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उलार्क सूर्य मंदिर और भरतपुर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उलार्क सूर्य मंदिर और भरतपुर के बीच अंतर

उलार्क सूर्य मंदिर vs. भरतपुर

उलार्क सूर्य मंदिर अब उलार नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि भगवान कृष्ण के वंशज साम्ब को कुष्ठ व्याधि हुई जिससे मुक्ति के लिये साम्ब ने देश के १२ जगहों पर भव्य सूर्य मन्दिर बनवाए थे और भगवान सूर्य की आराधना की थी। ऐसा कहा जाता है तब साम्ब को कुष्ठ से मुक्ति मिली थी। उन्ही १२ मन्दिरो में उलार एक है। अन्य सूर्य मंदिरो में देवार्क, लोलार्क, पूण्यार्क, औंगार्क, कोणार्क, चाणार्क आदि शामिल है। यहाँ की मूर्तियाँ पालकालीन है जो काले पत्थर (ब्लैक स्टोन) से निर्मित हैं। बताते हैं कि मुगलकाल में विदेशी आक्रमणकारियों ने देश के कई प्रमुख मंदिरो के साथ उलार मन्दिर को भी काफी क्षति पहुँचाई थी। बाद में भरतपुर नरेश के वंशजो द्वारा इस पौराणिक मन्दिरो के जीर्णोद्धार की बात कही जाती है। बताते हैं कि संत अलबेला बाबा करीब १८५२-१८५४ के बीच उलार्क आए और जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। खुदाई के दौरान यहाँ शिव, पार्वती, गणेश आदि देवताओं की दर्जनो विखंडित पालकालीन दुर्लभ मूर्तियाँ मिलीं। उलार मंदिर में नेटुआ (एक विशेष जाति) नचाने की प्रथा अब भी कायम है जो इसकी खासियत है। इस प्रथा का जिन महिलाओ को पता है वे अपने आँचल को जमीन पर बिछा देती है जिसपर नेटुआ नाचते हुए बाजा बजाता है। माना जाता है कि सूर्य देवता इससे प्रसन्न होते हैं। यहाँ छठ के अतिरिक्त रविवार को भी दूर-दूर से अनेक श्रद्धालु महिलायें खासतौर पर पूजा-अर्चना के लिये जुटती है। साथ ही साथ यहाँ भव्य मेला भी लगता है। श्रेणी:सूर्य मंदिर. भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .

उलार्क सूर्य मंदिर और भरतपुर के बीच समानता

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संदर्भ

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