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लैमार्क और विकासवाद का इतिहास

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

लैमार्क और विकासवाद का इतिहास के बीच अंतर

लैमार्क vs. विकासवाद का इतिहास

जीन बैप्टिस्ट डी लामार्क लैमार्क या जीन बैप्टिस्ट पियेर आंत्वान द मॉनेट शीवेलियर द (Lamark, Jean Baptiste Pierre Antoine De Monet Chevalier De; 1744 से 1829 ई.) फ्रांसीसी जैवविज्ञानी थे। लामार्क प्रथम वैज्ञानिक थे, जिन्होंने कशेरुकी और अकशेरुकी जीवों में भेद किया और सर्वप्रथम इनवर्टीब्रेट (invertebrate) शब्द का उपयोग किया। 1802 ई. में इन्होंने जीव, या पौधों के अध्ययन के लिए बायोलोजी (Biologie) शब्द का उपयोग किया। इन्होंने मौसम विज्ञान और मौसम की पूर्वसूचनाओं से संबंधित वार्षिक रिपोर्टों का भी प्रकाशन किया था। ये विकासवाद के जन्मदाता हैं। इनका विकासवाद का सिद्धांत लामार्कवाद कहलाता है। . अर्न्स्ट हैकेल द्वारा प्रतिपादित "जीवन वृक्ष"; इससे स्पष्ट होता है कि १९वीं शती में यह विचार आगे आने लगा था कि जीवों का क्रमिक विकास होकर मनुष्य बना है। विकासवाद (Evolutionary thought) की धारणा है कि समय के साथ जीवों में क्रमिक-परिवर्तन होते हैं। इस सिद्धान्त के विकास का लम्बा इतिहास है। १८वीं शती तक पश्चिमी जीववैज्ञानिक चिन्तन में यह विश्वास जड़ जमाये था कि प्रत्येक जीव में कुछ विलक्षण गुण हैं जो बदले नहीं जा सकते। इसे इशेंसियलिज्म (essentialism) कहा जाता है। पुनर्जागरण काल में यह धारणा बदलने लगी। १९वीं शती के आरम्भ में लैमार्क ने अपना विकासवाद का सिद्धान्त दिया जो क्रम-विकास (evolution) से सम्बन्धित प्रथम पूर्णत: निर्मित वैज्ञानिक सिद्धान्त था। .

लैमार्क और विकासवाद का इतिहास के बीच समानता

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संदर्भ

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