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सत्यानन्द सरस्वती और स्वामी शिवानन्द सरस्वती

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

सत्यानन्द सरस्वती और स्वामी शिवानन्द सरस्वती के बीच अंतर

सत्यानन्द सरस्वती vs. स्वामी शिवानन्द सरस्वती

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती (24 दिसम्बर 1923 – 5 दिसम्बर 2009), संन्यासी, योग गुरू और आध्यात्मिक गुरू थे। उन्होने अन्तरराष्ट्रीय योग फेलोशिप (1956) तथा बिहार योग विद्यालय (1963) की स्थापना की। उन्होंने ८० से भी अधिक पुस्तकों की रचना की जिसमें से 'आसन प्राणायाम मुद्राबन्ध' नामक पुस्तक विश्वप्रसिद्ध है। . स्वामी कृष्णानन्द एवं स्वामी शिवानन्द (दाएँ) स्वामी शिवानन्द सरस्वती (१८८७-१९६३) वेदान्त के महान आचार्य और सनातन धर्म के विख्यात नेता थे। उनका जन्म तमिल नाडु में हुआ पर संन्यास के पश्चात उन्होंने जीवन ऋषिकेश में व्यतीत किया। स्वामी शिवानन्द का जन्म अप्यायार दीक्षित वंश में 8 सितम्वर 1887 को हुआ था। उन्होने बचपन में ही वेदान्त की अध्ययन और अभ्यास किया। इसके वाद उन्होने चिकित्साविज्ञान का अध्ययन किया। तत्पश्चात उन्होने मलाया में डाक्टर के रूप में लोगों की सेवा की। सन् 1924 में चिकित्सा सेवा का त्याग करने के पश्चात ऋषिकेष में बस गये और कठिन आध्यात्मिक साधना की। सन् 1932 में उन्होने शिवानन्दाश्रम और 1936 में दिव्य जीवन संघ की स्थापना की। अध्यात्म, दर्शन और योग पर उन्होने लगभग 300 पुस्तकों की रचना की। 14 जुलाई 1963 को वे महासमाधि लाभ किये। .

सत्यानन्द सरस्वती और स्वामी शिवानन्द सरस्वती के बीच समानता

सत्यानन्द सरस्वती और स्वामी शिवानन्द सरस्वती आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बिहार योग विद्यालय, योग, सन्यास

बिहार योग विद्यालय

बिहार योग विद्यालय योग से सम्बन्धित शिक्षण-प्रशिक्षण का अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालय है। यह बिहार के मुंगेर नगर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह विद्यालय 'गंगा दर्शन' के लिए प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना सन् १९६४ में स्वामी सत्यानन्द सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी शिवानन्द की इच्छानुसार विश्व को योग की प्राचीन विद्या की शिक्षा देने के निमित्त की थी। बिहार योग विद्यालय योग प्रशिक्षण प्रदान करने वाली एक दातव्य एवं शैक्षणिक संस्था है। आज यह विश्व का प्रथम योग विश्वविद्यालय है। इसके 200 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय एवं सैकड़ों राष्ट्रीय योग एवं आध्यात्मिक केन्द्र है। इसे मानद विश्वविद्यालय (डीम्ड यूनिवर्सिटी) का दर्जा दिया गया है। वर्तमान में गुरुकुल शैली में यहाँ चातुर्मासिक योग सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन होता है। यह संस्था योग दर्शन, योग मनोविज्ञान, अप्लाइड योग एवं पर्यावरण योग विज्ञान में उच्च अध्ययन के लिए एक वर्ष एवं दो वर्ष का कोर्स कराती है। यहां योग शोध संस्थान का एक वृहद पुस्तकालय भी है। इसमें विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी अध्ययन करने आते हैं। बाद में वे अपने-अपने देश में जाकर योग केंद्र भी चलाते हैं। .

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योग

पद्मासन मुद्रा में यौगिक ध्यानस्थ शिव-मूर्ति योग भारत और नेपाल में एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द, प्रक्रिया और धारणा बौद्ध धर्म,जैन धर्म और हिंदू धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बंधित है। योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत्‌ में लोग इससे परिचित हैं। इतनी प्रसिद्धि के बाद पहली बार ११ दिसंबर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष २१ जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। भगवद्गीता प्रतिष्ठित ग्रंथ माना जाता है। उसमें योग शब्द का कई बार प्रयोग हुआ है, कभी अकेले और कभी सविशेषण, जैसे बुद्धियोग, संन्यासयोग, कर्मयोग। वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं पतंजलि योगदर्शन में क्रियायोग शब्द देखने में आता है। पाशुपत योग और माहेश्वर योग जैसे शब्दों के भी प्रसंग मिलते है। इन सब स्थलों में योग शब्द के जो अर्थ हैं वह एक दूसरे के विरोधी हैं परंतु इस प्रकार के विभिन्न प्रयोगों को देखने से यह तो स्पष्ट हो जाता है, कि योग की परिभाषा करना कठिन कार्य है। परिभाषा ऐसी होनी चाहिए जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषों से मुक्त हो, योग शब्द के वाच्यार्थ का ऐसा लक्षण बतला सके जो प्रत्येक प्रसंग के लिये उपयुक्त हो और योग के सिवाय किसी अन्य वस्तु के लिये उपयुक्त न हो। .

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सन्यास

सन्यासी हिन्दू धर्म में जीवन के ४ भाग (आश्रम) किए गए हैं- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। चौथा भाग सन्यास का अर्थ एक न्यासी या ट्रस्टी की तरह जीवन व्यतीत करना होता है। इस आश्रम का उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है। मनुष्य जीवन को १०० वर्षों का मानकर ७५ वर्ष के उपरांत व्यक्ति को इस तरह से जीवन यापन करना चाहिए। श्रेणी:हिन्दू धर्म.

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सत्यानन्द सरस्वती और स्वामी शिवानन्द सरस्वती के बीच तुलना

सत्यानन्द सरस्वती 7 संबंध है और स्वामी शिवानन्द सरस्वती 16 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 13.04% है = 3 / (7 + 16)।

संदर्भ

यह लेख सत्यानन्द सरस्वती और स्वामी शिवानन्द सरस्वती के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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