शक्तियों का पृथक्करण और सत्तावाद
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शक्तियों का पृथक्करण और सत्तावाद के बीच अंतर
शक्तियों का पृथक्करण vs. सत्तावाद
शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त (principle of separation of powers) राज्य के सुशासन का एक प्रादर्श (माडल) है। शक्तियों के पृथक्करण के लिये राज्य को भिन्न उत्तरदायित्व वाली कई शाखाओं में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक 'शाखा' को अलग-अलग और स्वतंत्र शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं। प्रायः यह विभाजन - कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के रूप में किया जाता है। शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत फ्रेंच दार्शनिक मान्टेस्कयू ने दिया था। उसके अनुसार राज्य की शक्ति उसके तीन भागों कार्यपालिका, विधानपालिका, तथा न्यायपालिका मे बांट देनी चाहिये। यह सिद्धांत राज्य को सर्वाधिकारवादी होने से बचा सकता है तथा व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। अमेरिका का संविधान पहला ऐसा संविधान था जिसमें यह सिद्धान्त अपनाया गया था। . सत्तावाद वह दृष्टिकोण है जिसमें सत्तारूढ़ दल या विचारधारा को आप्त मानकर आस्थापूर्वक उसके निर्देशों का पालन किया जाता है, उन पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जाता। .
शक्तियों का पृथक्करण और सत्तावाद के बीच समानता
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शक्तियों का पृथक्करण और सत्तावाद के बीच तुलना
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संदर्भ
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