कथासरित्सागर और स्वप्नवासवदत्ता के बीच समानता
कथासरित्सागर और स्वप्नवासवदत्ता आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बृहत्कथामञ्जरी, संस्कृत भाषा, सोमदेव, क्षेमेंद्र।
बृहत्कथामञ्जरी
बृहत्कथामंजरी क्षेमेन्द्र द्वारा रचित प्रसिद्ध संस्कृत ग्रन्थ है। यह बृहत्कथा का अत्यंत रोचक तथा सरस संक्षेप हैं। ग्रंथ लंबकों में विभक्त है, जिसमें प्रथम लंबक कथापीठ, द्वितीय लंबक 'कथामुख', तृतीय 'लावणक', चतुर्थ लंबक नरवाहनदत्त का जन्म, पंंचम चतुर्दारिका, षष्ठ सूर्यप्रभा, सप्तम् मदनमंचुका, अष्टम वेला, नवम् शशांकवती, दशम् विषमशील, एकादश मदिरावती, द्वादश पद्मावती, त्रयोदश पंच, चतुर्दश रत्नप्रभा, पंचदश अलंकारवती, षष्ठदश शक्तियशस्, सप्तदश महाभिषेक, अष्टदश सुरतमंजरी है.
कथासरित्सागर और बृहत्कथामञ्जरी · बृहत्कथामञ्जरी और स्वप्नवासवदत्ता ·
संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
कथासरित्सागर और संस्कृत भाषा · संस्कृत भाषा और स्वप्नवासवदत्ता ·
सोमदेव
सोमदेव (अनुमानतः ग्यारहवीं शताब्दी) कथासरित्सागर के रचयिता हैं। वे कश्मीर के निवासी थे। सोमदेव के जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं है। उनके पिता का नाम 'राम' था। सम्भवतः १०६३ और १०८१ के मध्य उन्होने रानी सूर्यमती के चित्तविनोद के लिये उन्होने इस महाग्रन्थ की रचना की। सूर्यमती जालन्धर की राजकुमारी और कश्मीर के राजा अनन्तदेव की पत्नी थीं। कहा जाता है कि भयानक राजनैतिक अशान्ति, रक्तपात और जटिल परिस्थितियों के कारण बिषादग्रस्त हुई रानी के मानसिक स्वास्थ्य के लिये इस ग्रन्थ की रचना हुई। सोमदेव शैव ब्राह्मण थे। तथापि बौद्ध धर्म के प्रति भी उनकी अगाध श्रद्धा थी। कथासरित्सागर के किसी-किसी कथा में इसी कारण बौद्ध प्रभाव परिलक्षित होता है। .
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क्षेमेंद्र
क्षेमेन्द्र (जन्म लगभग 1025-1066) संस्कृत के प्रतिभासंपन्न काश्मीरी महाकवि थे। ये विद्वान ब्राह्मणकुल में उत्पन्न हुए थे। ये सिंधु के प्रपौत्र, निम्नाशय के पौत्र और प्रकाशेंद्र के पुत्र थे। इन्होंने प्रसिद्ध आलोचक तथा तंतरशास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान् अभिनवगुप्त से साहित्यशास्त्र का अध्ययन किया था। इनके पुत्र सोमेन्द्र ने पिता की रचना बोधिसत्त्वावदानकल्पलता को एक नया पल्लव (कथा) जोड़कर पूरा किया था। .
कथासरित्सागर और क्षेमेंद्र · क्षेमेंद्र और स्वप्नवासवदत्ता ·
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कथासरित्सागर और स्वप्नवासवदत्ता के बीच तुलना
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संदर्भ
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