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अवंती और महाभारत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अवंती और महाभारत के बीच अंतर

अवंती vs. महाभारत

अवंती मालव जनपद का प्राचीन नाम, जिसका उल्लेख महाभारत में भी हुआ है। अंवतिनरेश ने युद्ध में कौरवों की सहायता की थी। वस्तुत: यह आधुनिक मालवा का पश्चिमी भाग है जिसकी राजधानी उज्जयिनी थी, जिस राजधानी का दूसरा नाम स्वयं अवंती भी था। पौराणिक हैहयों ने उसी जनपद की दक्षिणी राजधानी माहिष्मती (मांधाता) में राज किया था। सहस्रबाहु अर्जुन वहीं का राजा बताया जाता है। बुद्ध के जीवनकाल में अवंती विशाल राज्य बन गया और वहाँ प्रद्योतों का कुल राज करने लगा। उस कुल का सबसे शक्तिमान्‌ राजा चंड प्रद्योत महासेन था जिसने पहले तो वत्स के राजा उदयन को कपटगज द्वारा बंदी कर लिया, पर जिसकी कन्या वासवदत्ता का उदयन ने हरण किया। अवंती ने वत्स को जीत लिया था, पंरतु बाद उसे स्वयं मगध की बढ़ती सीमाओं में समा जाना पड़ा। बिंदुसार और अशोक के समय अवंती साम्राज्य का प्रधान मध्यवर्ती प्रांत था जिसकी राजधानी उज्जयिनी में मगध का प्रांतीय शासक रहता था। अशोक स्वयं वहाँ अपनी कुमारावस्था में रह चुका था। उसी जनपद में विदिशा में शुंगों की भी एक राजधानी थी जहाँ सेनापति पुष्यमित्र शुंग का पुत्र राजा अग्निमित्र शासन करता था। जब मालव संभवत: सिकंदर और चंद्रगुप्त की चोटों से रावी के तट से उखड़कर जयपुर की राह दक्षिण की ओर चले थे, तब अंत में अनुमानत: शकों को हराकर अवंती में ही बस गए थे और उन्हीं के नाम से बाद में अवंती का नाम मालवा पड़ा। श्रेणी:भारत का प्राचीन भूगोल श्रेणी:मालवा. महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

अवंती और महाभारत के बीच समानता

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संदर्भ

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