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बुलबुल

सूची बुलबुल

बुलबुल, शाखाशायी गण के पिकनोनॉटिडी कुल (Pycnonotidae) का पक्षी है और प्रसिद्ध गायक पक्षी "बुलबुल हजारदास्ताँ" से एकदम भिन्न है। ये कीड़े-मकोड़े और फल फूल खानेवाले पक्षी होते हैं। ये पक्षी अपनी मीठी बोली के लिए नहीं, बल्कि लड़ने की आदत के कारण शौकीनों द्वारा पाले जाते रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि केवल नर बुलबुल ही गाता है, मादा बुलबुल नहीं गा पाती है। बुलबुल कलछौंह भूरे मटमैले या गंदे पीले और हरे रंग के होते हैं और अपने पतले शरीर, लंबी दुम और उठी हुई चोटी के कारण बड़ी सरलता से पहचान लिए जाते हैं। विश्व भर में बुलबुल की कुल ९७०० प्रजातियां पायी जाती हैं। इनकी कई जातियाँ भारत में पायी जाती हैं, जिनमें "गुलदुम बुलबुल" सबसे प्रसिद्ध है। इसे लोग लड़ाने के लिए पालते हैं और पिंजड़े में नहीं, बल्कि लोहे के एक (अंग्रेज़ी अक्षर -टी) (T) आकार के चक्कस पर बिठाए रहते हैं। इनके पेट में एक पेटी बाँध दी जाती है, जो एक लंबी डोरी के सहारे चक्कस में बँधी रहती है। .

3 संबंधों: चकवा, कलविंकक, अन्नामलाई की पहाड़ियाँ

चकवा

चकवा या चक्रवाक (Ruddy Sheldrake) एक सुनहरे रंग का पक्षी है। यह साहित्य का चिरपरिचित पक्षी है, जैसे बुलबुल उर्दू साहित्य का। इसके कोक, कोकनद आदि अनेक नाम हैं, लेकिन गाँवों में ये 'चकवा-चकई' के नाम से प्रसिद्ध है। यह पक्षी (Aves) वर्ग के हंस (Antidae) कुल का, मझोले कद का प्राणी है, जो प्रति वर्ष जाड़ों के प्रारंभ में हमारे देश में उत्तर की ओर से आकर जाड़ा समाप्त होते होते फिर उसी ओर लौट जाता है। चक्रवाक (Casarca rufila) का रंग गाढ़ा नारंगी या हलका कत्थई होता है, लेकिन इसकी गरदन ओर सिर बदामी होता है। गरदन के चारों ओर एक काला कंठा रहता हैं, लेकिन मादा इस कंठे से रहित होती है। डैने और पर के कुछ पंख काले और सफेद रहते हैं और डैने का चित्ता (Speculum) हरा होता है। चक्रवाक की एक प्रसिद्ध जाति शाह चकवा (Sheldrake, Tadorna tadorna) कहलाती है। यह काले और सफेद रंग का बहुत ही सुंदर चितकबरा पक्षी है, जिसका कद और आदतें चक्रवाक जैसी ही होती हैं। चक्रवाक दो फुट लंबा पक्षी है, जिसके नर ओर मादा करीब करीब एक जैसे ही होते हैं। मादा नर से कुछ छोटी होती है और उसका रंग भी नर से कुछ हलका रहता है। चक्रवाक सारे दक्षिणी पूर्वी यूरोप, मध्यएशिया और उत्तरी अफ्रीका के प्रदेशों में फैले हुए हैं, जहाँ ये झीलों, बड़ी नदियों तथा समुद्री किनारों पर अपना अधिक समय बिताते हैं। ये बहुत ढीठ पक्षी हैं। इनकी कर्कश बोली आबादी के निकटवर्ती जलाशयों में सुनाई पड़ती रहती है। हमारे कवियों ने इसी कारण शायद इनके बारे में यह कल्पना की है कि रात में नर पक्षी मादा से विलग हो जाता है और उसका मिलन सूर्योदय के पूर्व नहीं होता, लेकिन केवल साहित्यिक मान्यता के अतिरिक्त इसमें कोई तथ्य नहीं है। चक्रवाक जोड़े में रहते हैं, लेकिन कभी कभी सैकड़ों का झुंड बना लेते हैं। ये अंडा देने के लिये घोंसला नहीं बनाते। इनकी मादा पहाड़ के सूराखों में अथवा जमीन पर ही थोड़ा घास फूस रखकर अपने अंडे देती है। इनका मुख्य भोजन घास पात, सेवर तथा अन्न के दाने आदि हैं, लेकिन छोटी छोटी मछलियाँ और घोंघे, कटुए आदि भी ये खा लेते हैं। इनका मांस साधारण तथा बिसैधा होता है। (सु.सिं.) .

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कलविंकक

कलविंकक (common nightingale या, केवल nightingale, वैज्ञानिक नाम: Luscinia megarhynchos) एक छोटा पक्षी है जो अपनी मधुर गान के लिये प्रसिद्ध है। यह ईरान के साहित्योद्यान का प्रसिद्ध गायक पक्षी है। इसको ईरान में ठीक ही 'बुलबुल हजार दास्ताँ' का नाम मिला है, क्योंकि वह बिना दम तोड़े, लगातार, घंटे-घंटे भर तक गाता है। वह कई प्रकार से, भारत के लाल दुमवाले बुलबुल से भिन्न पक्षी है। वह कीटभक्षी है जो भारत की ओर नहीं आता, परंतु भारत के शौकीन लोग इसे बाहर से मँगवाते हैं और पिंजरों में पालते हैं। .

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अन्नामलाई की पहाड़ियाँ

अन्नामलाई की पहाड़ियां (ஆனைமலை) पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियाँ हैं और तमिलनाडु राज्य, दक्षिण-पूर्व भारत में एलीफेंट पर्वतमाला के नाम से विख्यात हैं। .

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