अग्नि-6 और अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र के बीच समानता
अग्नि-6 और अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): अग्नि पंचम।
अग्नि पंचम
अग्नि पंचम (अग्नि-५) भारत की अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी अग्नि-५ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 5 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की प्रगत (उन्नत) प्रणाली प्रयोगशाला (Advanced Systems Laboratory) ने तैयार किया है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है MIRV तकनीक यानी एकाधिक स्वतंत्र रूप से लक्षित करने योग्य पुनः प्रवेश वाहन (Multiple Independently targetable Re -entry Vehicle), इस तकनीक की मदद से इस मिसाइल से एक साथ कई जगहों पर वार किया जा सकता है, एक साथ कई जगहों पर गोले दागे जा सकते हैं, यहां तक कि अलग-अलग देशों के ठिकानों पर एक साथ हमले किए जा सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल सड़क हो या हवा, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यही नहीं अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस की वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जिससे हम अपने दुश्मन के करीब पहुंच सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल की कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि न सिर्फ इसकी मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है, बल्कि ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। अग्नि-5 भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल है। अग्नी-5 के बाद भारत की गिनती उन 5 देशों में हो गई है जिनके पास है इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की है. ये करीब 10 साल का फासला है जब भारत की ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक पहुंची है। 2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल- मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल थी। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर आई अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें. ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज बालिस्टिक मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। और अब भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ परीक्षण करने जा रहा है अग्नि-5 मिसाइल का। 3 जून 2018 को प्रातः 9 बजकर 48 मिनट पर किया गया। जहां तक भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बालिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की खूबियों का सवाल है। तो ये करीब एक टन का पे-लोड ले जाने में सक्षम होगा। खुद अग्नि-5 मिसाइल का वजन करीब 50 टन है। अग्नि-5 की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है। अग्नि-5 सॉलिड फ्यूल की 3 चरणों वाली मिसाइल है। आज जब ओडिशा तट के व्हीलर आईलैंड से भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेन्टल बालिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा तो डीआरडीओ के प्रमुख डॉ॰ वी. के. सारस्वत समेत तमाम आला मिसाइल वैज्ञानिक मौजूद रहेंगे. अग्नि-5 में RING LASER GYROSCOPE यानि RLG तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। भारत में ही बनी इस तकनीक की खासियत ये हैं कि ये निशाना बेहद सटीक लगाती है। अगर सबकुछ ठीक से हुआ तो अग्नि-5 को 2014 से भारतीय सेना में शामिल कर दिया जाएगा। यही नहीं चीनी मिसाइल डोंगफेंग 31A को अग्नि-5 से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि अग्नि-5 की रेंज में चीन का सबसे उत्तरी शहर हार्बिन भी आता है जो चीन के डर की सबसे बड़ी वजह है। .
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अग्नि-6 और अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र के बीच तुलना
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संदर्भ
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