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समान अवसर और स्वतंत्रतावाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

समान अवसर और स्वतंत्रतावाद के बीच अंतर

समान अवसर vs. स्वतंत्रतावाद

समान अवसर की परिभाषा और अर्थ पर काफी मतभेद है। मोटे तौर पर इसका अर्थ ऐसे सामाजिक वातावरण से है जिसमें व्यक्तियों को शिक्षा, रोजगार (जीविका), स्वास्थ्य-सुविधा आदि की प्राप्ति में ऐसे चीजों (traits) के आधार पर भेदभाव न किया जाता हो जिन्हे व्यक्ति कोशिश करके भी नहीं बदल सकता (immutable traits)। समान अवसर के निर्माण एवं क्रियान्यवन के लिये सरकार और संस्थाएँ तरह-तरह के उपाय करतीं हैं। समान अवसर प्रदाता संस्थाएँ निम्नलिखित चीजों के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करतीं-. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूँजीवादी देशों में लोकोपकार के आग्रह के तहत राज्य की बढ़ी हुई भूमिका की प्रतिक्रिया में स्वतंत्रतावाद (Libertarianism) के सिद्धांत का विकास हुआ है। स्वतंत्रतावाद मनुष्य और समाज के जीवन में राज्य की भूमिका को बेहद सीमित कर देना चाहता है। इसकी दो प्रमुख शाखाएँ हैं। एक शाखा अराजकतावादियों की है जो मानते हैं कि सरकार अपने आप में वैध संस्था है ही नहीं। दूसरी शाखा न्यनूतमवादियों की है जो मानती है कि सरकार को न्यूनतम काम करने का अधिकार है जिनमें पुलिस-सुरक्षा, अनुबंधों का कार्यान्वयन करवाना, नागरिक और फ़ौजदारी अदालत कायम करना शामिल है। लेकिन अधिकतर न्यूनतमवादी यह भी मानते हैं कि उनकी सूची में कर वसूलने का अधिकार शामिल नहीं है। यहाँ तक कि ऊपर वर्णित काम पूरे करने के लिए भी सरकार को लोगों से टैक्स नहीं लेना चाहिए। अराजकतावादियों का ख़याल है कि क्रिकेट के नाइटवाचमैन किस्म का यह राज्य भी कुछ ज़्यादा ही व्यापक है। वे मानते हैं कि न्यूनतमवादियों ने सरकार को जो काम दिये हैं, वे भी निजी एजेंसियों द्वारा किये जाने चाहिए। कुछ अराजकतावादी तो व्यक्ति की सुरक्षा के लिए भी सरकार को किसी तरह की शक्ति का उपभोग नहीं करने देना चाहते। स्वतंत्रतावादी व्यक्ति के आत्म-स्वामित्व या ‘सेल्फ़ ऑनरशिप’ के विचार पर बल देते हैं। आत्म-स्वामित्व का विचार कांट द्वारा लोगों को अपने-आप में साध्य मानने के सूत्र का ही एक रूप है। इसका अर्थ यह है कि हर व्यक्ति ख़ुद अपना मालिक है। इसलिए उसकी ज़िंदगी में किसी को भी ऐसा दख़ल देने की ज़रूरत नहीं हैं जिससे उसके आत्म- स्वामित्व का उल्लंघन होता हो। इस आधार पर भी स्वतंत्रतावाद दो धाराओं में बँट जाता है: पहला, दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावाद और दूसरा वामपंथी स्वतंत्रतावाद। दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावादी न्यूनतम राज्य की अवधारणा का समर्थक है। उसका मानना है कि व्यक्ति को असीम सम्पत्ति का अधिकार है। यदि राज्य व्यक्ति पर किसी भी तरह का कर लगाता है तो वह आत्म-स्वामित्व के उसूल का उल्लंघन होगा। लॉक के विचारों में इसके सूत्र पाये जा सकते हैं। बींसवी सदी में हायक और फ़्रीडमैन ने भी इस विचार का समर्थन किया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस आंदोलन को बौद्धिक समर्थन देने वाले प्रमुख विद्वानों में अमेरिकी अर्थशास्त्री मरे एन.

समान अवसर और स्वतंत्रतावाद के बीच समानता

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समान अवसर और स्वतंत्रतावाद के बीच तुलना

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संदर्भ

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