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वियतनाम का इतिहास और शाही जापानी सेना

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

वियतनाम का इतिहास और शाही जापानी सेना के बीच अंतर

वियतनाम का इतिहास vs. शाही जापानी सेना

वियतनाम पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव: दा नंग के चाम संग्रहालय में गणेश की मूर्ति वियतनाम का इतिहास 2,700 वर्षों से भी अधिक कालखण्ड में फैला हुआ है। अन्तरराष्ट्रीय संबन्ध के मामले में इसके लिये सबसे महत्वपूर्ण चीन रहा है। वियतनाम के प्रागैतिहासिक काल में वँन लांग (2787–2858 BC) राजवंश की कथा आती है जिसके राज्य के अधीन वर्तमान चीन का ग्वांग्सी स्वायत्त क्षेत्र (Guangxi Autonomous Region) तथा ग्वांगडॉघ राज्य (Guangdong province) भी आते थे। इसके अलावा इसमें उत्तरी वियतनाम के क्षेत्र शामिल थे। इसके बाद 207 ईसा पूर्व से लेकर 938 ई तक चीनी मूल के कई राजवंशों ने वियतनाम पर शासन किया। इसके बाद वियतनाम स्वतंत्र हुआ। वियतनाम ने 1255 और 1285 के बीच चीनियों और मंगोलों के तीन आक्रमणों का करारा जबाब दिया। उन्नीसवीं शती के मध्य में फ्रांसीसियों ने वियतनाम पर अधिकार करके उसे अपना उपनिवेश बना लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान ने फ्रांसीसियों को वियतनाम से हटाकर उस पर अपना अधिकार कर लिया। युद्ध की समाप्ति पर फ्रांस ने अपनी खोयी सत्ता को पुनः स्थापित करने की चेष्टा की जिसके फलस्वरूप प्रथम हिन्दचीन युद्ध हुआ। वियतनाम की जीत हुई। जिनेवा समझौता हुआ जिसके अनुसार वियतनाम को दो भागों में विभक्त कर दिया गया और वादा किया गया कि लोकतांत्रिक चुनाव कराने के बाद देश को पुनः एक कर दिया जायेगा। किन्तु विभाजन होने के बाद शान्तिपूर्वक एकीकरण होने के बजाय वियतनाम युद्ध का जन्म हुआ। वियतनाम युद्ध का अन्त सन् १९७५ में हुआ। सन् १९७५ के बाद भी वियतनाम को शीतयुद्ध के कारण तथा कंबोडिया में पोल पॉट के जातिसंहार के खिलाफ वियतनाम के आक्रमण के फलस्वरूप अन्तरराष्ट्रीय दमन और बिलगाव का दंश झेलना पड़ा। सन् 1986 में वियतनाम की साम्यवादी पार्टी ने अपनी आर्थिक नीति में चीन जैसा निजीकरण करना आरम्भ किया। सन् १९८५ के उपरान्त वियतनाम ने अच्छी आर्थिक प्रगति की है। . शाही जापानी सेना (जापानी: 大日本帝國陸軍 दाइ निप्पोन तेइकोकु रिकुगुन), अर्थात् "महान जापानी साम्राज्य की सेना" १८७१ से १९४५ तक जापानी साम्राज्य की थल सेना थी। इसका नियंत्रण शाही जापानी सेना सामान्य स्टाफ़ कार्यालय और युद्ध मंत्रालय करते थे, और दोनों जापानी सम्राट के नाममात्र अधीन थे, जो थल सेना और नौसेना के सर्वोच्च अधिकारी थे। बाद में सैन्य विमानन का महानिरीक्षणालय सेना की निगरानी करने वाली तीसरी एजेंसी बन गई। युद्ध या राष्ट्रीय आपातकाल के समय, कमान शाही सामान्य मुख्यालय में केन्द्रित होता था, जिसमें सेना के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, युद्ध मंत्री, विमानन के मुख्या निरीक्षक, और सैन्य प्रशिक्षण के मुख्य निरीक्षक शामिल थे।   .

वियतनाम का इतिहास और शाही जापानी सेना के बीच समानता

वियतनाम का इतिहास और शाही जापानी सेना आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चीन, द्वितीय विश्वयुद्ध

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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वियतनाम का इतिहास और शाही जापानी सेना के बीच तुलना

वियतनाम का इतिहास 11 संबंध है और शाही जापानी सेना 42 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.77% है = 2 / (11 + 42)।

संदर्भ

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