समरूपता और सर्वांगसमता
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समरूपता और सर्वांगसमता के बीच अंतर
समरूपता vs. सर्वांगसमता
इस चित्र में समान रंग में रंगे गये ज्यामितीय आकृयाँ परस्पर समरूप हैं। यदि दो ज्यामितीय वस्तुओं का आकार (स्वरूप) समान हो तो उन्हें समरूप (similar) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, यदि दूसरी आकृति की सभी लम्बाइयों को समान अनुपात में घटाकर या बढ़ाकर पहली आकृति प्राप्त की जा सकती है तो ये दोनो आकृतियाँ परस्पर समरूप हैं। किन्ही दो समरूप बहुभुजों की संगत भुजाएं समानुपाती होतीं हैं और संगत कोणों के मान समान होते हैं। सभी वृत्त समरूप होते हैं। दो दीर्घवृत्तों के दीर्घ अक्षों का अनुपात उनके लघु-अक्षों के अनुपात के बराबर हो तो वे भी समरूप होंगे। . '''सर्वांगसमता''' का एक उदाहरण - वायीं तरफ् की दो आकृतियाँ सर्वांगसम हैं; तीसरी आकृति उनके समरूप है; अन्तिम आकृति, पहली दो आकृतियों के '''न''' तो सर्वांगसम है न ही समरूप। ज्यामिति में बिन्दुओं के दो समुच्चय को परस्पर सर्वांगसम (congruent) कहते हैं यदि उनमें से किसी एक समुच्चय को स्थानान्तरण (translation), घूर्णन (rotation), परावर्तन (reflection) या इनके मिश्रित क्रियाओं के द्वारा परिवर्तित करने पर दूसरा समुच्चय प्राप्त किया जा सके। सर्वांगसम .
समरूपता और सर्वांगसमता के बीच समानता
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समरूपता और सर्वांगसमता के बीच तुलना
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संदर्भ
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