लौहचुम्बकत्व और शैथिल्य
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
लौहचुम्बकत्व और शैथिल्य के बीच अंतर
लौहचुम्बकत्व vs. शैथिल्य
लौहचुंबकत्व (Ferromagnetism) (फेरीचुंबकत्व को मिलाकर) ही वह मूलभूत तरीका है जिससे कुछ पदार्थ (जैसे लोहा) स्थायी चुम्बक बनाते हैं या दूसरे चुम्बकों की ओर आकृष्ट होते हैं। वैसे प्रतिचुम्बकीय (डायामैग्नेटिक) और अनुचुम्बकीय (पैरामैग्नेटिक) पदार्थ भी चुम्बकीय क्षेत्र में आकर्षित या प्रतिकर्षित होते हैं किन्तु इन पर लगने वाला बल इतना कम होता है कि उसे प्रयोगशालाओं के अत्यन्त सुग्राही (सेंस्टिव) उपकरणों द्वारा ही पता लगाया जा सकता है। प्रतिचुम्बकीय और अनुचुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बकत्व नहीं दे सकते। कुछ ही पदार्थ लौहचुम्बकत्व का गुण प्रदर्शित करते हैं जिनमें से मुख्य हैं - लोहा, निकल, कोबाल्ट तथा इनकी मिश्रधातुएँ, कुछ रेअर-अर्थ धातुएँ, तथा कुछ सहज रूप में प्राप्त खनिज (जैसे लोडस्टोन / lodestone) आदि। उद्योग एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी में लौहचुमबकत्व का बहुत महत्व है। लौहचुम्बकत्व ही अनेकों (लगभग सभी) विद्युत और विद्युतयांत्रिक युक्तियों का आधार है। विद्युतचुम्बक (electromagnets), विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र (generators), ट्रांसफॉर्मर, टेप रिकॉर्डर, हार्ड डिस्क आदि सभी का आधार विद्युतचुम्बकीय पदार्थ ही हैं। लौहचुम्बकीय (तथा फेरीचुम्बकीय) पदार्थों का बी-एच वक्र (B-H Curve) एक सीधी रेखा नहीं होती बल्कि एक अरैखिक वक्र होता है जिसकी प्रवणता (स्लोप) चुम्बकीय फ्लक्स के अनुसार अलग-अलग होती है। इसके अलावा इनकी बी-एच वक्र में हिस्टेरिसिस होती है जिसके बिना ये स्थायी चुम्बकत्व का गुण प्रदर्शित नहीं कर सकते थे। इसके अलावा लौहचुम्बकीय पदार्थ एक और विशेष गुण प्रदर्शित करते हैं - उनका ताप एक निश्चित ताप के उपर ले जाने पर उनका लौहचुम्बकीय गुण लुप्त हो जाता है। इस ताप को क्यूरी ताप कहते हैं। . शैथिल्य या 'हिस्टेरिसिस' (magnetic hysteresis) पदार्थों या तंत्र का वह गुण है जिसके कारण कोई आउटपुट, केवल इनपुट पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि निवेश (इन्पुट) एवं निर्गत (आउटपुट) सिग्नल की पूर्व स्थितियों (इतिहास) पर भी निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि शैथिल्ययुक्त किसी पदार्थ या तंत्र में स्मृति (memory) होती है। भौतिकी में बहुत से निकाय अपनी प्राकृतिक में शैथिल्य प्रदर्शन करते हैं। उदाहरण के लिये लोहा का चुम्बकन शैथिल्य प्रकट करता है। .
लौहचुम्बकत्व और शैथिल्य के बीच समानता
लौहचुम्बकत्व और शैथिल्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): लोहा।
एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .
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लौहचुम्बकत्व और शैथिल्य के बीच तुलना
लौहचुम्बकत्व 19 संबंध है और शैथिल्य 5 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.17% है = 1 / (19 + 5)।
संदर्भ
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