वोलापूक भाषा और स्वप्न
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वोलापूक भाषा और स्वप्न के बीच अंतर
वोलापूक भाषा vs. स्वप्न
वोलापूक आन्दोलन का लोगो (दूसरा चरण)। वोलापूक भाषा (Volapük) एक कृत्रिम भाषा है, जिसे १८७९-१८८० में जॉहान मार्टिन स्कैलियेर नामक एक रोमन कैथलिक पादरी ने बाडन, जर्मनी में निर्मित किया था। स्कैलियेर को यह अनुभव हुआ कि ईश्वर ने उसे कहा है कि वह एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का निर्माण करे। वोलापूक सम्मेलन १८८४ में फ़्रीड्रिकशैफ़न, १८८७ में म्यूनिख और १८८९ में पेरिस में हुआ था। प्रथम दो सम्मेलनों में जर्मन का उपयोग हुआ था और अन्तिम सम्मेलन में केवल वोलापूक का। वर्ष १८८९ में वोलापूक भाषा में या इसके बारे में २८३ क्लब, २५ नियतकालिक पत्रिकाएँ और २५ भाषाओं में ३१६ पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध थीं। वर्ष २००० के अनुमाक अनुसार पूरे विश्व में इस भाषा को बोलने वालों की संख्या २०-३० तक है। फ़्रवरी २०१२ की स्थिति तक वोलापूक भाषा विकिपीडिया पर लेखों की संख्या १,१९,००० के लगभग है और यह सैतीसवाँ सबसे बड़ा विकिपीडिया संस्करण है। . आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सोते समय की चेतना की अनुभूतियों को स्वप्न कहते हैं। स्वप्न के अनुभव की तुलना मृगतृष्णा के अनुभवों से की गई है। यह एक प्रकार का विभ्रम है। स्वप्न में सभी वस्तुओं के अभाव में विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ दिखाई देती हैं। स्वप्न की कुछ समानता दिवास्वप्न से की जा सकती है। परंतु दिवास्वप्न में विशेष प्रकार के अनुभव करनेवाला व्यक्ति जानता है कि वह अमुक प्रकार का अनुभव कर रहा है। स्वप्न अवस्था में 99.9% अनुभवकर्ता नहीं जानते कि वह स्वप्न देख रहा है, लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे बुद्धजीवी लोग है जिनका दिमाग क्षमता से अधिक सोचने लगता जो कि स्वप्न में भी खुद को पहचान लेते है। एक प्रयोग के दौरान कुछ वैज्ञानिको ने भी माना कि ऐसा संभव लेकिन जब वो स्वप्न में खुद को पहचान लेगें तो उस स्वप्न से बाहर आना काफी मसक्कत भरा होगा और इससे कमजोर दिमाग वाले व्यक्ति के कोमा में जाने के आसार काफी बढ़ जाते है ऐसी घटना किसी व्यक्ति के साथ होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। स्वप्न की घटनाएँ वर्तमान काल से संबंध रखती हैं। दिवास्वप्न की घटनाएँ भूतकाल तथा भविष्यकाल से संबंध रखती हैं। भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार स्वप्न चेतना की चार अवस्थाओं में से एक विशेष अवस्था है। बाकी तीन अवस्थाएँ जाग्रतावस्था, सुषुप्ति अवस्था और तुरीय अवस्था हैं। स्वप्न और जाग्रताअवस्था में अनेक प्रकार की समानताएँ हैं। अतएव जाग्रतावस्था के आधार पर स्वप्न अनुभवों को समझाया जाता है। इसी प्रकार स्वप्न अनुभवों के आधार पर जाग्रताअवस्था के अनुभवों को भी समझाया जाता है। स्वप्न इंसान की यादों, भावनाओ, कल्पनाओ, सोच, विचारों, इच्छाओं और सबसे बड़ा उसके डर का मिला एक प्रारूप है। .
वोलापूक भाषा और स्वप्न के बीच समानता
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संदर्भ
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