किंग्सफोर्ड और प्रफुल्ल चाकी के बीच समानता
किंग्सफोर्ड और प्रफुल्ल चाकी आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): खुदीराम बोस, किंग्सफोर्ड, कोलकाता, १९०८, ३० अप्रैल।
खुदीराम बोस
युवा क्रान्तिकारी '''खुदीराम बोस''' (१९०५ में) खुदीराम बोस (बांग्ला: ক্ষুদিরাম বসু; जन्म: ३-१२-१८८९ - मृत्यु: ११ अगस्त १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में हिन्दुस्तान की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि खुदीराम से पूर्व १७ जनवरी १८७२ को ६८ कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय १३ वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नम्बर ५०वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढी कसकर पकड ली और तब तक नहीं छोडी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गये बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था। (देखें सरफरोशी की तमन्ना भाग ४ पृष्ठ १३) .
किंग्सफोर्ड और खुदीराम बोस · खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ·
किंग्सफोर्ड
किंग्सफोर्ड कोलकाता के चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट थे। क्रांतिकारियों को अपमानित करने और उन्हें दण्ड देने के लिए बहुत बदनाम था। ब्रिटिश सरकार ने किंग्सफोर्ड के प्रति जनता के आक्रोश को भाँप कर उसकी सरक्षा की दृष्टि से उसे सेशन जज बनाकर मुजफ्फरपुर भेज दिया। बंगाल के क्रांतिकारियों ने अपने बीच से प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस कोई इनकी हत्या के लिये तैयार किया और वे उसके पीछे-पीछे मुजफ्फरपुर पहुँच गए। दोनों ने किंग्सफोर्ड की गतिविधियों का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद ३० अप्रैल १९०८ ई० को किंग्सफोर्ड पर उस समय बम फेंक दिया जब वह बग्घी पर सवार होकर यूरोपियन क्लब से बाहर निकल रहा था। लेकिन जिस बग्घी पर बम फेंका गया था उस पर किंग्सफोर्ड नहीं था बल्कि बग्घी पर दो यूरोपियन महिलाएँ सवार थीं। वे दोनों इस हमले में मारी गईं। .
किंग्सफोर्ड और किंग्सफोर्ड · किंग्सफोर्ड और प्रफुल्ल चाकी ·
कोलकाता
बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .
किंग्सफोर्ड और कोलकाता · कोलकाता और प्रफुल्ल चाकी ·
१९०८
१९०८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .
किंग्सफोर्ड और १९०८ · प्रफुल्ल चाकी और १९०८ ·
३० अप्रैल
30 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 120वॉ (लीप वर्ष में 121 वॉ) दिन है। साल में अभी और 245 दिन बाकी है। .
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
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किंग्सफोर्ड और प्रफुल्ल चाकी के बीच तुलना
किंग्सफोर्ड 6 संबंध है और प्रफुल्ल चाकी 21 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 18.52% है = 5 / (6 + 21)।
संदर्भ
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