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कर्णचेदि और कलचुरी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कर्णचेदि और कलचुरी के बीच अंतर

कर्णचेदि vs. कलचुरी

कर्ण (चेदि) (१०४१-११७३ ई.), कलचुरि वंश का सबसे प्रतापी शासक था। वह चेदि नामक प्राचीन भारतीय महाजनपद राज्य का राजा था। लगभग सन्‌ 1041 में अपने पिता चेदीश्वर गांगेयदेव की मृत्यु होने पर राजगद्दी पर बैठा। उसने अनेक राजाओं को हराया। किंतु कर्ण केवल योद्धा ही नहीं, भारतीय संस्कृति का भी पोषक था। काशी में उसने कर्णमेरु नाम का द्वादशभूमिक मंदिर बनाया। प्रयाग में कर्णतीर्थ का निर्माण कर उसने अपनी कीर्ति को चिरस्थायी किया। उसने विद्वान्‌ ब्राह्मणों के लिए कर्णावती नामक ग्राम की स्थापना की और काशी को अपनी राजधानी बनाया। ब्राह्मणों को उसने अनेक दान दिए और अपने कर्ण का नाम सार्थक किया। उसके दरबार के अनेक कवियों में विशेष रूप से वल्लण, नाचिराज, कर्पूर, विद्यापति और कनकामर के नाम उल्लेख्य हैं। कश्मीरी कवि विल्हण को भी उसने सत्कृत किया था। . कलचुरी वंश बुंदेलखंड का एक महत्‍वपूर्ण शासक रहा है। उनके शासनकाल के दौरान बुंदेलखंड में कई युद्ध हुए और निरंतर अनिश्चय का वातावरण रहा। कलचुरी वंश लगभग तीन सौ वर्ष तक दक्षिणी बुंदेलखंड का शासक रहा। बारहवीं शताब्दी में चंदेल शासकों की बढ़ती शक्ति के कारण कलचुरियों का पराभव हुआ। कलचुरी शैवोपासक थे इसलिए उनके बनवाए मदिरों में शिव मंदिर अधिक हैं। उनमें त्रिदेवों की पूजा भी होती थी। स्‍थापत्‍य और मूर्तिकला को कलचुरियों ने काफी प्रोत्‍साहन दिया। ऐसी भी धारणा है कि समाज में विभिन्न वर्गों में उपजातियों का निर्माण इसी काल में हुआ था। श्रेणी:बुंदेलखंड.

कर्णचेदि और कलचुरी के बीच समानता

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कर्णचेदि और कलचुरी के बीच तुलना

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संदर्भ

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