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सुकेन्द्रिक और हरिणपदी कुल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

सुकेन्द्रिक और हरिणपदी कुल के बीच अंतर

सुकेन्द्रिक vs. हरिणपदी कुल

कुछ युकेरियोटी जीव सुकेंद्रिक या युकेरियोट (eukaryote) एक जीव को कहा जाता है जिसकी कोशिकाओं (सेल) में झिल्लियों में बंद असरल ढाँचे हों। सुकेंद्रिक और अकेंद्रिक (प्रोकेरियोट) कोशिकाओं में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि सुकेंद्रिक कोशिकाओं में एक झिल्ली से घिरा हुआ केन्द्रक (न्यूक्लियस) होता है जिसके अन्दर आनुवंशिक (जेनेटिक) सामान होता है। जीवविज्ञान में सुकेंद्रिक कोशिकाओं वाले जीवों के टैक्सोन को 'सुकेंद्रिक' या 'युकेरियोटी' (eukaryota) कहते हैं।, Mary K. Campbell, Shawn O. Farrell, pp. कॉन्वाल्वुलेसी हरिणपदी कुल (कॉन्वाल्वुलेसी, Convolvulaceae) द्विदालीय वर्ग के पौधों का एक कुल है जिसमें करीब ४५ जीनरा (genera) तथा १००० जातियों (Species) का वर्णन मिलता है। इस कुल के पौधे अधिकतर उष्णकटिबंध में पाए जाते हैं, यों तो इनकी प्राप्ति प्राय: सारे विश्व में है। पौधे अधिकांश एकवर्षीय तथा कुछ बहुवर्षीय होते हैं। कुछ लतास्वरूप परारोही तथा कुछ छोटे पौधों के रूप में उगा करते हैं। सफेद दूध सा पदार्थ पौधों के हरेक भाग में विद्यमान रहता है। जड़पद्धति (root system) बहुत विस्तृत होती है। जड़ें कभी कभी लंबी तथा पतली होती हैं, कुछ पौधों में ये मोटी, गूदादार तथा अधिक लंबी होती हैं, जैसे शकरकंद। इनमें खाद्य पदार्थ स्टार्च के रूप में विद्यमान होता है। अमरबेलि (Cuscuta) इसी कुल का पौधा है जो पराश्रयी और अन्य वृक्ष पर लिपटा हुआ फैला रहता है तथा अपनी जड़ें धँसाकर खाना आदि लेता रहता है। तना नरम, कभी कभी पराश्रयी एवं लिपटा हुआ होता है। किसी किसी में पर्याप्त मोटा होता है। अमरबेलि में तना नरम तथा पीला होता है। पत्तियाँ सरल डंठलयुक्त तथा असम्मुख होती हैं। अमरबेलि में पत्तियाँ बहुत छोटी तथा शल्कपत्रवत्‌ (Scaly) होती हैं। पुष्प एकाकी (solitary) अथवा पुष्पक्रम (inflorescence) में पैदा होते हैं। ये पंचतयी (Pentamarous), जायांगाधर (Eypogynous) और नियमित होते हैं। बाह्यदलपुंज (Calx) पाँच तथा स्वतंत्र बाह्यदल का बना होता है। दलपुंज (Covolla) पाँच संयुक्तदली (gamopetalous) तथा घंटे के आकार का होता है। रंग भिन्न भिन्न परंतु अधिकांशत: गुलाबी होता है। पुर्मग (Androecium) पाँच पुकेसरों (Stamens) का दललग्न (epiepetalous) तथा अंतर्मुखी (introrse) होता है। जायांग (Gynaecium) दो या तीन अंडव (Carpels) का होता है जो जुड़े हुए होते हैं। अंडाशय जयांगाधर (hypogynous) होता है। बीजांड (ovules) स्तंभीय (axile) बीजांडासन (Placenta) पर लगे रहते हैं तथा प्रत्येक कोष्ठक (locule) में इनकी संख्या प्राय: दो अथवा कभी कभी चार भी होती है। वर्तिका (Style) एक या तीन तथा वर्तिकाग्र (Stigma) दो या तीन भागों में विभाजित होता है। शहद सा पदार्थ एक विशेष अंग से पैदा होता है जो अंडाशय (ovary) के नीचे विद्यमान रहता है। फल अधिकतर संपुटिका (Capsule) तथा कभी कभी बेरी (berry) होता है। बीज असंख्य होते हैं। संसेचनक्रिया कीड़ों द्वारा होती है। इस कुल के कुछ मुख्य पौधे निम्न हैं: (१) शकरकंदश् (ipomoea batata) यह पोषणतत्व से भरा होने के कारण खाने के काम आता है। (२) करेम (Ipomoea reptaus) - यह पानी का पौधा है तथा इसे शाक के रूप में प्रयोग करते हैं। (३) चंद्रपुष्प (moon flower, Ipomoea bona-nose) - इसके पुष्प शाम को खिलते हैं और प्रात: मुरझा जाते हैं। (४) हिरनखुरी (Convolvulus arvensis) यह गेहूँ और जौ के खेतों में उगकर फसलों को हानि पहुँचाता है। (५) अमरबेलि (Cuscuta) या आकाशबेलि - यह परारोही तथा पूर्ण पराश्रयी होता है। .

सुकेन्द्रिक और हरिणपदी कुल के बीच समानता

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सुकेन्द्रिक और हरिणपदी कुल के बीच तुलना

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संदर्भ

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