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आरम्भवाद और न्यायशास्त्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आरम्भवाद और न्यायशास्त्र के बीच अंतर

आरम्भवाद vs. न्यायशास्त्र

आरंभवाद - कार्य संबंधी न्यायशास्त्र का सिद्धांत। कारणों से कार्य की उत्पत्ति होती है। उत्पत्ति के पहले कार्य नहीं होता। यदि कार्य उत्पत्ति के पहले रहता तो उत्पादन की आवश्यकता ही न होती। इसी सार्वजनीन अनुभव के आधार पर न्यायशास्त्र में उत्पन्न कार्य को उत्पत्ति के पहले असत्‌ माना जाता है। बहुत से कारण (कारणसामग्री) एकत्र होकर किसी पहले के असत्‌ कार्य का निर्माण आंरभ करते हैं। इसी असत्‌ कार्य के निर्माण के सिद्धांत को आरंभवाद कहा जाता है। इस सिद्धांत के विपरीत सत्‌ कार्यवादी दर्शन में चूंकि कार्य उत्पत्ति के पहले सत्‌ माना गया है, वहाँ कार्य का नए सिरे से आरंभ नहीं माना जाता। केवल दिए हुए कार्य को स्पष्ट कर देना ही कार्य की उत्पत्ति होती है। यही कारण है कि सांख्य, वेदांत आदि दर्शनों के आरंभवाद का विरोध किया गया है और परिणामवाद या विवर्तवाद की स्थापना की गई है। भूतार्थवादी न्यायदर्शन को उत्पत्ति के पूर्व कार्य की स्थिति मानना हास्यास्पद लगता है। यदि तेल पहले से विद्यमान है तो तिल को पेरने का कोई प्रयोजन नहीं। यदि तिल को पेरा जाता है तो सिद्ध है कि तेल पहले नहीं था। यदि मान भी लिया जाय कि तिल में तेल छिपा था, पेरने से प्रकट हो गया तो भी आरंभवाद की ही पुष्टि होती है। उपभोग योग्य तेल पहले नहीं था और पेरने के बाद ही उस तेल की उत्पत्ति हुई। अत: न्याय के अनुसार कार्य सर्वदा अपने कारणों से नवीन होता है। श्रेणी:भारतीय दर्शन. लॉ के फिलोज़ोफर्स पूछते है "कानून क्या है?"और "यह क्या हो सकता है?" न्यायशास्त्र कानून (विधि) का सिद्धांत और दर्शन है। न्यायशास्त्र के विद्वान अथवा कानूनी दार्शनिक, विधि (कानून) की प्रवृति, कानूनी तर्क, कानूनी प्रणालियां एवं कानूनी संस्थानों का गहन ज्ञान पाने की उम्मीद रखते हैं। आधुनिक न्यायशास्त्र की शुरुआत 18वीं सदी में हुई और प्राकृतिक कानून, नागरिक कानून तथा राष्ट्रों के कानून के सिद्धांतों पर सर्वप्रथम अधिक ध्यान केन्द्रित किया गया। साधारण अथवा सामान्य न्यायशास्त्र को प्रश्नों के प्रकार के द्वारा उन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है अथवा इन प्रश्नों के सर्वोत्तम उत्तर कैसे दिए जायं इस बारे में न्यायशास्त्र के सिद्धांतों अथवा विचारधाराओं के स्कूलों दोनों ही तरीकों से पता लगाकर जिनकी चर्चा विद्वान करना चाहते हैं। कानून का समकालीन दर्शन, जो सामान्य न्यायशास्त्र से संबंधित हैं, समस्याओं की चर्चा मोटे तौर पर दो वर्गों में करता है:शाइनर, "कानून के दार्शनिक", कैंब्रिज डिक्शनरी ऑफ़ फिलोज़ोफी.

आरम्भवाद और न्यायशास्त्र के बीच समानता

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आरम्भवाद और न्यायशास्त्र के बीच तुलना

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संदर्भ

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