संधारित्र और सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
संधारित्र और सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी के बीच अंतर
संधारित्र vs. सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी
विभिन्न प्रकार के आधुनिक संधारित्र समान्तर प्लेट संधारित्र का एक सरल रूप संधारित्र या कैपेसिटर (Capacitor), विद्युत परिपथ में प्रयुक्त होने वाला दो सिरों वाला एक प्रमुख अवयव है। यदि दो या दो से अधिक चालकों को एक विद्युत्रोधी माध्यम द्वारा अलग करके समीप रखा जाए, तो यह व्यवस्था संधारित्र कहलाती है। इन चालकों पर बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं। यदि संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा जाए, तो इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होगा, परंतु इसकी प्लेटों पर बराबर मात्रा में घनात्मक एवं ऋणात्मक आवेश संचय हो जाएँगे। विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है। संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर डीसी धारा नही बह सकती। संधारित्र की धारा और उसके प्लेटों के बीच में विभवान्तर का सम्बन्ध निम्नांकित समीकरण से दिया जाता है- जहाँ: . सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी (Microelectronics) इलेक्ट्रॉनिकी का एक उपक्षेत्र है। यह अत्यन्त सूक्ष्म आकार के एलेक्ट्रॉनिक अवयवों के अध्ययन एवं उनके विनिर्माण से संबन्धित है। प्रायः (किन्तु हमेशा नहीं) यह आकार माइक्रोमीटर के तुल्य आकार का या इससे छोटा होता है। युक्तियाँ अर्धचालकों से बनायी जाती हैं। आजकल एलेक्ट्रॉनिक डिजाइन में काम आने वाले बहुत से अवयव जैसे ट्रांजिस्टर, संधारित्र, प्रेरकत्व, प्रतिरोध तथा डायोड आदि सूक्ष्मएलेक्ट्रानिक रूप उपलब्ध हैं। .
संधारित्र और सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी के बीच समानता
संधारित्र और सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रेरकत्व, विद्युत प्रतिरोध।
विद्युतचुम्बकत्व एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में, प्रेरकत्व (inductance) किसी विद्युत चालक का वह गुण है जिसके कारण इससे होकर प्रवाहित धारा के परिवर्तित होने पर इसके स्वयं सिरों पर तथा दूसरे चालकों के सिरों पर विद्युतवाहक बल उत्पन्न होता है। .
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आदर्श प्रतिरोधक का V-I वैशिष्ट्य। जिन प्रतिरोधकों का V-I वैशिष्ट्य रैखिक नहीं होता, उन्हें अनओमिक प्रतिरोधक (नॉन-ओमिक रेजिस्टर) कहते हैं। किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (electrical resistannce) कहते हैं।इसे ओह्म में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है साइमन्स। जहां बहुत सारी वस्तुओं में, प्रतिरोध विद्युत धारा या विभवांतर पर निर्भर नहीं होता, यानी उनका प्रतिरोध स्थिर रहता है। right समान धारा घनत्व मानते हुए, किसी वस्तु का विद्युत प्रतिरोध, उसकी भौतिक ज्यामिति (लम्बाई, क्षेत्रफल आदि) और वस्तु जिस पदार्थ से बना है उसकी प्रतिरोधकता का फलन है। जहाँ इसकी खोज जार्ज ओह्म ने सन 1820 ई. में की।, विद्युत प्रतिरोध यांत्रिक घर्षण के कुछ कुछ समतुल्य है। इसकी SI इकाई है ओह्म (चिन्ह Ω).
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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
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संधारित्र और सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी के बीच तुलना
संधारित्र 19 संबंध है और सूक्ष्म-इलेक्ट्रॉनिकी 6 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 8.00% है = 2 / (19 + 6)।
संदर्भ
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