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स्टोइक दर्शन और हेरक्लिटस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

स्टोइक दर्शन और हेरक्लिटस के बीच अंतर

स्टोइक दर्शन vs. हेरक्लिटस

साइप्रस के सिटियम का निवासी जेनो स्टोइक दर्शन (Stoicism) अरस्तू के बाद यूनान में विकसित हुआ था। स्टोइक दर्शन या स्टोइकवाद एक प्राचीन ग्रीक दर्शन है जो कि 300 BC के आसपास सिटियम के निवासी जेनो द्वारा तपस्यावाद के परिष्करण के रूप में विकसित किया गया। यह विनाशकारी भावनाओं पर काबू पाने के साधन के रूप में तथा आत्म-नियंत्रण और दृढ़ता के विकास को सिखाता है। यह भावनाओं को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से बुझाने की कोशिश नहीं करता है, बल्कि उन्हें एक आकस्मिक असंतोष (सांसारिक सुख से स्वैच्छिक रोकथाम) द्वारा बदलने की कोशिश करता है, जो एक व्यक्ति को स्पष्ट निर्णय, आंतरिक शांति और पीड़ा से स्वतंत्रता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है (जिसे अंतिम लक्ष्य माना जाता है)। सिकंदर महान् की मृत्यु के बाद ही विशाल यूनानी साम्रज्य के टुकड़े होने लगे थे। कुछ ही समय में वह रोम की विस्तारनीति का लक्ष्य बन गया और पराधीन यूनान में अफलातून तथा अरस्तू के आदर्श दर्शन का आकर्षण बहुत कम हो गया। यूनानी समाज भौतिकवाद की ओर झुक चुका था। एपीक्यूरस ने सुखवाद (भोगवाद) की स्थापना (306 ई. पू.) कर, पापों के प्रति देवताओं के आक्रोश तथा भावी जीवन में बदला चुकाने के भय को कम करने का प्रयत्न आरंभ कर दिया था। तभी ज़ीनो ने रंगबिरंगे मंडप (स्टोआ) में स्टोइक दर्शन की शिक्षा द्वारा, अंधविश्वासों को मिटाते हुए, अपने समाज को नैतिक जीवन का मूल्य बताना प्रारंभ किया। इस दर्शनपरंपरा को पुष्ट करनेवालों में ज़ीनों के अतिरिक्त, क्लिऐंथिस और क्रिसिप्पस के नाम लिए जाते हैं। "स्टोइक दर्शन" को तीन भागों में प्रस्तुत किया जाता है- तर्क, भौतिकी तथा नीति। . हेरक्लिटस(535 ईसा पूर्व -475 ईसा पूर्व) यूनानी दार्शनिक था। .

स्टोइक दर्शन और हेरक्लिटस के बीच समानता

स्टोइक दर्शन और हेरक्लिटस आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्लेटो, स्टोइक दर्शन, अरस्तु

प्लेटो

प्लेटो (४२८/४२७ ईसापूर्व - ३४८/३४७ ईसापूर्व), या अफ़्लातून, यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक था। वह सुकरात (Socrates) का शिष्य तथा अरस्तू (Aristotle) का गुरू था। इन तीन दार्शनिकों की त्रयी ने ही पश्चिमी संस्कृति की दार्शनिक आधार तैयार किया। यूरोप में ध्वनियों के वर्गीकरण का श्रेय प्लेटो को ही है। .

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स्टोइक दर्शन

साइप्रस के सिटियम का निवासी जेनो स्टोइक दर्शन (Stoicism) अरस्तू के बाद यूनान में विकसित हुआ था। स्टोइक दर्शन या स्टोइकवाद एक प्राचीन ग्रीक दर्शन है जो कि 300 BC के आसपास सिटियम के निवासी जेनो द्वारा तपस्यावाद के परिष्करण के रूप में विकसित किया गया। यह विनाशकारी भावनाओं पर काबू पाने के साधन के रूप में तथा आत्म-नियंत्रण और दृढ़ता के विकास को सिखाता है। यह भावनाओं को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से बुझाने की कोशिश नहीं करता है, बल्कि उन्हें एक आकस्मिक असंतोष (सांसारिक सुख से स्वैच्छिक रोकथाम) द्वारा बदलने की कोशिश करता है, जो एक व्यक्ति को स्पष्ट निर्णय, आंतरिक शांति और पीड़ा से स्वतंत्रता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है (जिसे अंतिम लक्ष्य माना जाता है)। सिकंदर महान् की मृत्यु के बाद ही विशाल यूनानी साम्रज्य के टुकड़े होने लगे थे। कुछ ही समय में वह रोम की विस्तारनीति का लक्ष्य बन गया और पराधीन यूनान में अफलातून तथा अरस्तू के आदर्श दर्शन का आकर्षण बहुत कम हो गया। यूनानी समाज भौतिकवाद की ओर झुक चुका था। एपीक्यूरस ने सुखवाद (भोगवाद) की स्थापना (306 ई. पू.) कर, पापों के प्रति देवताओं के आक्रोश तथा भावी जीवन में बदला चुकाने के भय को कम करने का प्रयत्न आरंभ कर दिया था। तभी ज़ीनो ने रंगबिरंगे मंडप (स्टोआ) में स्टोइक दर्शन की शिक्षा द्वारा, अंधविश्वासों को मिटाते हुए, अपने समाज को नैतिक जीवन का मूल्य बताना प्रारंभ किया। इस दर्शनपरंपरा को पुष्ट करनेवालों में ज़ीनों के अतिरिक्त, क्लिऐंथिस और क्रिसिप्पस के नाम लिए जाते हैं। "स्टोइक दर्शन" को तीन भागों में प्रस्तुत किया जाता है- तर्क, भौतिकी तथा नीति। .

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अरस्तु

अरस्तु अरस्तु (384 ईपू – 322 ईपू) यूनानी दार्शनिक थे। वे प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु थे। उनका जन्म स्टेगेरिया नामक नगर में हुआ था ।  अरस्तु ने भौतिकी, आध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, राजनीति शास्त्र, नीतिशास्त्र, जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर रचना की। अरस्तु ने अपने गुरु प्लेटो के कार्य को आगे बढ़ाया। प्लेटो, सुकरात और अरस्तु पश्चिमी दर्शनशास्त्र के सबसे महान दार्शनिकों में एक थे।  उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र पर पहली व्यापक रचना की, जिसमें नीति, तर्क, विज्ञान, राजनीति और आध्यात्म का मेलजोल था।  भौतिक विज्ञान पर अरस्तु के विचार ने मध्ययुगीन शिक्षा पर व्यापक प्रभाव डाला और इसका प्रभाव पुनर्जागरण पर भी पड़ा।  अंतिम रूप से न्यूटन के भौतिकवाद ने इसकी जगह ले लिया। जीव विज्ञान उनके कुछ संकल्पनाओं की पुष्टि उन्नीसवीं सदी में हुई।  उनके तर्कशास्त्र आज भी प्रासांगिक हैं।  उनकी आध्यात्मिक रचनाओं ने मध्ययुग में इस्लामिक और यहूदी विचारधारा को प्रभावित किया और वे आज भी क्रिश्चियन, खासकर रोमन कैथोलिक चर्च को प्रभावित कर रही हैं।  उनके दर्शन आज भी उच्च कक्षाओं में पढ़ाये जाते हैं।  अरस्तु ने अनेक रचनाएं की थी, जिसमें कई नष्ट हो गई। अरस्तु का राजनीति पर प्रसिद्ध ग्रंथ पोलिटिक्स है। .

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स्टोइक दर्शन और हेरक्लिटस के बीच तुलना

स्टोइक दर्शन 11 संबंध है और हेरक्लिटस 17 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 10.71% है = 3 / (11 + 17)।

संदर्भ

यह लेख स्टोइक दर्शन और हेरक्लिटस के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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