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सोनपुर, बिहार

सूची सोनपुर, बिहार

सोनपुर सारण, बिहार का एक शहर है। वर्ष 1991 में सोनपुर को अनुमंडल का दर्जा मिला। वर्ष 2002 में सोनपुर नगर पंचायत गठित हुआ। सोनपुर में डाकबंगला मैदान है। सोनपुर अनुमंडल के अधीन पाँच प्रखंडों- दिघवारा, सोनपुर, परसा, मकेर और दरियापुर- के हजारों गाँवों में रहने वाले लाखों लोगों को आने वाले समय में निर्बाध बिजली का लाभ मिलेगा। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत डेरनी, नयागाँव, रमसापुर व अकिलपुर में विद्युत सब स्टेशन बनाये जायेंगे।.

22 संबंधों: दानापुर, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, नयागांव, सारण (बिहार), पटना, परसा प्रखण्ड (सारन), फुलवारीशरीफ, बिहार, महात्मा गाँधी सेतु, मकेर प्रखंड (सारण), मुसलमान, राजीव प्रताप रूडी, रॉबर्ट क्लाइव, लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र, सारन जिला, सांसद, सोनपुर प्रखंड (सारण), सोनपुर मेला, हरिहर क्षेत्र, हिन्दू, विधायक, खगौल

दानापुर

दानापुर भारत के बिहार प्रांत का एक प्रमुख नगर है जो पटना के निकट स्थित है। यह एक प्रमुख रेल केंद्र, भारतीय थलसेना की दानापुर छावनी भी है। दानापुर "दीनापुर निज़ामत" भी कहलाता है। दानापुर को 1887 में नगरपालिका बनाया गया। .

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दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना के उद्देश्य से 20 नवंबर, 2014 को प्रारंभ की गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस योजना के तहत कृषि और गैर–कृषि फीडर सुविधाओं को अलग –अलग किया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण और उप - पारेषण प्रणाली को मजबूत किया जाएगा जिसमें वितरण ट्रांसफार्मर, फीडर और उपभोक्‍ताओं के लिए मीटर लगाना सम्मिलित होगा। योजना के अंतर्गत दोनों घटकों की कुल अनुमानित लागत 43,033 करोड़ रूपये हैं जिसमें पूरे क्रियान्‍वयन अवधि के लिए भारत सरकार द्वारा 33,453 करोड़ रूपये की बजट सहायता भी शामिल है। .

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दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल

दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल अथवा जे पी सेतु (लोकनायक जय प्रकाश नारायण सेतु), गंगा पर बना पुल है जो पटना और सोनपुर को जोड़ता है। इसकी लम्बाई 4,556 मीटर है। दीघा-गाँधी मैदान सड़क से दीघा सड़क सेतु की दूरी 1.7 किलोमीटर है। दीघा सह सम्पर्क पथ छह लेन का है। दीघा सड़क सेतु के 2.56 कि॰मी॰ लम्बे सोनपुर एप्रोच के लिए जमीन मालिकों की आपसी सहमति से उनकी जमीन का 99 साल के लिए अनवरत लीज/ परपीचुअल लीज (Perpetual lease) रजिस्टर्ड एग्रीमेण्ट कर सरकार ने उन्हें जमीन की कीमत का चौगुनी मुआवजा देकर एग्रीमेण्ट किया है। सोनपुर एप्रोच के 600 मीटर दूरी में एलिवेटेड स्ट्रक्चर है। 2.56 कि॰मी॰ सोनपुर एप्रोच में सारण जिला के गंगाजल, चौसिया, भरपुरा और सुलतानपुर गाँव की जमीन है। जेपी सेतु को नेशनल हाइवे-19 से हाजीपुर-छपरा फोर लेन सड़क से जोड़ा जायेगा। एम्स दीघा एलिवेटेड रोड (12.4 किमी लंबा), गंगा पाथ वे (21.1 किमी) और जेपी सेतु (4.5 किमी)- गांधी सेतु से मिलकर यह एक ऐसा थ्रू वे(threeway) बनाएगा, जिससे सोनपुर की तरफ से आसानी से पश्चिमी पटना, फुलवारीशरीफ और एम्स पटना पहुंच जायेगा। इसके बन जाने से दीदारगंज, पटना सिटी, गुलजारबाग, व गायघाट जैसे सुदुर पूर्वी क्षेत्र के व्यक्ति को दीघा, दानापुर, खगौल, फुलवारीशरीफ, एम्स व जानीपुर जैसे सुदुर पश्चिमी क्षेत्रों में जाने-आने के लिए गांधी मैदान या पटना जंक्शन आने-जाने और शहर की मुख्य ट्रैफिक व्यवस्था पर दबाव बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। .

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नयागांव, सारण (बिहार)

नयागांव (English: Nayagaon) सोनपुर, सारण, बिहार स्थित एक अर्द्ध शहरी क्षेत्र है। यह रसूलपुर मौजा में स्थित है। नयागांव 67 किलोमीटर लंबी हाजीपुर-छपरा फोर लेन सड़क (राष्ट्रीय राजमार्ग ३१/एनएच-31) के पास है। फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य मधुकॉन प्रोजेक्ट इंडिया कंपनी कर रही है। निर्माण का काम वर्ष 2011 से चल रहा है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत नयागांव में विद्युत सब स्टेशन जल्द ही बनाया जायेगा। नयागांव में रसूलपुर के फोरलेन सड़क के पास विद्युत सब स्टेशन बनाये जायेगा। नयागांव में कसतूरबा गाँधी बालिका आवासीय विघालय (KGBV) और गोगल सिंह इंटर स्तरीय विद्यालय स्थित है। छपरा-हाजीपुर सडक मार्ग पर दिघवारा- सोनपुर के बीच नयागांव के समीप डुमरी बुजुर्ग गांव मे 550 वर्ष पुराना मां कालरात्रि का प्राचीनतम मंदिर है। भाद्र मास(अगस्त) के अमावस्या को विशेष पूजा होती है। सोनपुर अनुमंडल में नये आईटीआई भवन के लिए नयागांव में जमीन चिह्नित किया गया है। नयागांव बाजार में सन 1955 से ग्राम देवी मां दुर्गा का भव्य मंदिर है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत नयागांव पंचायत में पानी टॉवर का निर्माण कराया गया। नयागांव पंचायत में निर्मित पानी टंकी की क्षमता 50 हजार गैलन है। रियल एस्‍टेट की कंपनियां जैसे RAV ग्लोबल सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, टी.सी.डब्ल्यू.

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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परसा प्रखण्ड (सारन)

सारन, बिहार का एक प्रखण्ड। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.

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फुलवारीशरीफ

फुलवारी शरीफ़ (پھلواری شریف, Phulwari Sharif) बिहार स्थित पटनाके आसपास का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह १३वीं शताब्दी में इस्लाम धर्म के प्रमुख स्थापित केन्द्र हैं जो हजरत मखदूम शाह द्वारा स्थापित खानकाह है। यहाँ मुस्लिमों के पैगम्बर मुहम्मद की स्मृति में शरीफ रवि उल औवेल में मनाया जाता है। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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महात्मा गाँधी सेतु

महात्मा गाँधी सेतु। महात्मा गांधी सेतु पटना से हाजीपुर को जोड़ने को लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है। यह दुनिया का सबसे लम्बा, एक ही नदी पर बना सड़क पुल है। इसकी लम्बाई 5,750 मीटर है। भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इसका उद्घाटन मई 1982 में किया था। इसका निर्माण गैमोन इंडिया लिमिटेड ने किया था। वर्तमान में यह राष्ट्रीय राजमार्ग 19 का हिस्सा है। .

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मकेर प्रखंड (सारण)

सारन, बिहार का एक प्रखंड। .

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मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

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राजीव प्रताप रूडी

राजीव प्रताप रूडी (जन्म 23 मार्च 1962) बिहार के सारण से लोकसभा सांसद हैं और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कौशल विकास और उद्यमशीलता हैं। वे बिहार से राज्य सभा के सांसद भी चुने जा चुके हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। वे यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) अनुमोदित मियामी, फ्लोरिडा के सिमसेंटर (SimCenter) से ए-320 विमान उड़ाने की विशेषज्ञता प्राप्त वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसधारक हैं। .

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रॉबर्ट क्लाइव

300px\राबर्ट क्लाइव राबर्ट क्लाइव (१७२५-१७७४ ई.) भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक। २९ सिंतबर, १७२५ को स्टाएच में जन्म हुआ। पिता काफी दिनों तक मांटगुमरी क्षेत्र से पालमेंट के सदस्य रहा। बाल्यकाल से ही वह निराली प्रकृति का था। वह एक स्कूल से दूसरे स्कूल में भर्ती कराया जाता किंतु वह खेल में इतना विलीन रहता कि पुस्तक आलमारी में ही धरी रह जाती। १८ वर्ष की आयु में मद्रास के बंदरगाह पर क्लर्क बनकर आया। यहीं से उसका ईस्ट इंडिया कंपनी का जीवन आरंभ होता है। १७४६ में जब मद्रास अंग्रेजों के हाथ से निकल गया तब उसे बीस मील दक्षिण स्थित सेंट डेविड किले की ओर भागना पड़ा। उसे वहाँ सैनिक की नौकरी मिल गई। यह समय ऐसा था जब भारत की स्थिति ऐसी हो रही थी कि फ्रांसीसी और अंग्रेजों में, जिसमें भी प्रशासनिक और सैनिक क्षमता दोनों होगी, भारत का विजेता बन जाएगा। औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात्‌ के ४० वर्षों में मुगल साम्राज्य धीरे धीरे उसके सूबेदारों के हाथ आ गया था। इन सूबेदारों में तीन प्रमुख थे। एक तो दक्षिण का सूबेदार जो हैदराबाद में शासन करता था; दूसरा बंगाल का सूबेदार जिसकी राजधानी मुर्शिदाबाद थी और तीसरा थी अवध का नवाब बजीर। बाजी डूप्ले और क्लाइव के बीच थी। डूप्ले मेधावी प्रशासक था किंतु उसमें सैनिक योग्यता न थी। क्लाइव सैनिक और राजनीतिज्ञ दोनों था। उसने फ्रांसीसियों के मुकाबिले इन तीनों ही सूबों में अंगरेजों का प्रभाव जमा दिया। किंतु उसकी महत्ता इस बात में है कि उसने अपनी योग्यता और दूरदर्शिता से इन तीनों ही सूबों में से सबसे धनी सूबे पर अधिकार करने में सफलता प्राप्त की। क्लाइव ने सेंट डविड के किले में आने के बाद रेजर लारेंस की अधीनता में कई छोटी मोटी लड़ाइयों में भाग लिया ही था कि १७४८ में फ्रांस और इंग्लैंड के बीच समझौता हो गया और क्लाइव को कुछ काल के लिये पुन: अपनी क्लर्की करनी पड़ी। उसे उन्हीं दिनों जोरों का बुखार आया फलस्वरूप वह बंगाल आया। जब वह लौटकर मद्रास पहुंचा, उस समय दक्षिण और कर्नाटक की नवाबी के लिये दो दलों में संघर्ष चल रहा था। चंदा साहब का साथ कर्नाटक का नवाब बन गया। मुहम्मद अली ने अंग्रेजों से समझौता किया, सारे कर्नाटक में लड़ाई की आग फैलगई, जिसके कारण कर्नाटक की बड़ी क्षति हुई। तंजोर और मैसूर के राजाओं ने भी इसमें भाग लिया। मुहम्मद अली त्रिचनापल्ली को काबू में किए हुए थे। चंदा साहब ने उस पर आक्रमण किया। अंग्रेंजों ने मुहम्मद अली को बचाने के लिये क्लाइव के नेतृत्व में एक सेना आर्काट पर आक्रमण करने के लिये भेजी। क्लाइव ने आर्काट पर घेरा डाल दिया और डटकर मुकाबला किया। चंदा साहब की फ्रांसीसी सेनाओं की सहायता प्राप्त थी, फिर भी वह सफल न हो सके। इसी बीच डूप्ले को वापस फ्रांस बुला लिया गया। अंग्रेजों की सहायता से मुहम्मद अली कर्नाटक के नवाब बन गए। आर्काट के घेरे के कारण यूरोप में क्लाइव की धाक जम गई। वलियम पिट ने उसे स्वर्ग से जन्में सेनापति कह कर सम्मानित किया। ईस्ट इंडिया कंपनी के संचालक मंडल ने उसे ७०० पाउंड मूल्य की तलवार भेंट करनी चाही तो उसने उसे तब तक स्वीकार नहीं किया जब तक उसी रूप में लारेंस का सम्मान नहीं हुआ। दस वर्ष भारत रहने के बाद वह १७५३ के आरंभ में स्वदेश लौटा। दो वर्ष वह अपने घर रह पाया था तभी भारत की स्थिति ऐसी हो गई कि कंपनी के संचालक मंडल ने उसे भारत आने को विवश किया। वह १७५६ ई. में सेंट फोर्ट डेविड का गवर्नर नियुक्त किया गया और उसे सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का पद दिया गया। वह मद्रास पहुंच कर अपना पद ग्रहण कर भी न पाया था कि इसी बीच अंग्रेजों की शक्ति बंगाल में डांवाडोल हो गई, क्लाइव को बंगाल आना पड़ा। ९ अप्रैल १७५६ को बंगाल और बिहार के सूबेदार की मृत्यु हो गई। १७५२ में अल्लावर्दी खाँ ने सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। अल्लावर्दी खाँ की मृत्यु के पश्चात्‌ सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना। १८वीं शताब्दी के आरंभ में ही अंग्रजों ने फोर्ट विलियम की नींव डाली थी और १७५५ तक उसके आसपास काफी लोग बस चुके थे, इसी लिये उसने नगर का रूप ले लिया था जो बाद में कलकत्ता कहलाया। बंगालन में फोर्ठ विलियम अंगेजी कंपनी का केंद्र था। सिराजुद्दौला ने नवाबी पाने के बाद ही अपने एक संबंधरी सलामन जंग के विरुद्ध सैनिक कार्रवाई आरंभ की और पुर्णिया पर आक्रमण किया। २० मई १७५६ को राजमहल पहँुचने के पश्चात्‌ उसने अपना इरादा बदल दिया और मुर्शिदाबाद लौट आया और कासिम बाजारवाली अंग्रेजी फैक्ट्री पर अधिकार कर लिया। यह घटना ४ जून १७५६ को घटी। ५ जून को सिराजुद्दौला की सेना कलकत्ते पर आक्रमण करने को रवाना हुई और १६ जून को कलकत्ता पहुंची। १९ जून को कलकत्ता के गवर्नर, कमांडर और कमेटी के सदस्यों को नगर और दुर्ग छोड़कर जहाज में पनाह लेना पड़ा। २० जून को कलकत्ता पर नवाब का कब्जा हो गया। जब इसकी खबर मद्रास पहुंची तो वहां से सेना भेजी गई, जिसका नेतृत्व क्लाइव के हाथ में था। दिसंबर में क्लाइव हुगली पहुंचा। उसकी सेना की संख्या लगभग एक हजार थी। वह नदी की ओर से कलकत्ते की तरफ बढ़ा और २ जनवरी १७५७ को उसपर अपना अधिकार कर लिया। सिराजुद्दौला को जब इसकी खबर मिली तो उसने कलकत्ते की ओर बढ़ने का प्रयत्न किया मगर असफल रहा और संधि करने पर विवश हुआ। इस संधि से अंग्रेजों को अधिक लाभ हुआ। सिराजुद्दौला ने कलकत्ते की लूटी हुई दौलत वापस करने का वादा किया; कलकत्ता को सुरक्षित करने की इजाजत दी और वाट को मुर्शिदाबाद में अंग्रेजी प्रतिनिधि के रूप में रखना स्वीकार किया। इसी बीच यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध आरंभ हो गया। इसका प्रभाव भारत की राजनीति पर भी पड़ा। यहां भी अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में लड़ाई छिड़ गई। बंगाल में चंद्रनगर पर फ्रांसीसियों का प्रभाव रहा। Clive Defence of Arcot. Illustration for The New Popular Educator (Cassell, 1891). अंग्रेजों ने वहां अपना समुद्री बेड़ा भेजने की तैयारी आरंभ कर दी। १४ मार्च १७५७ को चंद्रनगर पर आक्रमण हुआ और एक ही दिन के बाद फ्रांसीसियों ने हथियार डाल दिए। वाटसन ने नदी की ओर से और क्लाइव ने दूसरी ओर से फ्रांसीसियों पर आक्रमण किया। सिराजुद्दौला इस लड़ाई में खुलकर भाग न ले सका। अब्दाली के आक्रमण के कारण वह फ्रांसीसियों की सहायता और अंग्रेजों से लड़ाई करने में संभवत: समर्थ न था। .

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लोकनायक जयप्रकाश विमानक्षेत्र

पटना विमानक्षेत्र (पटना एयरपोर्ट) पटना में संजय गाँधी जैविक उद्यान के पास स्थित है। इसका ICAO कोड है VEPT और IATA कोड है PAT। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां सीमा शुल्क विभाग मौजूद है। इसके कंक्रीट पेव्ड उड़ान पट्टी की लंबाई 6900 फीट है। है। इसकी प्रणाली यांत्रिक है। टर्मिनल भवन का क्षेत्र मौजूदा 7,200 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 57,000 वर्ग मीटर हो जाएगा। पटना हवाई अड्डे संजय गांधी जैविक उद्यान और फूलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन के बीच है। पटना हवाई अड्डे का नया टर्मिनल भवन किसी भी समय 14 विमान पार्क करने के लिए छह एरोब्रिज और एक एप्रन क्षेत्र से लैस एक दो मंजिला ढांचा होगा। वर्तमान में, हवाई अड्डे में केवल चार विमानों को पार्क करने की क्षमता है। हवाईअड्डा कॉलोनी और आईएएस भवन सहित हवाईअड्डा परिसर में और आसपास के कई मौजूदा भवनों को विस्तार कार्य के लिए रास्ता देने के लिए ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा, मौसम विज्ञान केंद्र और बिहार फ्लाइंग क्लब सहित कई उपयोगिता वाली इमारतों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा और बीआईटी-पटना परिसर के निकट एक नया एटीसी टावर बनाया जाएगा। जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत में बिहार राज्य की राजधानी पटना से 5 किमी दक्षिण-पश्चिम स्थित है। यह भारत का 16 वां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है और 2015-16 में सालाना यात्री यातायात में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पटना हवाई अड्डे के पास 13 एकड़ जमीन का इस्तेमाल विश्व स्तरीय दो मंजिला टर्मिनल भवन के निर्माण के लिए किया जाएगा, और अनिसबाद्, पटना में उस 11.35 एकड़ जमीन के बदले बिहार सरकार को हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा स्थानांतरित किया जाएगा। यह पटना में स्थित हवाई अड्डा है। .

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सारन जिला

सारण भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में स्थित एक प्रमंडल (कमिशनरी) एवं जिला है। यहाँ का प्रशासनिक मुख्यालय छपरा है। गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा यह जिला भारत में मानव बसाव के सार्वाधिक प्राचीन केंद्रों में एक है। संपूर्ण जिला एक समतल एवं उपजाऊ प्रदेश है। भोजपुरी भाषी क्षेत्र की पूर्वी सीमा पर स्थित यह जिला सोनपुर मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल एवं राजनीतिक चेतना के लिए प्रसिद्ध है। .

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सांसद

सांसद, संसद में मतदाताओं का प्रतिनिधि होता है। अनेक देशों में इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से निम्न सदन के सदस्यों के लिए किया जाता है। क्योंकि अक्सर उच्च सदन के लिए एक अलग उपाधि जैसे कि सीनेट एवं इसके सदस्यों के लिये सीनेटर का प्रयोग किया जाता है सांसद अपनी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों के साथ मिलकर संसदीय दल का गठन करते हैं। रोजमर्रा के व्यवहार में अक्सरसांसद शब्द के स्थान पर मीडिया में इसके लघु रूप "MP"का प्रयोग किया जाता है। .

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सोनपुर प्रखंड (सारण)

सारण, बिहार का एक प्रखण्ड। वर्ष 2002 में सोनपुर नगर पंचायत गठित हुआ। .

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सोनपुर मेला

सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से ३ किलोमीटर दूर सोनपुर में गंडक के तट पर लगने वाले इस मेले ने देश में पशु मेलों को एक अलग पहचान दी है। इस महीने के बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है। एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी यह एशिया का सबसे बडा पशु मेला माना जाता है। सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 ई॰पु॰ -298 ई॰पु), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुँवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी। सन् 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। एक दौर में सोनपुर मेले में नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा होता था। सोनपुर मेला में भू-राजस्व विभाग का स्टॉल से बिहार के सभी राजस्व ग्रामों का डिजिटल मानचित्र 150 रूपये मात्र सरकारी शुल्क के द्वारा कोई भी नागरिक तीन मिनट के अन्दर प्राप्त कर सकते हैं। यह कार्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र पटना के तकनीकी सहयोग के द्वारा किया गया है। समय के बदलते प्रभाव के असर से हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला, पशु बाजारों से हटकर अब आटो एक्स्पो मेले का रूप लेता जा रहा है। पिछले कई वर्षों से इस मेले में कई कंपनियों के शोरूम तथा बिक्री केंद्र यहां खुल रहे हैं। मेले में रेल ग्राम प्रदर्शनी लगी। रेलग्राम में टॉय ट्रेन चलाई जा रही। सोनपुर मेले के प्रति विदेशी पर्यटकों में भी खास आकर्षण देखा जाता है। जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस एवं अन्य विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्विस कॉटेजों का निर्माण किया जाता है। पर्यटकों को पटना एयरपोर्ट से सोनपुर मेला आने व जाने के लिए प्रीपेड टैक्सी भी उपलब्ध कराई जायेगी। मेलों से जुडे तमाम आयोजन तो यहां होते ही हैं। यहां हाथियों व घोडों की खरीद हमेशा से सुर्खियों में रहती है। पहले यह मेला हाजीपुर में होता था। सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा सोनपुर में होती थी लेकिन बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से मेला भी सोनपुर में ही लगने लगा। 2001 में, सोनपुर मेला में लाया गया हाथियों की संख्या 92 थी, जबकि 2016 में 13 हाथियों ने इसे मेले में बनाया, केवल प्रदर्शन के लिए, बिक्री के लिए नहीं। 2017 में, मेले में 3 टस्कर था। हरिहर क्षेत्र 2017 सोनपुर मेला 32 दिनों का होगा। सोनपुर मेले का उदघाटन इस बार 2 नवंबर को तथा समापन 3 दिसंबर को किया जाएगा। मेला में नौका दौड़, दंगल, वाटर सर्फिंग, वाटर के¨नग सहित विभिन्न प्रकार के खेल व प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। .

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हरिहर क्षेत्र

बिहार की राजधानी पटना से पाँच किलोमीटर उत्तर सारण में गंगा और गंडक के संगम पर स्थित 'सोनपुर' नामक कस्बे को ही प्राचीन काल में हरिहरक्षेत्र कहते थे। देश के चार धर्म महाक्षेत्रों में से एक हरिहरक्षेत्र है। ऋषियों और मुनियों ने इसे प्रयाग और गया से भी श्रेष्ठ तीर्थ माना है। ऐसा कहा जाता है कि इस संगम की धारा में स्नान करने से हजारों वर्ष के पाप कट जाते हैं। कर्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ एक विशाल मेला लगता है जो मवेशियों के लिए एशिया का सबसे बड़ा मेला समझा जाता है। यहाँ हाथी, घोड़े, गाय, बैल एवं चिड़ियों आदि के अतिरिक्त सभी प्रकार के आधुनिक सामान, कंबल दरियाँ, नाना प्रकार के खिलौने और लकड़ी के सामान बिकने को आते हैं। सोनपुर मेला लगभग एक मास तक चलता है। इस मेले के संबंध में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। .

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हिन्दू

शब्द हिन्दू किसी भी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करता है जो खुद को सांस्कृतिक रूप से, मानव-जाति के अनुसार या नृवंशतया (एक विशिष्ट संस्कृति का अनुकरण करने वाले एक ही प्रजाति के लोग), या धार्मिक रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ मानते हैं।Jeffery D. Long (2007), A Vision for Hinduism, IB Tauris,, pages 35-37 यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में धार्मिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है। हिन्दू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से, हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।John Stratton Hawley and Vasudha Narayanan (2006), The Life of Hinduism, University of California Press,, pages 10-11 16 वीं शताब्दी तक, इस शब्द ने उपमहाद्वीप के उन निवासियों का उल्लेख करना शुरू कर दिया, जो कि तुर्किक या मुस्लिम नहीं थे। .

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विधायक

विधानसभा का सदस्य (संक्षेप में एमएलए) या विधानमंडल का सदस्य (संक्षेप में एमएल) वह प्रतिनिधि है जिसे किसी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा एक उप-राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र के विधानमंडल (लेजिस्लेचर) या विधानसभा (लेजिस्लेटिव एसेंबली) के लिए चुना जाता है। .

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खगौल

खगौल भारत के बिहार प्रांत का एक शहर है। बिहार राज्य की राजधानी पटना (प्राचीन पाटलिपुत्र) के निकट सुप्रसिद्ध दानापुर रेलवे स्टेशन के उत्तर दक्षिण पूर्व और पश्चिम चारों तरफ का क्षेत्र खगौल के नाम से प्रसिद्ध है | दानापुर रेलवे स्टेशन से सटे दक्षिण चक्रदाहा क्षेत्र में आर्यभट्ट की खगोलीय वेधशाला (एस्ट्रोनोमिकल ऑब्जर्वेटरी) के स्थित होने के कारण ही इस क्षेत्र का नामकरण खगोल हुआ, जो वर्तमान में खगोल शब्द के अपभ्रंश खगौल के नाम से प्रसिद्ध है | यहीं बैठकर आर्यभट ने विश्वप्रसिद्ध ग्रन्थ आर्यभटीय की रचना की थी तथा शून्य के सिद्धांत का आविष्कार किया था | यहीं बैठकर आर्यभट्ट ने बीजगणित (अलजेबरा), रेखागणित (ज्योमेट्री) एवं त्रिकोणमिति (ट्रिगोनोमेट्री) के मूल सिद्धांतों की रचना की थी तथा पांचवीं शताब्दी में सर्वप्रथम पाई का मान निकाला था जो आज भी मान्य है| प्राचीन काल में सुप्रसिद्ध सोन नदी इसी क्षेत्र से होकर बहते हुए दानापुर में जाकर गंगा से मिलती थी | वर्तमान चक्रदाहा से नवरतनपुर के बीच प्राचीन सोन नदी के किनारे मगध साम्राज्य के प्रधानमंत्री सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री चाणक्य की तपस्थली कुटिया थी, जहां चौथी शताब्दी ईसापूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य से प्रारंभिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया था | चाणक्य शिष्य चंद्रगुप्त ने मगध के क्रूर शासक धनानंद को पराजित कर विश्व के सबसे शक्तिशाली, सबसे प्रभुत्वशाली एवं सबसे विकसित विश्वविख्यात मगध साम्राज्य की स्थापना की तथा सिकंदर और उसके सेनापति सेल्युकस को हराकर वर्तमान भारत पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान समेत ईरान तक मगध साम्राज्य का विस्तार किया | चाणक्य का समाधिस्थल चाणक्य चबूतरा आज भी विद्यमान है | दानापुर रेलवे स्टेशन से उत्तर कैन्ट रोड के किनारे मुस्तफापुर में 1901 ई० में स्थापित वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल बीसवीं शताब्दी के प्रथम आधुनिक गुरुकुल के रूप में विश्वप्रसिद्ध रहा है | दानापुर रेल मंडल कार्यालय, इरिगेशन रिसर्च इंस्टीच्युट, वाटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट (वाल्मी), ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज (एम्स पटना), एन०सी०घोष इंस्टीच्यूट, जगजीवन स्टेडियम राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हैं | महान शिक्षाविद, चिकित्सक, चिकित्सा वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी, आर्यसमाज के अग्रणी नेता महामंत्री पंडित हरिनारायण शर्मा (1862 - 1962) द्वारा सन 1901 ई० में स्थापित तथा सन 1915 ई० में विस्तारित वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल, मुस्तफापुर, कैन्ट रोड, खगौल, पटना (बिहार) बीसवीं शताब्दी के प्रथम आधुनिक गुरुकुल के रूप में विश्वप्रसिद्ध रहा है | वैदिक अध्ययन, गणित, विज्ञान, खगोलशास्त्र, आयुर्वेद, दर्शनशास्त्र, ज्योतिष, नाड़ीविज्ञान, साहित्य, व्याकरण, धनुर्विद्या तलवारबाजी, निशानेबाजी, खेल प्रशिक्षण, वक्तृत्वकला नेतृत्व प्रशिक्षण आदि की श्रेष्ठ व्यवस्था के कारण देश - विदेश के लोग यहाँ आकर शिक्षा प्राप्त करते थे | अनेकों सुप्रसिद्ध डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, डायरेक्टर, वक्ता, अधिवक्ता, न्यायाधीश, मंत्री, मुख्यमंत्री के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माता यह गुरुकुल अत्याधुनिक शिक्षा चिकित्सा छात्रावास सुविधायुक्त प्राथमिक से स्नातकोत्तर स्तर की संस्कारयुक्त शिक्षा हेतु प्रसिद्ध रहा है | स्वतंत्रता आन्दोलन एवं समाजसुधार आन्दोलन का यह सुप्रसिद्ध केन्द्र रहा है | करीब चार एकड़ क्षेत्र में विस्तृत चौतरफा चहारदीवारीयुक्त इस गुरुकुल के दक्षिणी भाग में छात्रावासभवन, मध्यपूर्व में यज्ञशाला, सुदूर पूर्व में औषधि निर्माणकेन्द्र एवं रसोईघर, मध्यपश्चिम में अवस्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय, उत्तरपश्चिम में प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन तथा बीच में खेल का मैदान अवस्थित था | प्राथमिक स्तर से स्नातकोत्तर स्तर की उच्च स्तरीय शिक्षा व्यवस्था एवं सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति हेतु यह गुरुकुल विश्वविख्यात रहा है | वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति के विषय थे - धर्मविज्ञान, न्यायविधिविज्ञान योगविज्ञान, भाषाविज्ञान प्रकृतिविज्ञान, समाजविज्ञान, गणित, सैन्यविज्ञान, व्यावसायिकशिक्षा, नेतृत्वप्रशिक्षण | सन 1926 ई० में मुस्तफापुर स्थित वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल के उच्च शिक्षा विभाग को देवघर में स्थानांतरित किया गया, जहां वह करीब अस्सी एकड़ भुक्ल्हंद में विस्तृत “गुरुकुल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम, देवघर” के नाम से प्रसिद्ध है | पंडित हरि नारायण शर्मा की प्रेरणा और सक्रिय सहयोग से 1902 ई० में उनके परम सहयोगी आर्य समाजी मित्र स्वामी श्रद्धानंद द्वारा हरिद्वार में “गुरुकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय” की स्थापना की गयी तथा सन 1916 ई० में पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा “बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय’ की स्थापना की गयी | उन्होंने लाला हंसराज, गुरुदत्त विद्यार्थी, लाला लाजपत राय के साथ मिलकर सन 1886 ई० में लाहौर में प्रथम ‘डी०ए०वी० स्कूल’ एवं डी०ए०वी० कॉलेज की स्थापना में सक्रिय सहयोग दिया | इस गुरुकुल के संस्थापक सचिव पं० हरिनारायण शर्मा के 1962 ई० में स्वर्गवास, उनके शिक्षाविद पुत्र पं०वेद व्रत शर्मा का पृथ्वीराज कपूर के साथ मुंबई प्रवास एवं 1966 ई० में स्वर्गवास तथा पौत्र ब्रज बल्लभ शर्मा के अन्यत्र कार्यरत रहने एवं सरकारी उपेक्षा के कारण यहाँ की उच्चस्तरीय शिक्षा बाधित हुई | इसके दक्षिणी भाग में अभी मध्यविद्यालय कार्यरत है | पं० हरिनारायण शर्मा के प्रपौत्र कृष्ण बल्लभ शर्मा ‘योगीराज’ (अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय) द्वारा गुरुकुल के जीर्णोद्धार एवं विकास का प्रयास निरंतर जारी है | बिहार सरकार द्वारा संचालित प्रसिद्ध शोध संस्थान के० पी० जायसवाल रीसर्च इंस्टीच्युट, पटना संग्रहालय भवन, बुद्ध मार्ग, पटना द्वारा प्रकाशित “कॉम्प्रिहेंसिव हिस्ट्री ऑफ बिहार” के वोल्यूम – ३, पार्ट – २, पृष्ठ – २९, ३१, ३७ में पंडित हरि नारायण शर्मा की कुछ कीर्ति सहित उपरोक्त वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल का ऐतिहासिक स्वरुप वर्णित है |  महान शिक्षाविद, चिकित्सक, चिकित्सा वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी, आर्यसमाज के अग्रणी नेता महामंत्री पंडित हरिनारायण शर्मा (1862 - 1962) ने लाहौर जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त किये थे | लाला लाजपत राय, नरदेव शास्त्री, मंगलदेव शास्त्री आदि सुप्रसिद्ध महान लोग लाहौर में उनके सहपाठी रहे थे | साइमन कमीशन के विरुद्ध आंदोलन में लाठीचार्ज से घायल अपने परम सहयोगी मित्र लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने चंद्रशेखर आजाद को वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल प्रांगण में रखकर सन १९२८ ई० में अंग्रेज सौन्डर्स को मारने की योजना को सफल बनाया | डॉ०राजेन्द्र प्रसाद, डॉ०दुखन राम, डॉ०बद्री प्रसाद, डॉ०मधुसूदन दास, लखन लाल पॉल, पारस नाथ, रमाकांत पांडे, अनुग्रह नारायण सिंह, श्रीकृष्ण सिंह, कृष्ण बल्लभ सहाय, सतीश चन्द्र मिश्रा, बलभद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, पं०वेद व्रत शर्मा, पं०सत्य व्रत शर्मा, पं०प्रिय व्रत शर्मा, ताराकांत झा आदि महान विभूतियों के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माता यह सुप्रसिद्ध ‘वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल’ रहा है | गुरुकुल का आदर्श था- ‘एक सुशिक्षित व्यक्ति 100 सेना के बराबर होता है |’ लालालाजपत राय, बालगंगाधर तिलक, नरदेव शास्त्री, मंगलदेव शास्त्री, डॉ०राजेन्द्र प्रसाद, पं०मदनमोहन मालवीय, जे०बी०कृपलानी, पृथ्वीराज कपूर आदि मानवता के महान विभूतियों का गुरुकुल में आगमन होता रहा है | पं०हरिनारायण शर्मा द्वारा प्रभावशाली व्यक्तित्व नेतृत्व प्रशिक्षण कोर्स हेतु सदाकत आश्रम पटना तथा आर्यसमाज मंदिर पटना- रांची में गुरुकुल की शाखा चलाई जाती थी | पं०हरिनारायण शर्मा एवं उनके सहयोगी मित्र लालालाजपत राय के सक्रिय सहयोग से उनके मित्र स्वामी श्रद्धानंद द्वारा 1902 में गुरुकुल कांगड़ी विव्श्वविद्यालय की स्थापना हुई, तदनंतर सन 1909 ई० में हिन्दू महासभा की स्थापना हुई | सन 1916 ई० में वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रारम्भ की गयी | यहीं से सन 1916 ई० में पं०हरिनारायण शर्मा द्वारा मासिक पत्रिका ‘दिव्य रश्मि’ एवं ‘शाकद्वीपीय ब्राह्मण बंधू’ तथा सुप्रसिद्ध अखबार “आर्यावर्त” का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया और “दिव्य आयुर्वेद” नाम से आयुर्वेदिक औषधि का उत्पादन प्रारम्भ किया गया | सम्पूर्ण बुद्धिजीवी वर्ण की एकता हेतु “ऑल इंडिया ब्राह्मण एसोसियेशन” का गठन किया गया | उनके द्वारा 1916 ई० में पुनपुन में तथा मुस्तफापुर में अपने पैतृक आवास के सामने 6000 वर्गफीट में दोमंजिला पक्का भवन बनाकर उसमें आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं आयुर्वेद शिक्षाकेन्द्र शुरू किया गया | पं०हरिनारायण शर्मा के सक्रिय सहयोग से उनके सहयोगी पं०मदनमोहन मालवीय द्वारा 1916 ई० में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी | 1926 में “गुरुकुल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम” की स्थापना कर उसमें ‘वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल’ का उच्चतर शिक्षा विभाग स्थानांतरित कर दिया गया | पं०हरिनारायण शर्मा तथा उनके मित्र लालालाजपत राय, गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी श्रद्धानंद आदि मिलकर 1886 ई० में लाहौर में प्रथम डी०ए०वी०स्कूल, डी०ए०वी०कॉलेज स्थापित किये | सन 1901 ई० में वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल की स्थापना के बाद देश भर में विभिन्न स्थानों पर डी०ए०वी०स्कूल, डी०ए०वी०कॉलेज तथा अनाथाश्रम, विधवाश्रम एवं गुरुकुल स्थापित करने का सिलसिला प्रारम्भ किया गया | 1915 ई०में पं०हरिनारायण शर्मा द्वारा 4000 मुसलमान एवं ईसाई लोगों को आर्यसमाज में शामिल करके एक नया विश्व इतिहास रच दिया गया | हिन्दू समाज में व्याप्त छुआछूत एवं जातिवाद की गंदी राजनीति का उन्होंने प्रबल विरोध किया तथा विधवा विवाह प्रथा को प्रोत्साहित किया | धर्मांतरण एवं समाज सुधार आंदोलन के विरोध की समाप्ति हेतु वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में 1916 ई० में विश्वधर्मसभा (वर्ल्ड रेलीजीयस समिट) का आयोजन किया गया | 1938 ई० में उन्होंने हैदराबाद निजाम के विरुद्ध कॉंग्रेस जत्था का नतृत्व किया | सन 1929 ई० साइमन कमीशन के विरुद्ध आंदोलन में अंग्रेज पुलिस पदाधिकारी सौन्डर्स द्वारा लाहौर में किये गए लाठीचार्ज के कारण लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने हेतु चंद्रशेखर आजाद द्वारा वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल में क्रांतिकारियों की बैठक कर सौन्डर्स को मारने का निर्णय लिया गया और सौन्डर्स को मारकर लालालाजपत राय की मौत का बदला लिया गया | पं०हरिनारायण शर्मा के अन्यत्र व्यस्तता के कारण दरभंगा महाराजा सर कामेश्वर सिंह द्वारा 1941 में आर्यावर्त का पुनःप्रकाशन प्रारम्भ किया गया| पं० हरिनारायण शर्मा के पुत्र पं० वेद व्रत शर्मा सुप्रसिद्ध वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल के प्राचार्य, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, इतिहासकार, पत्रकार तथा अनेक शिक्षण संस्थानों के संस्थापक होने के साथ साथ अंगरेजी साहित्य के विश्व प्रसिद्द विद्वान रहे हैं | पं० वेद व्रत शर्मा जी के छोटे भाई पं० सत्य व्रत शर्मा 'सुजन'(पूर्व निदेशक, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार) संस्कृत और हिन्दी साहित्य के राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान रहे हैं | पं० वेद व्रत शर्मा जी के सबसे छोटे भाई पं० प्रिय व्रत शर्मा जी पूर्व प्राचार्य, पटना आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पटना एवं पूर्व निदेशक, स्नातकोत्तर आयुर्वेद संस्थान, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (Director, Post Graduate Institute of Indian Medicine, Banaras Hindu University, Varanasi) विश्वप्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं ऋषि परम्परा के महान संत थे |आयुर्वेद के विश्वव्यापी प्रचार प्रसार, कालजयी रचना और हिन्दी अंगरेजी संस्कृत भाषा में पं० श्रेष्ठ चंद मिश्र, पं० प्रभुनाथ मिश्र, पं० रामावतार मिश्र उर्फ पं० रामावतार शर्मा, पं० हरिनारायण मिश्र उर्फ पं० हरिनारायण शर्मा जैसे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त महान आयुर्वेद विशेषज्ञों की वंश परम्परा से अर्जित सम्पूर्ण ज्ञान और अनुभव को आचार्य प्रिय व्रत शर्मा जी ने विश्व पटल पर स्थापित किया | पं० हरिनारायण शर्मा के भतीजा आचार्य प्रिय व्रत शर्मा जी विश्व प्रसिद्द ऐतिहासिक गुरुकुल 'वेदरत्न विद्यालय गुरुकुल, मुस्तफापुर, खगौल, जिला- पटना' के अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र थे और उन्होंने गुरुकुल की उच्च परंपरा और ऊँचे आदर्शों का जीवन पर्यंत निर्वाह किया | वह ऋषि परम्परा के महान संत थे | उनका संप.

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