लोकोक्ति और वाचिक परम्परा
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
लोकोक्ति और वाचिक परम्परा के बीच अंतर
लोकोक्ति vs. वाचिक परम्परा
बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। इनकी उत्पत्ति एवं रचनाकार ज्ञात नहीं होते। लोकोक्तियाँ आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों एवं संदर्भों से उपजे वैसे पद एवं वाक्य होते हैं जो किसी खास समूह, उम्र वर्ग या क्षेत्रीय दायरे में प्रयोग किया जाता है। इसमें स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति, भाषाओं का मिश्रण इत्यादि की झलक मिलती है। लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं। . कथा, कहानी, लोकोक्ति, गान, भजन, कविता या अन्य मौखिक (अलिखित) साधनों द्वारा सांस्कृतिक तत्वों और परम्परा का संचार वाचिक परम्परा (oral tradition) कहलाती है। वाचित परम्परा के द्वारा विभिन्न समाज (किसी लेखन प्रणाली के बिना भी) वाचिक इतिहास, वाचिक साहित्य, वाचिक कानून तथा अन्य ज्ञान का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचार करते आये हैं। अन्य संस्कृतियों की भांति ही भारतीय संस्कृति में वाचिक परम्परा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारतीय काव्य किसी न किसी रूप में वाचिक संस्कार से अभी तक सुवसित है। कविता की वाचिकता अभी भी है और वह लोक में आदर भी पाती है। श्रुति की रक्षा इसी परम्परा से हुई। .
लोकोक्ति और वाचिक परम्परा के बीच समानता
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संदर्भ
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