सत्रहवीं शताब्दी और सूदखोरी
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सत्रहवीं शताब्दी और सूदखोरी के बीच अंतर
सत्रहवीं शताब्दी vs. सूदखोरी
सत्रहवीं शताब्दी एक ईसवीं शताब्दी है। शताब्दी, सत्रहवीं. सूदखोरी वो व्यवस्था होती है जिसमें कर्ज़ अत्यधिक ब्याज पर या कोई अनैतिक तरीके से दिया जाता है। इस व्यवस्था में कर्ज़ लेने वाले का लाभ नहीं बल्कि कर्ज देने वाला का लाभ प्रधान होता है। ऐतिहासिक तौर पर और आज भी कई समाज में कर्ज पर ब्याज लेना ही सूदखोरी माना जाता था। ईसाई धर्म में ब्याज लेना गलत आचरण माना जाता था। इस कारण ईसाई समाजों में यहूदी ही कर्ज मुहैया कराते थे। प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी सूदखोरी को गलत माना गया है। .
सत्रहवीं शताब्दी और सूदखोरी के बीच समानता
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संदर्भ
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