेत्र में भी भली भाँति लागू होता है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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खपरैल

खपरैल से ढकी हुई घर की छत किसी मिट्टी, पत्थर, धातु, काच आदि कठोर पदार्थ से बने टुकड़े को खपरे या खपरैल (टाइल) कहते हैं। ग्रामीण भारत में घरों पर छाया का मुख्य साधन है, उपयोग प्रायः छत, फर्श, दीवार आदि ढकने में होता है। .

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