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विद्युत आवेश और संलय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

विद्युत आवेश और संलय के बीच अंतर

विद्युत आवेश vs. संलय

विद्युत आवेश कुछ उपपरमाणवीय कणों में एक मूल गुण है जो विद्युतचुम्बकत्व का महत्व है। आवेशित पदार्थ को विद्युत क्षेत्र का असर पड़ता है और वह ख़ुद एक विद्युत क्षेत्र का स्रोत हो सकता है। आवेश पदार्थ का एक गुण है! पदार्थो को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर इलेक्ट्रोनों के आदान प्रदान के फलस्वरूप आकर्षण का गुण आ जाता है। . खोखले दाँत में भरा '''संलय''' पारा तथा अन्य किसी धातु की मिलावट से बनी मिश्रधातु को संलय या संरस (amalgam) कहते हैं। केवल लोहे को छोड़कर प्राय: सभी धातुएँ पारे के साथ मिलकर मिश्रधातु बनाती हैं। कुछ समय पूर्व संरसों का व्यवहार स्वर्ण, चाँदी, जस्ता जैसी धातुओं में किया जाता था। दाँत के डाक्टरों द्वारा खोखले दाँत भरने के लिये भी संरसों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है, किंतु अब अन्य अधिक उपयोगी साधनों के सुलभ होने के कारण संरसों का उपयोग कम होता जा रहा है। चाँदी, ताँबा, तथा राँगे की मिश्रधातु को पारे के साथ संरस बनाकर, दाँत भरने में प्रयुक्त किया जाता है। यह संरस दाँत के खोड़रे में दो मिनट में ही जमकर सख्त हो जाता है। संरस में मिले पारे की न्यूनता एवं अधिकता के अनुसार ही संरस तरल एवं ठोस होता है। संरस साधारणत: चार प्रकार से तैयार किया जा सकता है: (1) किसी धातु को पारे के साथ रगड़कर, (2) जिस धातु का संरस बनाना है उससे बना कैथोड (cathode) पारे के किसी लवण के विलयन में पारे का कैथोड डालकर सोडियम संरस बनाकर फिर उस संरस को पानी के साथ क्रिया कराकर, कॉस्टिक सोडा तैयार किया जाता है, (3) किसी धातु को केवल पारे के किसी लवण के साथ क्रिया कराकर, अथवा (4) किसी धातु के लवण के साथ पारे की क्रिया कराकर। रासायनिक क्रियाओं में संरसों का उपयोग अब भी काफी होता है। .

विद्युत आवेश और संलय के बीच समानता

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विद्युत आवेश और संलय के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख विद्युत आवेश और संलय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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