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कथकली और पार्वती बाउल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कथकली और पार्वती बाउल के बीच अंतर

कथकली vs. पार्वती बाउल

कथकली नृत्यकथकली मालाबार, कोचीन और त्रावणकोर के आस पास प्रचलित नृत्य शैली है। केरल की सुप्रसिद्ध शास्त्रीय रंगकला है कथकली। 17 वीं शताब्दी में कोट्टारक्करा तंपुरान (राजा) ने जिस रामनाट्टम का आविष्कार किया था उसी का विकसित रूप है कथकली। यह रंगकला नृत्यनाट्य कला का सुंदरतम रूप है। भारतीय अभिनय कला की नृत्य नामक रंगकला के अंतर्गत कथकली की गणना होती है। रंगीन वेशभूषा पहने कलाकार गायकों द्वारा गाये जानेवाले कथा संदर्भों का हस्तमुद्राओं एवं नृत्य-नाट्यों द्वारा अभिनय प्रस्तुत करते हैं। इसमें कलाकार स्वयं न तो संवाद बोलता है और न ही गीत गाता है। कथकली के साहित्यिक रूप को 'आट्टक्कथा' कहते हैं। गायक गण वाद्यों के वादन के साथ आट्टक्कथाएँ गाते हैं। कलाकार उन पर अभिनय करके दिखाते हैं। कथा का विषय भारतीय पुराणों और इतिहासों से लिया जाता है। आधुनिक काल में पश्चिमी कथाओं को भी विषय रूप में स्वीकृत किया गया है। कथकली में तैय्यम, तिरा, मुडियेट्टु, पडयणि इत्यादि केरलीय अनुष्ठान कलाओं तथा कूत्तु, कूडियाट्टम, कृष्णनाट्टम आदि शास्त्रीय (क्लासिक) कलाओं का प्रभाव भी देखा जा सकता है। . पार्वती बाउल (जन्म १९७६) बंगाल से एक बाउल लोक गायिका, संगीतज्ञ एवं मौखिक कथावाचक हैं। ये भारत की अग्रणी बाउल संगीतज्ञ भी हैं। बाउल गुरु, सनातन दास बाउल, शशांको घोष बाउल की देखरेख में, ये भारत एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बाउल कार्यक्रम १९९५ से करती आ रही हैं। इनका विवाह रवि गोपालन नायर, जो एक जाने माने पाव कथकली दस्ताने वाली कठपुतलीकार हैं, से हुआ। अब पार्वती १९९७ से तिरुवनंतपुरम, केरल में रहती हैं। यहां वे एकतारा बाउल संगीत कलारी नामक बाउल संगीत विद्यालय भी चलाती हैं। संगीत के अलावा पार्वती पेंटिंग, प्रिंट मेकिंग, नाटक, नृत्य और चित्रों की सहायता से किस्सागोई की विधा में भी महारत रखती हैं। .

कथकली और पार्वती बाउल के बीच समानता

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कथकली और पार्वती बाउल के बीच तुलना

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संदर्भ

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