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लोककथा और २१ फ़रवरी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लोककथा और २१ फ़रवरी के बीच अंतर

लोककथा vs. २१ फ़रवरी

लोककथाएँ वे कहानियाँ हैं जो मनुष्य की कथा प्रवृत्ति के साथ चलकर विभिन्न परिवर्तनों एवं परिवर्धनों के साथ वर्तमान रूप में प्राप्त होती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ निश्चित कथानक रूढ़ियों और शैलियों में ढली लोककथाओं के अनेक संस्करण, उसके नित्य नई प्रवृत्तियों और चरितों से युक्त होकर विकसित होने के प्रमाण है। एक ही कथा विभिन्न संदर्भों और अंचलों में बदलकर अनेक रूप ग्रहण करती हैं। लोकगीतों की भाँति लोककथाएँ भी हमें मानव की परंपरागत वसीयत के रूप में प्राप्त हैं। दादी अथवा नानी के पास बैठकर बचपन में जो कहानियाँ सुनी जाती है, चौपालों में इनका निर्माण कब, कहाँ कैसे और किसके द्वारा हुआ, यह बताना असंभव है। "यद्यपि दादी नानी से ज्यादा कहानियाँ दादा नाना सुनाते हैं लेकिन फिर भी दादी-नानी को ही ज्यादा महता देना भी विरासत में चली आ रही परिपाटी का ही परिणाम है!"-डॉ.रवींद्र भारतीय . २१ फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ५२वाँ दिन है। वर्ष मे अभी और ३१३ दिन बाकी है (लीप वर्ष मे ३१४)। .

लोककथा और २१ फ़रवरी के बीच समानता

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लोककथा और २१ फ़रवरी के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख लोककथा और २१ फ़रवरी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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