अल्पतंत्र और द्वैध शासन
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अल्पतंत्र और द्वैध शासन के बीच अंतर
अल्पतंत्र vs. द्वैध शासन
IWW का "पूँजीवादी तंत्र का पिरैमिड"(1911 ई) नामक पोस्टर, जिसमें स्वल्पतंत्र का एक अराजक चित्र खींचा गया है। स्वल्पतंत्र या 'ओलिगार्की' (Oligarchy) सामाजिक संगठन का वह स्वरूप है जिसमें राजनीतिक शक्ति मुख्य रूप से धनवान अभिजात्य वर्ग के हाथों में होती है। यह धनवान अभिजात्य वर्ग पूरी आबादी का एक छोटा सा हिस्सा होता है और वे अपनी इस राजनीतिक शक्ति का प्रयोग अपने ही वर्ग की हितरक्षा के लिये करते हैं। . जब दो शासक एक साथ सत्ता का उपभोग करते है तो इसे द्वैध शासन (Diarchy) कहते है। प्रायः देखा गया है की शासक अपने पद को आजीवन ग्रहण किया रहता है तथा वो इसे अपने पुत्र या सगे-संबंधियो को सुपुर्द करता है। 'द्वैध शासन' का सिद्धान्त सबसे पहले लियोनेल कर्टिस नामक अंग्रेज ने प्रतिपादित किया था जो बहुत दिनों तक 'राउण्ड टेबिल' का सम्पादक रहा। बाद में यह सिद्धान्त 1919 ई. के 'भारतीय शासन विधान' में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रान्तों में द्वैध शासन स्थापित हुआ। उदाहरण के लिए, १७६५ में बंगाल, बिहार और ऊड़ीसा में भू-राजस्व वसूलने का अधिकार ईस्ट इंडिया कम्पनी के पास था जबकि प्रशासन बंगाल के नवाब के नाम से चलता था। अतः सत्ता के दो केन्द्र थे। .
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संदर्भ
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