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लोयस और हिमानी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लोयस और हिमानी के बीच अंतर

लोयस vs. हिमानी

पवन द्वारा उडाई गई धूलो के निक्षेप से निर्मित जमाव को लोयस कहते हैं। लोयस का नामकरण फ्रांस के अलसस प्रान्त के लोयस नामक ग्राम के आधार पर किया गया हैं, क्योंकि यहाँ पर लोयस के समान ही मिट्टी का निक्षेप पाया जाता हैं। लोयस का जमाव रेगिस्तानों से दूरस्थ स्थानों में होता हैं। इसमे मिट्टियों के कण इतने बारीक होते हैं कि इनमे परतें नही मिलती। परन्तु लोयस अत्यधिक पारगम्य होती हैं। मिट्टी मुलायम होती है। लोयस का निर्माण उस समय होता हैं जब पवन के साथ मिली हुई धूल नीचे बैठकर एक स्थान पर बडे पैमाने पर निक्षेपित हो जाती हैं | श्रेणी:पवन द्वारा उत्पन्न स्थलाकृति श्रेणी:पवन द्वारा निक्षेपात्मक स्थलरुप श्रेणी:वातज स्थलरूप. काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी हिमानी या हिमनद (अंग्रेज़ी Glacier) पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को कहते है जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों का अनुसरण करते हुए नीचे की ओर प्रवाहमान होती है। ध्यातव्य है कि यह हिमराशि सघन होती है और इसकी उत्पत्ति ऐसे इलाकों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा हिम के क्षय से अधिक होती है और प्रतिवर्ष कुछ मात्रा में हिम अधिशेष के रूप में बच जाता है। वर्ष दर वर्ष हिम के एकत्रण से निचली परतों के ऊपर दबाव पड़ता है और वे सघन हिम (Ice) के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार के कारण ढालों पर प्रवाहित होती है जिसे हिमनद कहते हैं। प्रायः यह हिमखंड नीचे आकर पिघलता है और पिघलने पर जल देता है। पृथ्वी पर ९९% हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में हैं। इसके अलावा गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों के हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है और ये उन ऊंचे पर्वतों के सहारे पाए जाते हैं जिन पर वर्ष भर ऊपरी हिस्सा हिमाच्छादित रहता है। ये हिमानियाँ समेकित रूप से विश्व के मीठे पानी (freshwater) का सबसे बड़ा भण्डार हैं और पृथ्वी की धरातलीय सतह पर पानी के सबसे बड़े भण्डार भी हैं। हिमानियों द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी निर्मित किये जाते हैं जिनमें प्लेस्टोसीन काल के व्यापक हिमाच्छादन के दौरान बने स्थलरूप प्रमुख हैं। इस काल में हिमानियों का विस्तार काफ़ी बड़े क्षेत्र में हुआ था और इस विस्तार के दौरान और बाद में इन हिमानियों के निवर्तन से बने स्थलरूप उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहाँ आज उष्ण या शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है। वर्तमान समय में भी उन्नीसवी सदी के मध्य से ही हिमानियों का निवर्तन जारी है और कुछ विद्वान इसे प्लेस्टोसीन काल के हिम युग के समापन की प्रक्रिया के तौर पर भी मानते हैं। हिमानियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये जलवायु के दीर्घकालिक परिवर्तनों जैसे वर्षण, मेघाच्छादन, तापमान इत्यादी के प्रतिरूपों, से प्रभावित होते हैं और इसीलिए इन्हें जलवायु परिवर्तन और समुद्र तल परिवर्तन का बेहतर सूचक माना जाता है। .

लोयस और हिमानी के बीच समानता

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लोयस और हिमानी के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख लोयस और हिमानी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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