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व्याख्यान शास्त्र और शारीरिक भाषा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

व्याख्यान शास्त्र और शारीरिक भाषा के बीच अंतर

व्याख्यान शास्त्र vs. शारीरिक भाषा

व्याख्यान शास्त्र (rhetoric) उस कला को कहते हैं जिसमें लेखकों और वक्ताओं की जानकारी प्रदान करने, भावनाएँ व्यक्त करने और श्रोताओं को भिन्न उद्देश्यों के लिए प्रेरित करने की क्षमता और उसे सुधारने की विधियों का अध्ययन किया जाता है। . शारीरिक भाषा का अध्ययन शारीरिक भाषा अमौखिक संचार, का एक रूप है जिसे शरीर की मुद्रा, चेहरे की अभिव्यक्ति, इशारों और आँखों की गति के द्वारा व्यक्त किया जाता है। मनुष्य अनजाने में ही इस तरह के संकेत भेजता भी है और समझता भी है। अक्सर कहा जाता है कि मानव संचार का 93% हिस्सा शारीरिक भाषा और परा भाषीय संकेतों से मिलकर बना होता है जबकि शब्दों के माध्यम से कुल संचार का 7% हिस्सा ही बनता है- लेकिन 1960 के दशक में इस क्षेत्र में कार्य करके ये आंकड़े देने वाले शोधकर्ता एल्बर्ट मेहराबियन ने कहा था कि ये दरअसल उनके अध्ययन के परिणाम के आधार पर हो रही एक गलतफहमी है (मेह्राबियन के नियम के अपनिर्वचन या मिसइंटरप्रिटेशन को देखें).

व्याख्यान शास्त्र और शारीरिक भाषा के बीच समानता

व्याख्यान शास्त्र और शारीरिक भाषा आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

व्याख्यान शास्त्र और शारीरिक भाषा के बीच तुलना

व्याख्यान शास्त्र 6 संबंध है और शारीरिक भाषा 6 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (6 + 6)।

संदर्भ

यह लेख व्याख्यान शास्त्र और शारीरिक भाषा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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