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व्यापार और सूदखोरी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

व्यापार और सूदखोरी के बीच अंतर

व्यापार vs. सूदखोरी

उनीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पुणे के शनिवार पेठ का दृष्य व्यापार (Trade) का अर्थ है क्रय और विक्रय। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति (या संस्था) से दूसरे व्यक्ति (या संस्था) को सामानों का स्वामित्व अन्तरण ही व्यापार कहलाता है। स्वामित्व का अन्तरण सामान, सेवा या मुद्रा के बदले किया जाता है। जिस नेटवर्क (संरचना) में व्यापार किया जाता है उसे 'बाजार' कहते हैं। आरम्भ में व्यापार एक सामान के बदले दूसरा सामान लेकर (वस्तु-विनिमय या बार्टर) किया जाता था। बाद में अधिकांश वस्तुओं के बदले धातुएँ, मूल्यवान धातुएँ, सिक्के, हुण्डी (bill) अथवा पत्र-मुद्रा से हुईँ। आजकल अधिकांश क्रय-विक्रय मुद्रा (मनी) द्वारा होता है। मुद्रा के आविष्कार (तथा बाद में क्रेडिट, पत्र-मुद्रा, अभौतिक मुद्रा आदि) से व्यापार में बहुत सरलता और सुविधा आ गयी। . सूदखोरी वो व्यवस्था होती है जिसमें कर्ज़ अत्यधिक ब्याज पर या कोई अनैतिक तरीके से दिया जाता है। इस व्यवस्था में कर्ज़ लेने वाले का लाभ नहीं बल्कि कर्ज देने वाला का लाभ प्रधान होता है। ऐतिहासिक तौर पर और आज भी कई समाज में कर्ज पर ब्याज लेना ही सूदखोरी माना जाता था। ईसाई धर्म में ब्याज लेना गलत आचरण माना जाता था। इस कारण ईसाई समाजों में यहूदी ही कर्ज मुहैया कराते थे। प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी सूदखोरी को गलत माना गया है। .

व्यापार और सूदखोरी के बीच समानता

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

व्यापार और सूदखोरी के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख व्यापार और सूदखोरी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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