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शुक्र और स्वांटे आर्रेनियस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

शुक्र और स्वांटे आर्रेनियस के बीच अंतर

शुक्र vs. स्वांटे आर्रेनियस

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp. आर्रेनियस स्वांटे आगस्ट आर्रेनियस (१८५९ - १९२७) स्वीडेन के प्रसिद्ध रसायनज्ञ थे। ये मूलतः भौतिकविद थे किन्तु इन्हें प्रायः रसायनज्ञ ही कहा जाता है। भौतिक रसायन की स्थापना का श्रेय इनको ही है। १९०३ में इन्हें रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया और इस प्रकार वे स्व्वेडेन के प्रथम नोबेल विजेता भी हैं। इनकी शिक्षा अपसाला, स्टाकहोम तथा रीगा में हुई थी। इनकी बुद्धि बहुत ही प्रखर तथा कल्पनाशक्ति तीक्ष्ण थी। केवल २४ वर्ष की आयु में ही इन्होंने वैद्युत् वियोजन (इलेक्ट्रोलिटिक डिसोसिएशन) का सिद्धांत उपस्थित किया। अपसाला विश्वविद्यालय में इनकी डाक्टरेट की थीसिस का यही विषय था। इस नवीन सिद्धांत की कड़ी आलोचना हुई तथा उस समय के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने, जैसे लार्ड केल्विन इत्यादि ने, इसका बहुत विरोध किया। इसी समय एक दूसरे वैज्ञानिक वांट हॉफ ने पतले घोल के नियमों का अध्ययन कर गैस के नियमों से उसकी समानता पर जोर दिया। इस खोज से तथा ओस्टवाल्ट के समर्थन से अपनी निकली हुई पत्रिका 'साइट्श्रिफ्ट फूर फिज़िकलीशे केमी' में आर्रेनियस का लेख प्रकाशित किया और अपने भाषणों तथा लेखों में भी इस सिद्धांत का समर्थन किया। अंत में इस सिद्धांत को वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त हुई। सन् १८९१ में लेक्चरर तथा १८९५ में प्रोफेसर के पद पर, स्टाकहोम में, आर्रेनियस की नियुक्ति हुई। १९०२ में उन्हें डेवी मेडल तथा १९०३ में नोबेल पुरस्कार मिला। १९०५ से मृत्यु पर्यंत वे स्टाकहोम में नोबेल इंस्टिट्यूट के डाइरेक्टर रहे। बाद में उन्होंने दूसरे विषयों पर भी अपने विचार प्रकट किए। ये विचार उनकी पुस्तक 'वर्ल्ड्स इन द मेकिंग तथा 'लाइफ ऑन द यूनिवर्स' में व्यक्त हैं। श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता श्रेणी:रसायनज्ञ.

शुक्र और स्वांटे आर्रेनियस के बीच समानता

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शुक्र और स्वांटे आर्रेनियस के बीच तुलना

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संदर्भ

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