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संस्करण

सूची संस्करण

संस्करण संस्कृत की "कृ" धातु में (जिसका अर्थ है 'करना') सम् उपसर्ग मिलकर यह शब्द बनता है। संस्करोति, जिसका साधारण भाषा में अर्थ है 'भली प्रकार करना'। इसी से संस्कार या संस्करण बने जिनका अर्थ है भली प्रकार किया हुआ कार्य या परिष्कृत कार्य। प्रकाशन व्यवसाय के संबंध में संस्करण का अर्थ है मुद्रित वस्तु का एक बार प्रकाशन। वास्तव में प्रकाशन व्यवसाय के संदर्भ में भी संस्करण का परिष्कृत कार्यवाला अर्थ सटीक बैठता है। किसी भी पांडुलिपि को जब प्रकाशित किया जाता है तो मुद्रित पुस्तक का रूप पांडुलिपि के रूप से कहीं भिन्न होता है, अधिक सुंदर और आकर्षक तथा अपने समग्र रूप में अधिक परिष्कृत होता है। पांडुलिपि का संपादन होता है आवश्यकतानुसार चित्र बनते हैं, प्रेस में मुद्रण होता है, आकर्षक आवरण में भी ग्रंथ सज्जित किया जाता है, तब कहीं जाकर उसका प्रकाशन होता है। पुस्तक का "संस्करण" अपने अर्थ को सचमुच सार्थक करता है। संस्करण का प्रयोग कई अर्था में किया जाता है - जैसे, राज संकरण, सामान्य संस्करण और अब पाकेट बुक्स (या सस्ता) संस्करण। राज संस्करण में पुस्तक में कागज अच्छा लगाया जाता है, जिल्दबंदी ऊँचे किस्म की होती है और उसका मूल्य भी अधिक होता है सामान्य संस्करण, जैसा नाम से स्पष्ट है, सामान्य ही होता है और आम खरीदार को ध्यान में आमदनी को ध्यान में रखते हुए (क्योंकि मध्य वर्ग ही पुस्तकों का सबसे बड़ा पाठक है) अच्छी, महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पुस्तकों के सस्ते संस्करण प्रकाशित करने की प्रथा चल पड़ी है, जो समय के साथ साथ खूब फूली फली है। विदेशों में जिन पुस्तकों के सामान्य संस्करण की 3000-10000 प्रतियाँ बिकती हैं, उन्हीं के सस्ते संस्करण की 100000 से 200000 प्रतियाँ तक आसानी से बिक जाती हैं। लेखक और प्रकाशक दोनों को ही इससे अधिक लाभ होता है। हमारे देश में भी अब पाकेट बुक्स का प्रकाशन प्रारंभ हो गया है और द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। पुस्तकों का यह संस्करण सर्वाधिक उपयोगी है और पाठक जनता तक इसी की सर्वाधिक पहुँच है, इसीलिए बड़े से बड़े लेखक अपनी पुस्तकों के सस्ते संस्करण प्रकाशित कराने में आनंदित होते हैं। पहली बार प्रकाशित हो जाने के बाद जब किसी पुस्तक की सारी प्रतियाँ बिक जाती हैं तो कहा जाता है कि पुस्तक का एक संस्करण समाप्त हो गया। यदि पुस्तक की माँग हो तो उसे पुन: प्रकाशित किया जाता है। पुस्तक को यदि ज्यों का त्यों प्रकाशित कर दिया जाए तो उसे "पुनर्मुद्रण" कहते हैं, किंतु यदि उसे कुछ संशोधन, परिवर्तन, परिवर्धन के साथ प्रकाशित किया जाए तो उसे "नवीन संस्करण" कहा जाता है। दैनिक पत्रों के भी संस्करण होते हैं; जैसे, नगर संस्करण, पहला डाक संस्करण, दूसरा डाक संस्करण, सायं संस्करण आदि। प्रत्येक संस्करण में पत्र का रूप कुछ बदला हुआ रहता है। नगर संस्करण में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समाचारों, स्थायी स्तंभों, तथा अन्य प्रमुख समाचारों के साथ-साथ स्थानीय समाचारों को प्रमुखता दी जाती है। डाक संस्करण अलग अलग समय पर निकलते हैं और जिन नगरों या क्षेत्रों को भेजे जाने होते हैं उनसे संबंधित समाचारों पर उनमें जोर दिया जाता है। अनेक पत्रों के प्रात: और सायं संस्करण प्रकाशित होते हैं। पत्रों के संस्करणों में जो समाचार पुराने पड़ते जाते हैं वे पिछले पृष्ठों में क्रमश: डाल दिए जाते हैं और उनका स्थान नए प्रमुख समाचार लेते चले जाते हैं - यही क्रम चलता जाता है और चौबीस घंटे बाद वह समाचार अखबार से बाहर चला जाता है, बासी हो जाता है। उदाहरणत: यदि एक समाचार प्रात: संस्करण में दिया गया तो अगले दिन प्रात: से पहले के संस्करण तक में ही वह होगा, प्रात: संस्करण में नहीं। अनेक पत्रों के अंतरराष्ट्रीय संस्करण निकलते हैं। ये विशेष पतले कागज पर छापे जाते हैं और आजकल हवाई डाक से भेजे जाते हैं। अनेक दैनिक पत्रों के एक सप्ताह के प्रमुख समाचारों के सार संक्षेप में पुन: एक विशेष संस्करण में प्रकाशित करके विक्रीत होते हैं। श्रेणी:प्रकाशन श्रेणी:पुस्तक.

14 संबंधों: एओऍल, ऐज़ यू लाइक इट, द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रिलॉजी, बुलबुल, ब्लिट्ज, भाव प्रकाश, सुभाष चन्द्र बोस, स्लीपिंग ब्यूटी, स्वामी सोमदेव, हल्क होगन, वनिता, वन्दे मातरम्, ओरैकल डाटाबेस, के पी सक्सेना

एओऍल

AOL Inc.

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ऐज़ यू लाइक इट

1623 में प्रकाशित, फर्स्ट फोलिओ से ऐज़ यू लाइक इट के प्रथम पृष्ठ की प्रतिकृति. ऐज़ यू लाइक इट विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक पैस्टोरल कॉमेडी है, जिसे 1599 या 1600 की शुरूआत में लिखा हुआ मानते हैं और यह 1623 के फोलियो में पहली बार प्रकाशित हुआ। यह कृति थॉमस लॉज के गद्य प्रेम-कथा रॉसलिंड पर आधारित थी। हालांकि इस नाटक के पहले प्रदर्शन की जानकारी अनिश्चित है, परन्तु सुझावों के अनुसार, 1603 में विल्टन हाउस में इसके एक प्रदर्शन की संभावना जताई गई है। ऐज़ यू लाइक इट की कहानी नायिका रॉसलिंड के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उत्पीड़न के डर से अपनी चचेरी बहन सीलिया और महल के विदूषक टचस्टोन के साथ, अपने चाचा के महल से आर्डेन के जंगल में सुरक्षा और अंततः प्यार पाने के लिए भाग जाती है। ऐतिहासिक रूप से, इस पर आलोचकों की राय भिन्न रही है, कुछ आलोचकों के अनुसार यह कृति शेक्सपियर की अन्य कृतियों की तुलना में कम उत्कृष्ट है जबकि कुछ इस नाटक को बेहद उत्कृष्ट कृति मानते हैं। शेक्सपियर की एक सर्वाधिक प्रसिद्ध और अक्सर-प्रयुक्त उक्ति "ऑल दी वर्लड इज़ अ स्टेज" इसी नाटक का हिस्सा है, साथ ही यह "टू मच ऑफ अ गुड थिंग" वाक्यांश का मूल भी है। यह नाटक दर्शकों की पसंदीदा बनी रही और रेडियो, फिल्म और संगीतमय रंगमंच के लिए रूपांतरित की गई। .

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द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रिलॉजी

द लोर्ड ऑफ द रिंग्स फिल्म ट्रियोलॉजी, काल्पनिक महाकाव्य पर आधारित तीन एक्शन फिल्में हैं जिसमें द फेलोशिप ऑफ द रिंग (2001), द टू टावर्स(2002) और द रिटर्न ऑफ द किंग(2003) शामिल हैं। यह ट्रियोलॉजी तीन खंडों में विभाजित है और जे.आर.आर. टोलकिन द्वारा लिखित द लोर्ड ऑफ द रिंग्स किताब पर आधारित है। हालांकि ये फिल्में पुस्तक की सामान्य कहानी का ही अनुसरण करती है लेकिन साथ ही स्रोत सामग्री से कुछ अलग भी इसमें शामिल किया गया है। मध्य धरती के काल्पनिक दुनियां में सेट ये तीन फिल्में होब्बिट फ्रोडो बग्गीन्स के ईर्द-गिर्द ही घूमती हैं जिसमें वह और फेलोशिप एक रिंग को नष्ट करने की तलाश में निकलते हैं और उसके निर्माता डार्क लोर्ड सौरोन के विनाश को सुनिश्चित करते हैं। लेकिन फैलोशिप विभाजित हो जाता है और फ्रोडो अपने वफादार साथी सैम और विश्वासघाती गोल्लुम के साथ खोज जारी रखता है। इसी बीच, देश निकाला झेल रहे जादूगर गैंडाल्फ़ और एरागोर्न, जो गोन्डोर के सिंहासन के असल वारिस होते हैं, वे मध्य धरती के आजाद लोगों को एकजुट करते हैं और वे अंततः रिंग के युद्ध में विजयी होते हैं। पीटर जैक्सन इन तीनों फिल्म के निर्देशक हैं और इनका वितरण न्यू लाइन सिनेमा द्वारा की गई है। इसे आज तक के विशालतम और महत्वाकांक्षी फिल्म परियोजनाओं में से एक माना जाता है, जिसका बजट कुल मिलाकर 285 करोड़ डॉलर था और इस परियोजना को पूरा होने में लगभग आठ वर्ष लगे और सभी तीन फिल्मों को एक साथ प्रदर्शित करने के लिए जैक्शन के जन्मस्थान न्यूजीलैंड में बनाया गया। ट्रियोलॉजी के प्रत्येक फिल्म का विशेष वर्धित संस्करण भी था जिसे सिनेमाघरों में जारी होने के एक साल बाद डीवीडी में जारी किया गया था। सर्वकालीक फिल्मों के बीच इस ट्रियोलॉजी को सबसे ज्यादा वित्तीय सफलता प्राप्त हुई थी। इन फिल्मों की समीक्षकों ने खूब प्रशंसा की और कुल 30 अकादमी पुरस्कार में इनका नामांकन हुआ था जिसमें से कुल 17 पुरस्कार मिले और इसके कलाकारों के चरित्रों और अभिनव के लिए काफी सराहना की गई और साथ ही डिजिटल विशेष प्रभाव के लिए भी व्यापक रूप में प्रशंसा की गई। 2011 और 2012 में रिलीज़ होने वाली द होब्बिट एक फिल्म रुपांतर है जिसे दो भागोंमें बनाया जा रहा है, इसमें गिलर्मो डेल टोरो का जैक्सन सहयोग कर रहे हैं। .

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बुलबुल

बुलबुल, शाखाशायी गण के पिकनोनॉटिडी कुल (Pycnonotidae) का पक्षी है और प्रसिद्ध गायक पक्षी "बुलबुल हजारदास्ताँ" से एकदम भिन्न है। ये कीड़े-मकोड़े और फल फूल खानेवाले पक्षी होते हैं। ये पक्षी अपनी मीठी बोली के लिए नहीं, बल्कि लड़ने की आदत के कारण शौकीनों द्वारा पाले जाते रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि केवल नर बुलबुल ही गाता है, मादा बुलबुल नहीं गा पाती है। बुलबुल कलछौंह भूरे मटमैले या गंदे पीले और हरे रंग के होते हैं और अपने पतले शरीर, लंबी दुम और उठी हुई चोटी के कारण बड़ी सरलता से पहचान लिए जाते हैं। विश्व भर में बुलबुल की कुल ९७०० प्रजातियां पायी जाती हैं। इनकी कई जातियाँ भारत में पायी जाती हैं, जिनमें "गुलदुम बुलबुल" सबसे प्रसिद्ध है। इसे लोग लड़ाने के लिए पालते हैं और पिंजड़े में नहीं, बल्कि लोहे के एक (अंग्रेज़ी अक्षर -टी) (T) आकार के चक्कस पर बिठाए रहते हैं। इनके पेट में एक पेटी बाँध दी जाती है, जो एक लंबी डोरी के सहारे चक्कस में बँधी रहती है। .

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ब्लिट्ज

ब्लिट्ज एक भारतीय समाचार-पत्र था जिसके सम्पादक रूसी करंजिया थे। .

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भाव प्रकाश

भावप्रकाश आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ है। इसके रचयिता आचार्य भाव मिश्र थे। भावप्रकाश में आयुवैदिक औषधियों में प्रयुक्त वनस्पतियों एवं जड़ी-बूटियों का वर्णन है। भावप्रकाश, माधवनिदान तथा शार्ङ्गधरसंहिता को संयुक्त रूप से 'लघुत्रयी' कहा जाता है। भावप्रकाशनिघण्टु भावप्रकाश का एक खण्ड है जिसमें सभी प्रकार के औद्भिज, प्राणिज व पार्थिव पदार्थों के गुणकर्मों का विस्तृत विवेचन मूल संस्कृत श्लोकों, उनके हिन्दी अर्थ, समानार्थक अन्य भाषाओं के शब्दों व सम्पूर्ण व्याख्या सहित दिया गया है। .

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सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था। नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये? 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया। .

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स्लीपिंग ब्यूटी

सर एडवर्ड बरने-जोन्स द्वारा द स्लीपिंग ब्यूटी चित्रित. स्लीपिंग ब्यूटी (La Belle au Bois dormant "जंगल में सुप्त सौन्दर्य") एक खूबसूरत शहज़ादी और एक बांके शहज़ादे की क्लासिक परी कथा है। यह चार्ल्स पेरौलट द्वारा 1697 में कॉन्टेस डी मा मेरी इयोए ("टेल्स ऑफ मदर गूज") की प्रकाशित सेट की पहली कहानी है। हालांकि पेरौल्ट का संस्करण काफी मशहूर है, गियामबतिस्ता बेसिल के पेंटामेरोन में शामिल "सन, मून एंड टालिया" नामक कथा का एक पुराना संस्करण 1634 में प्रकाशित हुआ। अंग्रेजी भाषी दुनिया की सबसे परिचित स्लीपिंग ब्यूटी ' पर 1959 वाल्ट डिज्नी एनिमेटेड फिल्म बनी, जिसमें शाइकोवस्कि के बैले (1890 में सेंट पीटर्सबर्ग में प्रदर्शित) से भी उतना ही लिया गया है जितना कि पेरौल्ट से.

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स्वामी सोमदेव

स्वामी सोमदेव आर्य समाज के एक विद्वान धर्मोपदेशक थे। ब्रिटिश राज के दौरान पंजाब प्रान्त के लाहौर शहर में जन्मे सोमदेव का वास्तविक नाम ब्रजलाल चोपड़ा था। सन १९१५ में जिन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ के लिये आर्य समाज शाहजहाँपुर आये थे उन्हीं दिनों समाज की ओर से राम प्रसाद 'बिस्मिल' को उनकी सेवा-सुश्रूषा में नियुक्त किया गया था। किशोरावस्था में स्वामी सोमदेव की सत्संगति पाकर बालक रामप्रसाद आगे चलकर 'बिस्मिल' जैसा बेजोड़ क्रान्तिकारी बन सका। रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में मेरे गुरुदेव शीर्षक से उनकी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित जीवनी लिखी है। सोमदेव जी उच्चकोटि के वक्‍ता तो थे ही, बहुत अच्छे लेखक भी थे। उनके लिखे हुए कुछ लेख तथा पुस्तकें उनके ही एक भक्‍त के पास थीं जो उसकी लापरवाही से नष्‍ट हो गयीं। उनके कुछ लेख प्रकाशित भी हुए थे। लगभग 57 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .

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हल्क होगन

टेरी ज़ीन बोलिआ (जन्म 11 अगस्त 1953), जो अपने रिंग नाम हल्क होगन द्वारा बेहतर जाने जाते हैं, एक पेशेवर पहलवान हैं, जो अभी टोटल नॉन स्टॉप ऐक्शन रेस्लिंग के साथ अनुबंधित हैं। होगन को 1980 के दशक के मध्य से 1990 के दशक के प्रारंभ तक वर्ल्ड रेस्लिंग फ़ेडरेशन (WWF-अब वर्ल्ड रेस्लिंग एन्टरटेन्मेंट) में संपूर्ण अमरीकी, श्रमजीवी समुदाय के नायक चरित्र हल्क होगन के रूप में अमरीकी मुख्यधारा में लोकप्रियता हासिल हुई और 1990 के दशक के मध्य-से-अंत तक वे केविन नैश और स्कॉट हॉल के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप रेस्लिंग (WCW) में "हॉलीवुड" होगन, खलनायक nWo नेता, के रूप में प्रसिद्ध थे। WCW की समाप्ति के बाद उन्होंने 2000 के दशक के प्रारंभ में अपनी दो सर्वाधिक प्रसिद्ध छवियों के तत्वों को संयोजित करके अपने वीरतापूर्ण चरित्र को दोहराते हुए WWE में एक संक्षिप्त वापसी की। बाद में 2005 में होगन को WWE के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया और वे बारह बार विश्व हेवीवेट विजेता: छः बार WWF/E विजेता व छः बारWCW विश्व हेवीवेट विजेता और साथ ही एज के साथ पूर्व विश्व टैग टीम विजेता रहे हैं। वे 1990 और 1991 में रॉयल रम्बल के विजेता भी रहे हैं और वे लगातार दो रॉयल रम्बल जीतने वाले पहले व्यक्ति हैं। .

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वनिता

वनिता का फरवरी २००९ के अंक का मुखपृष्ट वनिता, मलयाला मनोरमा समूह द्वारा प्रकाशित एक महिलाओं की पाक्षिक पत्रिका है। यह पत्रिका हिन्दी और मलयालम दो भाषाओं में छपती है और भारत की सबसे ज्यादा पढी़ जाने वाली पत्रिकाओं में पहले स्थान पर आती है। मलयालम में वनिता का अर्थ महिला होता है। पत्रिका में सभी विषयों पर लेख छपते हैं और यह देखते हुये इसे सिर्फ महिलाओं की पत्रिका कहना ठीक नहीं है। 2004 में, पत्रिका के मलयालम संस्करण के पाठकों की संख्या 3.7 लाख के ऊपर थी। ओणम, ईस्टर, क्रिसमस और नये साल पर पत्रिका के विशेषांक प्रकाशित किये जाते हैं। .

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वन्दे मातरम्

'''वन्दे मातरम्''' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय वन्दे मातरम् (बाँग्ला: বন্দে মাতরম) अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया भारतमाता का चित्र बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी। सन् २००३ में, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में, जिसमें उस समय तक के सबसे मशहूर दस गीतों का चयन करने के लिये दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था और बी०बी०सी० के अनुसार १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमें मतदान किया था उसमें वन्दे मातरम् शीर्ष के १० गीतों में दूसरे स्थान पर था। .

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ओरैकल डाटाबेस

Oracle - डाटाबेस (सामान्य रूप से Oracle RDBMS अथवा सरलता से Oracle कहा जाता है) Oracle कार्पोरेशन द्वारा निर्मित तथा मार्केट किया हुआ संबंधात्मक डाटाबेस प्रबंधन सिस्टम (RDBMS) है।, डाटाबेस कंप्यूटिंग में, Oracle एक प्रमुख नाम है। लैरी एलीसन तथा उनके मित्रों तथा पूर्व सह-कार्यकर्ता बॉब माइनर तथा एड ओएट्स ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेन्ट लेबोरेटरीज (SDL) के नाम से 1977 में परामर्श संस्था प्रारंभ की। SDL ने Oracle सॉफ्टवेयर के मूल संस्करण का विकास किया है। Oracle, पूर्व में एम्पेक्स द्वारा नियुक्ति के समय एलीसिन द्वारा कार्य की गई सी आई ए-फन्डेड परियोजना के कोड नाम से विकसित हुआ है। .

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के पी सक्सेना

के पी सक्सेना (जन्म: 1934 बरेली- मृत्यु: 31 अक्टूबर 2013 लखनऊ) भारत के एक हिन्दी व्यंग्य और फिल्म पटकथा लेखक थे। साहित्य जगत में उन्हें केपी के नाम से अधिक लोग जानते थे। उनकी गिनती वर्तमान समय के प्रमुख व्यंग्यकारों में होती है। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के बाद वे हिन्दी में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले व्यंग्यकार थे। उन्होंने लखनऊ के मध्यवर्गीय जीवन को लेकर अपनी रचनायें लिखीं। उनके लेखन की शुरुआत उर्दू में उपन्यास लेखन के साथ हुई थी लेकिन बाद में अपने गुरु अमृत लाल नागर की सलाह से हिन्दी व्यंग्य के क्षेत्र में आ गये। उनकी लोकप्रियता इस बात से ही आँकी जा सकती है कि आज उनकी लगभग पन्द्रह हजार प्रकाशित फुटकर व्यंग्य रचनायें हैं जो स्वयं में एक कीर्तिमान है। उनकी पाँच से अधिक फुटकर व्यंग्य की पुस्तकों के अलावा कुछ व्यंग्य उपन्यास भी छप चुके हैं। भारतीय रेलवे में नौकरी करने के अलावा हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं के लिये व्यंग्य लिखा करते थे। उन्होंने हिन्दी फिल्म लगान, हलचल और स्वदेश की पटकथायें भी लिखी थी। उन्हें 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे कैंसर से पीड़ित थे। उनका निधन 31 अक्टूबर 2013 को लखनऊ में हुआ। .

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