लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

अनुमान और चार्वाक दर्शन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अनुमान और चार्वाक दर्शन के बीच अंतर

अनुमान vs. चार्वाक दर्शन

अनुमान, दर्शन और तर्कशास्त्र का पारिभाषिक शब्द है। भारतीय दर्शन में ज्ञानप्राप्ति के साधनों का नाम प्रमाण हैं। अनुमान भी एक प्रमाण हैं। चार्वाक दर्शन को छोड़कर प्राय: सभी दर्शन अनुमान को ज्ञानप्राप्ति का एक साधन मानते हैं। अनुमान के द्वारा जो ज्ञान प्राप्त होता हैं उसका नाम अनुमिति हैं। प्रत्यक्ष (इंद्रिय सन्निकर्ष) द्वारा जिस वस्तु के अस्तित्व का ज्ञान नहीं हो रहा हैं उसका ज्ञान किसी ऐसी वस्तु के प्रत्यक्ष ज्ञान के आधार पर, जो उस अप्रत्यक्ष वस्तु के अस्तित्व का संकेत इस ज्ञान पर पहुँचने की प्रक्रिया का नाम अनुमान है। इस प्रक्रिया का सरलतम उदाहरण इस प्रकार है-किसी पर्वत के उस पार धुआँ उठता हुआ देखकर वहाँ पर आग के अस्तित्व का ज्ञान अनुमिति है और यह ज्ञान जिस प्रक्रिया से उत्पन्न होता है उसका नाम अनुमान है। यहाँ प्रत्यक्ष का विषय नहीं है, केवल धुएँ का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है। पर पूर्वकाल में अनेक बार कई स्थानों पर आग और धुएँ के साथ-साथ प्रत्यक्ष ज्ञान होने से मन में यह धारणा बन गई है कि जहाँ-जहाँ धुआँ होता है वहीं-वहीं आग भी होती है। अब जब हम केवल धुएँ का प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और हमको यह स्मरण होता है कि जहाँ-जहाँ धुआँ है वहाँ-वहाँ आग होती है, तो हम सोचते हैं कि अब हमको जहाँ धुआँ दिखाई दे रहा हैं वहाँ आग अवश्य होगी: अतएव पर्वत के उस पार जहाँ हमें इस समय धुएँ का प्रत्यक्ष ज्ञान हो रहा है अवश्य ही आग वर्तमान होगी। इस प्रकार की प्रक्रिया के मुख्य अंगों के पारिभाषिक शब्द ये हैं. चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। चार्वाक प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र ग्रन्थ में अर्थशास्त्र का एक प्रधान आचार्य माना है। .

अनुमान और चार्वाक दर्शन के बीच समानता

अनुमान और चार्वाक दर्शन आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चार्वाक दर्शन, दर्शनशास्त्र, प्रमाण

चार्वाक दर्शन

चार्वाक दर्शन एक भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह मात्र प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है तथा पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक, और आर्हत। इन सभी में वेद से असम्मत सिद्धान्तों का प्रतिपादन है। चार्वाक प्राचीन भारत के एक अनीश्वरवादी और नास्तिक तार्किक थे। ये नास्तिक मत के प्रवर्तक बृहस्पति के शिष्य माने जाते हैं। बृहस्पति और चार्वाक कब हुए इसका कुछ भी पता नहीं है। बृहस्पति को चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र ग्रन्थ में अर्थशास्त्र का एक प्रधान आचार्य माना है। .

अनुमान और चार्वाक दर्शन · चार्वाक दर्शन और चार्वाक दर्शन · और देखें »

दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

अनुमान और दर्शनशास्त्र · चार्वाक दर्शन और दर्शनशास्त्र · और देखें »

प्रमाण

प्रमाण या सिद्धि (Proof) निम्नलिखित अर्थों में प्रयुक्त हो सकता है.

अनुमान और प्रमाण · चार्वाक दर्शन और प्रमाण · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अनुमान और चार्वाक दर्शन के बीच तुलना

अनुमान 14 संबंध है और चार्वाक दर्शन 23 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 8.11% है = 3 / (14 + 23)।

संदर्भ

यह लेख अनुमान और चार्वाक दर्शन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »