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आयुर्वेद और सात्विक आहार

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

आयुर्वेद और सात्विक आहार के बीच अंतर

आयुर्वेद vs. सात्विक आहार

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद . वह आहार जिसमें सत्व गुण की प्रधानता हो, सात्विक आहार कहलाता है। योग एवं आयुर्वेद कहा गया है कि सात्विक आहार के सेवन से मनुष्य का जीवन सात्विक बनता है। यौगिक और सात्विक आहार की श्रेणी में ऐसे भोजन को शामिल किया जाता है जो व्यक्ति के तन और मन को शुद्ध, शक्तिवर्द्धक, स्वस्थ और प्रसन्नता से भर देता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सात्विक आहार व्यक्ति को संतुलित स्वस्थ शरीर, शांति, सामंजस्यपूर्ण तालमेल की कुशलता और बौद्धिक व्यक्तित्व प्रदान करता है। सात्विक आहार शांत व स्पष्ट मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है। जिस प्रकार एक सी प्रवृत्ति वाली वस्तुएं, परस्पर प्रतिबिंबित होती हैं, उसी प्रकार सात्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण होती हैं, उसी प्रकार सात्विक व यौगिक आहार भी शांतिपूर्ण (उत्तेजना रहित) व स्वच्छ (अशुद्धियों से रहित) होता है। सात्विक भोजन आयुर्वेद के प्राचीन नियमों पर आधारित है, जो सामान्य व पारंपरिक विधियों से तैयार किया जाता है। योगशास्त्रों और साधना ग्रन्थों ने अन्तःकरण को पवित्र एवं परिष्कृत करने के लिए सात्विक आहार ही अपनाने को कहा है। गीता में कृष्ण ने सात्विक, राजसी और तामसी आहार की सुस्पष्ट व्याख्या की है तथा शरीर, मन और बुद्धि पर उसके पड़ने वाले प्रभावों का भी स्पष्ट विवेचना किया है। आत्मिक प्रगति के आकांक्षी और साधना मार्ग के पथिकों के लिए इस बात का निर्देश दिया गया है कि सात्विक आहार ही अपनाया जाये और उसकी सात्विकता को भी भावनाओं का सम्पुट देकर आत्मिक चेतना में अधिक सहायता दे सकने योग्य बनाया जाय। भगवान् का भोग प्रसाद, यज्ञाग्नि में पकाया गया चरुद्रव्य इसी प्रकार के पदार्थ हैं जिनकी स्थूल विशेषता न दिखाई देने पर भी उनकी सूक्ष्म सामर्थ्य बहुत अधिक होती है। .

आयुर्वेद और सात्विक आहार के बीच समानता

आयुर्वेद और सात्विक आहार आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): योग

योग

पद्मासन मुद्रा में यौगिक ध्यानस्थ शिव-मूर्ति योग भारत और नेपाल में एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द, प्रक्रिया और धारणा बौद्ध धर्म,जैन धर्म और हिंदू धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बंधित है। योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत्‌ में लोग इससे परिचित हैं। इतनी प्रसिद्धि के बाद पहली बार ११ दिसंबर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष २१ जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। भगवद्गीता प्रतिष्ठित ग्रंथ माना जाता है। उसमें योग शब्द का कई बार प्रयोग हुआ है, कभी अकेले और कभी सविशेषण, जैसे बुद्धियोग, संन्यासयोग, कर्मयोग। वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं पतंजलि योगदर्शन में क्रियायोग शब्द देखने में आता है। पाशुपत योग और माहेश्वर योग जैसे शब्दों के भी प्रसंग मिलते है। इन सब स्थलों में योग शब्द के जो अर्थ हैं वह एक दूसरे के विरोधी हैं परंतु इस प्रकार के विभिन्न प्रयोगों को देखने से यह तो स्पष्ट हो जाता है, कि योग की परिभाषा करना कठिन कार्य है। परिभाषा ऐसी होनी चाहिए जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषों से मुक्त हो, योग शब्द के वाच्यार्थ का ऐसा लक्षण बतला सके जो प्रत्येक प्रसंग के लिये उपयुक्त हो और योग के सिवाय किसी अन्य वस्तु के लिये उपयुक्त न हो। .

आयुर्वेद और योग · योग और सात्विक आहार · और देखें »

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आयुर्वेद और सात्विक आहार के बीच तुलना

आयुर्वेद 69 संबंध है और सात्विक आहार 6 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.33% है = 1 / (69 + 6)।

संदर्भ

यह लेख आयुर्वेद और सात्विक आहार के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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