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शाही जापानी सेना और साइबेरिया

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

शाही जापानी सेना और साइबेरिया के बीच अंतर

शाही जापानी सेना vs. साइबेरिया

शाही जापानी सेना (जापानी: 大日本帝國陸軍 दाइ निप्पोन तेइकोकु रिकुगुन), अर्थात् "महान जापानी साम्राज्य की सेना" १८७१ से १९४५ तक जापानी साम्राज्य की थल सेना थी। इसका नियंत्रण शाही जापानी सेना सामान्य स्टाफ़ कार्यालय और युद्ध मंत्रालय करते थे, और दोनों जापानी सम्राट के नाममात्र अधीन थे, जो थल सेना और नौसेना के सर्वोच्च अधिकारी थे। बाद में सैन्य विमानन का महानिरीक्षणालय सेना की निगरानी करने वाली तीसरी एजेंसी बन गई। युद्ध या राष्ट्रीय आपातकाल के समय, कमान शाही सामान्य मुख्यालय में केन्द्रित होता था, जिसमें सेना के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, युद्ध मंत्री, विमानन के मुख्या निरीक्षक, और सैन्य प्रशिक्षण के मुख्य निरीक्षक शामिल थे।   . साइबेरिया का नक़्शा (गाढ़े लाल रंग में साइबेरिया नाम का संघी राज्य है, लेकिन लाल और नारंगी रंग वाले सारे इलाक़े साइबेरिया का हिस्सा माने जाते हैं गर्मी के मौसम में दक्षिणी साइबेरिया में जगह-जगह पर झीलें और हरियाली नज़र आती है याकुत्स्क शहर में 17वी शताब्दी में बना एक रूसी सैनिक-गृह साइबेरिया (रूसी: Сибирь, सिबिर) एक विशाल और विस्तृत भूक्षेत्र है जिसमें लगभग समूचा उत्तर एशिया समाया हुआ है। यह रूस का मध्य और पूर्वी भाग है। सन् 1991 तक यह सोवियत संघ का भाग हुआ करता था। साइबेरिया का क्षेत्रफल 131 लाख वर्ग किमी है। तुलना के लिए पूरे भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी है, यानि साइबेरिया भारत से क़रीब चार गुना है। फिर भी साइबेरिया का मौसम और भूस्थिति इतनी सख़्त है के यहाँ केवल 4 करोड़ लोग रहते हैं, जो 2011 में केवल उड़ीसा राज्य की आबादी थी। यूरेशिया का अधिकतर स्टॅप (मैदानी घासवाला) इलाक़ा साइबेरिया में आता है। साइबेरिया पश्चिम में यूराल पहाड़ों से शुरू होकर पूर्व में प्रशांत महासागर तक और उत्तर में उत्तरध्रुवीय महासागर (आर्कटिक महासागर) तक फैला हुआ है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ क़ाज़ाक़स्तान, मंगोलिया और चीन से लगती हैं। .

शाही जापानी सेना और साइबेरिया के बीच समानता

शाही जापानी सेना और साइबेरिया आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चीन, द्वितीय विश्वयुद्ध, बयकाल झील, मंगोलिया, सोवियत संघ

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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बयकाल झील

बयकाल झील (रूसी: о́зеро Байка́л ओज़ेरो बयकाल, बुर्यात: Байгал нуур बयगाल नुउर, अर्थ: प्रकृति झील) दुनिया की सब से प्राचीन और गहरी झील है। यह झील ३ करोड़ वर्ष से लगातार बनी हुई है और इसकी औसत गहराई ७४४.४ मीटर है। हालाँकि कैस्पियन सागर विश्व की सबसे ज़्यादा पानी वाली झील है, बयकाल का स्थान दुसरे नंबर पर आता है। क्योंकि कैस्पियन का पानी खारा है, इसलिए बयकाल दुनिया की सब से बड़ी मीठे पानी की झील है। अगर बर्फ़ में जमे हुए पानी और ज़मीन के अन्दर बंद हुए पानी को अलग छोड़ दिया जाए, तो दुनिया की सतह पर मौजूद २०% मीठा पानी इसी एक झील में समाया हुआ है। बयकाल झील रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिण भाग में, रूस के दो राज्यों (इरकुत्स्क ओब्लास्त और बुर्यात गणतंत्र) की सीमा पर स्थित है। इस झील को यूनेस्को ने विश्व की अनूठी प्राकृतिक विरासतों की सूची में शामिल कर रखा है। इस झील की लम्बाई ६३६ किलोमीटर है और इस झील में दुनिया में उपस्थित कुल पीने लायक पानी का पाँचवा हिस्सा और रूस में उपस्थित कुल पीने लायक पानी का ९०% हिस्सा सुरक्षित है। इस झील में पाए जान वाले बहुत-से जीव और बहुत-सी वनस्पतियाँ दुनिया भर में किसी अन्य जलाशय में नहीं पाए जाते। बयकाल की सबसे अधिक गहराई १,६४२ मीटर है (यानि ५,३८७ फ़ुट) और इसका पानी विश्व की सब झीलों में साफ़ माना जाता है। इस झील का अकार एक पतले, लम्बे नए चाँद की तरह है। .

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मंगोलिया

मंगोलिया (मंगोलियन: Монгол улс) पूर्व और मध्य एशिया में एक भूमि से घिरा (लेंडलॉक) देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में रूस, दक्षिण, पूर्वी और पश्चिमी में चीन से मिलती हैं। हालांकि, मंगोलिया की सीमा कज़ाख़िस्तान से नहीं मिलती, लेकिन इसकी सबसे पश्चिमी छोर कज़ाख़िस्तान के पूर्वी सिरे से केवल 24 मील (38 किमी) दूर है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर उलान बाटोर है, जहां देश की लगभग 38% जनसंख्या निवास करती है। मंगोलिया में संसदीय गणतंत्र है। .

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सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

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शाही जापानी सेना और साइबेरिया के बीच तुलना

शाही जापानी सेना 42 संबंध है और साइबेरिया 24 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 7.58% है = 5 / (42 + 24)।

संदर्भ

यह लेख शाही जापानी सेना और साइबेरिया के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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